UPSC Topper Nidhi Siwach: परिवार ने रखी शादी की शर्त, नौकरी छोड़ बिना कोचिंग के 83वीं रैंक हासिल कर निधि सिवाच बनीं IAS ऑफिसर
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IAS Success Story, UPSC Topper Nidhi Siwach : यूपीएससी का सफर कई लोगों के लिए बहुत ही संघर्षपूर्ण होता है। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं। लेकिन उनमें से कुछ ही लोग अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं। यूपीएससी का जुनून ही कुछ ऐसा है कि लोग इसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। हरियाणा की निधि सिवाच (Nidhi Siwach) भी उनमें से एक हैं। एक तरफ घर वाले शादी करने का दबाव बना रहे थे और दूसरी ओर उनके सामने यूपीएससी क्लीयर कर सपने से मुलाकात की चुनौती थी। आइए जानते हैं उनकी इस सक्सेस जर्नी के बारे में…
निधि सिवाच का बैकग्राउंड
निधि सिवाच मूल रूप से हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली हैं। उन्होंने 10वीं में 95 फीसदी और 12वीं में 90 फीसदी अंक हासिल किए थे। उन्होंने दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय सोनीपत, हरियाणा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएशन किया है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद निधि टेक महिंद्रा में एक डिज़ाइन इंजीनियर के रूप में काम करने के लिए हैदराबाद चली गईं। उन्होंने साल 2017 में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।
छोड़ दी नौकरी
प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बनाने के बाद निधि ने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। जिसके बाद यूपीएसी की तैयारी शुरु कर दी। उनका पूरा फोकस यूपीएससी परीक्षा पर रहा लेकिन वह दो बार वह पेपर नहीं पास कर पाईं। ऐसे में उन्हें घरवालों की ओर से भी नौकरी का दबाव पड़ने लगा। इसके साथ परिवार वालों ने शादी की भी शर्त रख दी
जब घर वालों ने रखी शर्त
कड़े संघर्ष के बावजूद निधि को यूपीएससी में लगातार दो बार असफलता का सामना करना पड़ा। ऐसे में वे खुद को पॉजिटिव रखने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन घरवालों ने उनके सामने शर्त रख दी कि अगर वे इस बार फेल हुईं तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी। निधि ने शर्त को तो मान लिया, लेकिन यह भी ठान लिया कि इस बार यूपीएससी परीक्षा जरूर पास करेंगी।
खुद को कमरे कर लिया था बंद
निधि ने परिवार की इस शर्त को स्वीकार कर लिया और अपनी तैयारी में लग गईं। उन्होंने और भी ज्यादा कड़ी मेहनत शुरु कर दी। उन्होंने खुद को अगले छह महीने के लिए एक कमरे में लॉक कर लिया। वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थीं और अपना सारा वक्त किताबों और पढ़ाई में देतीं थीं। उन्होंने हर बार से ज्यादा मेहनत की और वर्ष 2018 में तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 83वीं रैंक हासिल कर ली। इस तरह निधि को मनपसंद इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस मिल गई।
निधि सिवाच ने यूपीएससी एग्जाम के लिए कोई कोचिंग नहीं की थी। उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में यह कामयाबी सेल्फ स्टडी के बल पर हासिल की है। निधि का मानना है कि कोचिंग की अनिवार्यता वाली बात मिथ है। बस कोशिश ईमानदारी से की जानी चाहिए।
निधि का अनुभव कहता है कि
निधि कहती हैं घर में बंद रहने का मतलब यह कतई नहीं होता है कि आप बाहर की दुनिया के कांपटीशन से ही कट जाएं। ऑनलाइन सब सुविधाएं हैं, उनका इस्तेमाल करें और देखें की बाकी कैंडिडेट्स की भीड़ में आप कहा स्टैंड कर रहे हैं और आपकी तैयारियों का लेवल क्या है। निधि खूब मॉक टेस्ट देती थीं और खुद ही इंटरनेट पर मौजूद टॉपर्स के उत्तरों से उन्हें मैच भी करती थीं।
निधि का यूपीएससी के सफर के दौरान एक ही लक्ष्य था अपनी गलतियों से सीखना। वे बार-बार चेक करती थीं की कमी कहा है और उसे कैसे दूर करना है। वे कहती हैं यूपीएससी आपके बहुत से गुणों की परीक्षा लेता है जैसे पेशेंस, मेहनत, स्मार्ट वर्क, नॉलेज का इंप्लीमेनटेशन आदि। अगर सही दिशा में सही इरादे के साथ बढ़ेंगे तो भले देर से लेकिन सफलता जरूर मिलेगी।