दुष्कर्मी बेटे को तिहरा और दुष्प्रेरित करने वाली मां को दोहरा आजीवन कारावास
अनन्य विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) श्रीमती रेखा आर. चन्द्रवंशी ने 10 वर्षीय अबोध बालिका के साथ बलात्कार के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उन्होंने दुष्कर्म के आरोपी राहुल उर्फ सोनू को तिहरे आजीवन कारावास एवं आरोपिया सुशीला को अभियुक्त राहुल द्वारा पीड़िता के साथ बलात्कार कारित करने में मौन रहकर साशय सहायता कर दुष्प्रेरित किये जाने कृत्य के लिये दोहरे आजीवन कारावास एवं 11000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया है।
मीडिया सेल प्रभारी सौरभ सिंह ठाकुर ने बताया कि आरोपी राहुल उर्फ सोनू पिता स्वर्गीय बाबूलाल खोकर (25) निवासी शक्ति नगर शोभापुर कॉलोनी पाथाखेड़ा थाना सारणी और इस घृणित अपराध का दुष्प्रेरण करने वाली आरोपिया सुशीला पति स्वर्गीय बाबूलाल खोकर (50) निवासी शक्ति नगर शोभापुर कॉलोनी को दोहरे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी / विशेष लोक अभियोजक एसपी वर्मा के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक ओमप्रकाश सूर्यवंशी, अमित कुमार राय एवं वंदना शिवहरे के द्वारा पैरवी की गई। प्रकरण चिन्हित जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरण की सूची में सम्मिलित था।
10 दिसंबर 2020 को पीड़िता ने थाना सारणी में रिपोर्ट की कि उसकी मां ने उसके पिता की मृत्यु के पश्चात् दूसरी शादी कर ली थी। वह उसे छोड़कर चली गई थी। कुछ दिन बाद उसकी मां वापस आई तो उसे आरोपी सुशीला खोकर को गोद दे दिया था। वह पिछले 5 वर्ष से आरोपी सुशीला के पास रह रही थी। आरोपी सुशीला खोकर का एक लड़का आरोपी राहुल उर्फ सोनू भी उनके साथ रहता है। आरोपी सुशीला का पुत्र आरोपी राहुल उर्फ सोनू पिछले 6-7 महिने से उसके साथ कपड़े निकाल कर बलात्कार करता था।
जब उसने आरोपी राहुल उर्फ सोनू द्वारा उसके साथ बलात्कार करनेवाली बात आरोपिया सुशीला को बतायी तो आरोपिया सुशीला ने उसकी कोई मदद नहीं की और आरोपी राहुल उर्फ सोनू को कुछ नहीं कहा बल्कि आरोपिया सुशीला उसी के साथ मारपीट करती थी। आरोपी राहुल उर्फ सोनू उसके साथ मारपीट करता था जिससे उसके शरीर पर चोटे आयी थी। आरोपिया सुशीला उसे डराती-धमकाती थी कि अगर वह घटना के बारे में किसी से कुछ बताएगी या किसी से कुछ कहेगी तो वह उसे पुलिस को बुलाकर अंदर करवा देगी।
आरोपिया सुशीला द्वारा धमकी दिये जाने पर व मारपीट किये जाने के डर से उसने घटना के बारे में पहले किसी को कुछ नहीं बताया। एक दिन चुपके से उसने एक आंटी को घटना के बारे में बताई। उस आंटी ने किसी को फोन लगाया। उसके बाद हेल्प लाइन वाली दीदी और भैया लोग आये और वे उसे थाना लेकर आये। थाना सारणी में आरोपियों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना लिया गया। विवेचना के बाद प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन ने अधिकतम दंड की मांग की
प्रकरण की गंभीरता एवं आरोपियों के जघन्यतम कृत्य को दृष्टिगत रखते हुये अभियोजन ने न्यायालय से अधिकतम दंड प्रदान करने की मांग की थी। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुये आरोपियों को दण्डित किया।
रिश्तों को किया कलंकित: न्यायालय
न्यायालय ने प्रकरण में यह टिप्पणी की कि प्रकरण में पीड़िता 12 वर्ष से कम आयु की होकर अवयस्क बालिका है। अभियुक्त रिश्ते में उसके मां एवं भाई लगते हैं। उक्त अपराध न केवल समाज के प्रति अपराध है बल्कि उक्त रिश्ते को भी कलंकित करता है। जिसे देखते हुये अभियुक्तगण किसी भी सहानुभूति व दया के पात्र प्रतीत नहीं होते।