Badminton Championship : बैतूल। सफलता कभी सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। आदिवासी अंचल में बसे बैतूल जिले ने भी इसी बात का प्रमाण देते हुए अनेक प्रतिभाओं को अपने आंचल में संजोया है। जिले की प्रतिभाओं ने देश व विदेश स्तर पर परचम लहरा कर यह साबित किया है कि बैतूल जिला किसी भी क्षेत्र में पिछड़ा नहीं है।
यहां के ऐसे ही एक उभरते हुए खिलाड़ी ने बैडमिंटन के क्षेत्र में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। पिछले दिनों उन्होंने एक्सीलेंस कॉलेज में बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती है। वह होनहार खिलाड़ी है प्रणय वराठे। बैडमिंटन के क्षेत्र में यह नाम नया नहीं है बल्कि कहा जाए कि बैडमिंटन का पर्याय ही प्रणय वराठे हैं तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
सारणी से अपनी बैडमिंटन प्रतिभा को पहचान कर मात्र 11 साल की उम्र में राज्य स्तर पर कांस्य पदक जीत कर उन्होंने जिले को गौरवान्वित किया। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। प्रणय जिन दिनों बैडमिंटन प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने के लिए आए तो किसी वजह से स्कूल से शुल्क नहीं भरा गया। ऐसे में उन्हें प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए मना कर दिया गया।
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ऐसी स्थिति में उनकी मां और शौर्य स्पोर्ट्स एकेडमी की डायरेक्टर श्रीमती नीता वराठे ने कलेक्टर के पास जाकर आवेदन दिया और तब कहीं जाकर इनको प्रतियोगिता में शामिल किया गया। पहली बार में प्रणय जिले में फर्स्ट पोजीशन से राज्य स्तर पर खेलने गए और कांस्य पदक जीत करके जिले को गौरवान्वित किया।
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इसके बाद अंडर 12 कैटेगरी में उत्कृष्ट गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में बैतूल जिले से सलेक्ट हुए पहले बैडमिंटन प्लेयर है। उनके बाद से अभी तक बैतूल जिले से कोई भी बच्चा गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में सलेक्ट नहीं हुआ है। उन्होंने 12 नेशनल दिए हैं और भोपाल में लाल परेड ग्राउंड से स्टेट चैंपियनशिप जीती है।
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प्रणय की सफलता का सफर इतना आसान न था। पेशे से पिता स्पोर्ट्स टीचर कैलाश वराठे हंै। सारणी जैसी छोटी जगह में बैडमिंटन कोर्ट में प्रैक्टिस ना होने के कारण इंदौर जाकर प्रैक्टिस करना और फिर गोपीचांद अकादमी में जाकर जी तोड़ मेहनत करने के बाद कोरोना महामारी के आने के कारण उनकी मेहनत को कोई अंजाम न मिला। (Badminton Championship)
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इसके बावजूद इन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने खेल के साथ-साथ पढ़ाई को भी बैलेंस करके चलते रहे। उन्होंने 12वीं क्लास में भी 78 प्रतिशत पीसीएम सब्जेक्ट के साथ क्वालिफाई किया। एक्सीलेंस कॉलेज में इनका सलेक्शन स्पोर्ट्स कोटे में ही हुआ है। (Badminton Championship)
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हाल ही इन्होंने एक्सीलेंस कॉलेज में बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती है। अब वे इंटर कॉलेज चैंपियनशिप के लिए मेहनत कर रहे हैं। प्रणय जैसे विद्यार्थी हमें यह बताते हैं कि अगर हम चाहे तो पढ़ाई के साथ-साथ खेल को भी अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं। (Badminton Championship)
ऐसे में जो पेरेंट्स यह मानते हैं कि पढ़ाई की उम्र में पढ़ाई ही करनी चाहिए, अपनी रुचि पर काम करके समय वेस्ट होता है, उनके लिए यह उदाहरण है कि अगर आप ठान लो तो आप पढ़ाई के साथ-साथ खेल या अन्य किसी विद्या में भी अपना समय देकर नाम रोशन किया जा सकता है। इस बात को प्रणय ने बखूबी साबित किया है। (Badminton Championship)
प्रणय की सफलता में सबसे बड़ा योगदान रहा गोपीचंद अकादमी के कोच विष्णुवर्धन रेड्डी, इंदौर बैडमिंटन एकेडमी के कोच सत्येंद्र होलकर, रमेश भोयर एवं शौर्य स्पोर्ट्स एकेडमी डायरेक्टर उनकी मां नीता वराठे एवं पिता कैलाश वराठे का, जिन्होंने शुरू से पिता के साथ-साथ कोच की भी भूमिका बखूबी निभाई। (Badminton Championship)
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