देश/विदेश अपडेटबड़ी खबरेंबैतूल अपडेटब्रेकिंग न्यूजमध्यप्रदेश अपडेटमहिला जगत/बाल जगत

अनूठी पहल: बैतूल में नए साल में जन्म लेने वाली बेटियों को मिले सोने और चांदी के लॉकेट

  • उत्तम मालवीय, बैतूल © 9425003881
    अधिकांश जगह आज भी बेटियों को भले ही बोझ समझा जाता हो और उनके जन्म लेते ही पूरा परिवार गमजदा हो जाता हो, लेकिन बैतूल में ऐसा नहीं है। विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, अभियानों और कार्यक्रमों से यहां बेटियों को लेकर लोगों का नजरिया खासा बदला है। ऐसी ही एक पहल के तहत आज शनिवार को नए साल में जन्मी बेटियों को जिला अस्पताल में सोने और चांदी के लॉकेट वितरित किए गए।

    बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजन 2015 में जनवरी माह में ही प्रारंभ की गई थी। इसका उद्देश्य लड़कों ओर लड़कियों में लिगांनुपात के अंतर को कम करना है। इसी योजना के तहत स्वर्गीय श्रीमती शीलादेवी हिरानी की स्मृति में जिला चिकित्सालय में नूतन वर्ष में जन्म लेने वाली बेटियों को सोने व चांदी के लॉकेट भेंट किए गए। इस अवसर पर डॉक्टर कृष्णा मौसिक व डॉ. रानू वर्मा, डॉ. ईशा डेनियल का बेटी बचाओ हेतु सम्मान किया गया।

    इस अवसर पर श्रीमती अंजली हिरानी, नवल वर्मा, दीपक सलूजा, मुकेश गुप्ता, पंजाबराव गायकवाड़, अभिलाषा बाथरी, तूलिका पचौरी, दीप मालवीय, निमिष मालवीय, मनोहर मालवीय, शैलेन्द्र बिहारिया, धीरज हिरानी ने सर्वप्रथम सरोज विश्वनाथ उइके, सीमा सुभाष लक्कड़ जाम, प्रमिला मुकेश को बेटी के जन्म पर शॉल से माताओं का सम्मान कर सोने के लाकेट किए। सम्मान में 3 सोने के लाकेट व 20 चांदी के लाकेट भेंट किए गए।

    कार्यक्रम संयोजक धीरज हिरानी व शैलेन्द्र बिहारिया ने बताया कि माताओं को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। साथ ही ड्राय फ्रूट्स व कोरोना की रोकथाम के लिए मास्क वितरण किया गया। ताप्ती क्लब व माँ शारदा सहायता समिति के शैलेन्द्र बिहारिया ने कहा कि देश में लगातार घटती कन्या शिशु दर को संतुलित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। किसी भी देश के लिए मानवीय संसाधन के रुप में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान रुप से महत्वपूर्ण होते हैं। केवल लड़का पाने की इच्छा ने देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है कि इस तरह की योजना को चलाने की जरुरत आन पड़ी।

    कार्यक्रम संयोजक धीरज हिरानी ने कहा कि हमें कन्या के जन्म का उत्सव मनाना चाहिए। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। मैं आपसे अनुरोध करता हु की बेटियों के जन्म पर घुटन नहीं गर्व महसूस करे। दीप मालवीय व निमिष मालवीय ने बताया कि आज भी बेटी के जन्म पर परिवार सोचता है कि काश बेटा होता और इसी सोच को बदलने यह आयोजन किया गया है। वर्ष 2011 की जनगणना में 1000 लड़कों पर 943 लड़कियां हैं। आभार प्रदर्शन पंजाबराव गायकवाड़ ने किया।

  • Related Articles

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Back to top button