Scorpion Bite Treatment : अब नहीं रहेगा बिच्छू के डंक का डर, वैज्ञानिकों ने बना ली बेहद प्रभावी दवा, नहीं जाएगी जान

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Scorpion Bite Treatment : अब नहीं रहेगा बिच्छू के डंक का डर, वैज्ञानिकों ने बना ली बेहद प्रभावी दवा, नहीं जाएगी जान
Scorpion Bite Treatment : अब नहीं रहेगा बिच्छू के डंक का डर, वैज्ञानिकों ने बना ली बेहद प्रभावी दवा, नहीं जाएगी जान

Scorpion Bite Treatment : (नई दिल्ली)। बिच्छू के डंक का नाम सुनते ही लोग सिहर उठते हैं। सीधी सी बात है कि इसके काटने से जहां जान तक चली जाती है वहीं इसका असहनीय दर्द झेल पाना हर किसी के बस में नहीं होता था। सबसे बड़ी बात यह थी कि अभी तक इसके इलाज (Scorpion Bite Treatment) के लिए कोई बेहद प्रभावकारी दवा भी नहीं थी। लेकिन, भारतीय वैज्ञानिकों ने अब इसके इलाज के लिए प्रभावी दवा ईजाद कर ली है।

भारतीय लाल बिच्छू के जहर से उत्‍पन्‍न विषाक्तता और संबंधित लक्षणों को रोकने के लिए वाणिज्यिक घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), अल्‍फा1-एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए) और विटामिन सी की कम खुराक से युक्त एक नया चिकित्सीय दवा फॉर्मूलेशन (टीडीएफ) विकसित किया गया है। यह बिच्छू के डंक के रोगियों के नैदानिक प्रबंधन में सुधार करने में मदद करेगा।

बिच्छू का जहर दुनिया के कई देशों में एक गंभीर समस्या है। भारतीय लाल बिच्छू (मेसोबुथुस टैमुलस), अपने जानलेवा डंक के कारण, दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छुओं में से एक है। एम. टैमुलस विष (एमटीवी) के खिलाफ, नसों के अंदर से दी जाने वाली घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), बिच्छू के डंक के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार (Scorpion Bite Treatment) है।

हालांकि, सबसे प्रचुर मात्रा में कम आणविक द्रव्यमान चैनल विष के खिलाफ जहर-विशिष्ट एंटीबॉडिज का कम अनुपात बिच्छू के डंक रोगियों के कुशल नैदानिक प्रबंधन के लिए एक बाधा है। इसलिए, आवश्यक उच्च एंटीवेनम से इलाज किए गए रोगियों में प्रतिकूल सीरम प्रभाव हो सकते हैं। बिच्छू के जहर और इसके उपचार के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान और वैकल्पिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

अभी तक नहीं थी प्रभावी दवा (Scorpion Bite Treatment)

परंपरागत रूप से, अल्‍फा 1- एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए), जैसे कि प्राज़ोसिन, का उपयोग अकेले या वाणिज्यिक एएसए के साथ संयोजन में डंक रोगियों के उपचार के लिए भी किया जाता है। हालांकि, यह चिकित्सा कम प्रभावी है और इसकी कुछ सीमाएं हैं।

इन वैज्ञानिकों ने किया आविष्कार (Scorpion Bite Treatment)

इस समस्या को हल करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ-साथ तेजपुर विश्वविद्यालय एनआईईएलआईटी, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने वाणिज्यिक एएसए, एएए और विटामिन सी की कम खुराक वाले नए रोगेपचारक दवा फॉर्मूलेशन (टीडीएफ) का भारतीय लाल बिच्छू के जहर से उत्‍पन्‍न विषाक्तता और संबंधित लक्षणों को रोकने के लिए आविष्कार किया है।

परीक्षण के बाद पेटेंट दायर (Scorpion Bite Treatment)

दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण पहली बार कैनोरहाब्डिस एलिगेंस पर किया गया था। यह एक मुक्त-जीवित निमेटोड मॉडल है, जो कि एक इनविवो पशु मॉडल के विकल्प के रूप में है। यह शोध हाल ही में जर्नल टॉक्सिन्स में प्रकाशित हुआ है। इस नई दवा के फॉर्मूलेशन पर एक भारतीय पेटेंट भी दायर किया गया है।

बचाई जा सकेंगी लाखों पीड़ितों की जान (Scorpion Bite Treatment)

नोवेल टीडीएफ ने कुशलतापूर्वक भारतीय लाल बिच्छू के जहर को बेअसर कर दिया, रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि, अंग ऊतक क्षति, नेक्रोसिस और विस्टार चूहों में फुफ्फुसीय एडिमा को उत्‍प्रेरित किया, जो वाणिज्यिक एएसए, एएए और विटामिन सी की तुलना में बहुत बेहतर है। यह उपचार बिच्छू के डंक के खिलाफ प्रभावी उपचार की बहुत आशा जगाता है और इससे दुनिया भर में लाखों रोगियों की जान बचाई जा सकेगी।

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