Shivdhaam: सतपुड़ा की सुरम्य वादियों की गोद में स्थित है शिवधाम जटाशंकर महादेव, आज से यहां होगा श्री शतचंडी महायज्ञ
• लोकेश वर्मा, मलकापुर
प्राचीन काल से ही अपने दिव्य स्वरूप, अलौकिकता, शांति और महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विख्यात है जिला मुख्यालय बैतूल से सटा राठीपुर ग्राम में स्थित जटाशंकर महादेव। यह शिवधाम प्रकृति की अद्भुत छटा के बीच बसा हुआ है। यह स्थल तपोभूमि रह चुकी है। इस स्थल पर अब तक कई संत-महात्माओं ने निवास किया और अपनी तपस्या से इस देवभूमि को पावन किया है। तीर्थ की विशेषता भगवान जटाशंकर महादेव का अखंड जलाभिषेक करने वाली जलधारा हैं। जिसका स्रोत पता लगाने में सब असफल रहे हैं।
भगवान का अखंड अभिषेक करने वाली जलधारा लगातार प्रवाहित है। पावन चैत्र नवरात्र पर भव्य और दिव्य स्वरूप में क्षेत्र की सुख, शांति और समृद्धि के लिए यहां श्री शतचंडी महायज्ञ किया जा रहा है। काशी से आए महंत श्री बलरामपुरी जी नागा बाबा के सानिध्य में यह महायज्ञ आज 3 से 11 अप्रैल तक होगा। नागा बाबा ने बताया कि महायज्ञ का आयोजन समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से किया जा रहा है। विशाल महायज्ञ यज्ञाचार्य पंडित संतोष पाठक जी के द्वारा संपन्न कराया जाएगा। 3 अप्रैल को शोभायात्रा के बाद प्रारंभ होने वाले महायज्ञ की 11 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ विशाल भंडारा के बाद समाप्ति होगी।
विशाल यज्ञशाला हो गई है तैयार
जटाशंकर महादेव मंदिर के नीचे यज्ञशाला का निर्माण हुआ है। इस यज्ञशाला में यज्ञचार्य पंडित संतोष पाठक जी के द्वारा विधि-विधान व मंत्र उच्चारण के साथ 3 अप्रैल को शोभायात्रा के साथ प्रायश्चित पूजन, 4 अप्रैल को पंचांग पूजन-मंडप प्रवेश, 5 अप्रैल को अग्नि मंथन- ग्रहमुख हवन, 6 अप्रैल माता जी का सहस्त्रार्चन पूजन, 7 अप्रैल को माता जी का अभिषेक, 8 अप्रैल माता जी का पूजन अर्चन, 10 अप्रैल को अविवाहित देवताओं का हवन, 11 अप्रैल को पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारा संपन्न करवाया जाएगा।
क्या है श्री शतचंडी महायज्ञ का महत्त्व
यज्ञचार्य पंडित संतोष पाठक ने बताया कि माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। श्री दुर्गाजी का एक नाम ‘चंडी’ भी है। मार्कंडेय पुराण में इसी देवी चंडी का माहात्म्य बताया है। उसमें देवी के विविध रूपों एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें से सात सौ श्लोक एकत्रित कर देवी उपासना के लिए `श्री दुर्गा सप्तशती’ नामक ग्रंथ बनाया गया है। सुख, लाभ, जय इत्यादि कामनाओं की पूर्ति के लिए सप्तशती पाठ करने का महत्त्व बताया गया है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे चंडी यज्ञ बोला जाता है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है।
इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस कर सकता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहाँ तक बोला गया है कि शतचंडी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। पवित्र चैत नवरात्र में इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव, नवग्रह, और नवदुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है।
यज्ञ से धर्म, अर्थ, मोक्ष की प्राप्ति होती है: बलरामपुरी नागा बाबा
भगवान को निर्मल मन से भक्ति करने वाले भक्त बहुत ही प्रिय होते हैं। छल और कपट करने वालों को परमात्मा की कृपा नहीं मिलती है। इस संसार में परमात्मा की शरण ही सच्ची शरण है। सम्पुटित पाठ से युक्त शतचंडी यज्ञ जीवन की शांति की पूर्णता के लिए है। यह हर्षोउल्लास और धन देता है। यह यज्ञ अपने भक्तों से भय की स्थिति में मजबूत बनता है। यह ऋणों से मुक्त करता है और सभी प्रकार की समस्याओं और दर्द को रोकता है। यज्ञ शिष्य को समृद्धि, अधिकार और शक्ति प्रदान करता है। यज्ञ जीवन में आने वाले सभी राक्षसों और बुरी शक्तियों को मारता है। अहंकार को पिघलाता है और जीवन में ताकत देता है।
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यज्ञ हमें आध्यात्मिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। यह नींद की ऊर्जा देता है और मोक्ष का मार्ग खोलता है। यज्ञ हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा देता है। मंत्रों के उच्चारण से जीव जगत का आध्यात्मिक कल्याण होता है। भक्तों को भगवान की कृपा से सदैव सुख शांति समृद्धि एवं पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
ज्ञात हो शिवरात्रि के अवसर पर जिले की ऐतिहासिक धरोहर एवं स्वामी मुकुंदराव जी के समाधि स्थल आस्था के केंद्र प्राचीन शिव मंदिर खेड़ला किला में भी श्री बलरामपुरी नागा बाबा विशाल श्री शिवशक्ति महायज्ञ संपन्न करा चुके हैं। नागा बाबा ने जटाशंकर महादेव के दरबार में यज्ञ का लाभ लेकर यज्ञशाला की परिक्रमा कर पुण्य लाभ लेने की अपील की।