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Best Dhan Variety : सूखे और पानी की कमी के बावजूद बंपर उत्पादन देती है यह धान की किस्में, किसानों को बनाएंगी धनवान

Best Dhan Variety: Despite drought and water shortage, these paddy varieties give bumper production, will make farmers rich.

Best Dhan Variety : भारत कृषि प्रधान देश है। यहां पर गेहूं, चावल, मक्का सहित अन्य फसलों को बड़े स्तर पर लगाया जाता है और इनका एक्सपोर्ट भी किया जाता है। चावल भारत की मुख्य फसलों में से एक है। जिनका बड़े स्तर पर एक्सपोर्टेशन किया जाता है।

लेकिन भारत के कई सूखाग्रस्त और पानी की कमी वाले इलाके हैं, जिसकी वजह से यहां पर अच्छी फसल नहीं हो पाती। लेकिन इसका भी तोड़ निकाल लिया गया है। आज हम आपको धान की ऐसी किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जो सूखाग्रस्त क्षेत्र में भी अच्छा उत्पादन देती है।

स्वर्ण शक्ति धान को हैदराबाद चावल अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित किया गया है। धान की ये किस्म कई रोगों और कीटों के लिए प्रतिरोधी है। ये एक मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है जो कि 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। स्वर्ण शक्ति धान किसानों को 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है। यही नहीं स्वर्ण शक्ति धान में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

आईसीएआर पटना द्वारा विकसित स्वर्ण पूर्वी धान-1 किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है। सूखा प्रतिरोधी यह किस्म धान की अगेती बुवाई के लिए बेहद ही अच्छी है। यह 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। कम पानी में तैयार होने वाली धान की यह किस्म 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है। जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने धान की पूसा सुगंध-5 किस्म को विकसित किया है। सुगंधित और उच्च गुणवत्ता देने वाली हाइब्रिड किस्म है। ये 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा सुगंध-5 से किसान 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज भी ले सकते हैं। वहीं महीन धान की इस किस्म को अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में भी निर्यात किया जाता है।

बासमती धान की पूसा 834 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह 125 से 130 दिनों में पककर तैयार होती है। धान की इस किस्म की पत्ती पर झुलसा रोग ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाता है। बासमती की इस किस्म को कम उपजाऊ मिट्टी या फिर कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाकर तैयार किया जा सकता है। पूसा 834 बासमती धान किसानों को 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है।

स्वर्ण शुष्क धान कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्म है। धान की इस किस्म में रोग और कीट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है। यह कम ऊंचाई वाली धान की किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है। यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है। यह धान 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है।

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