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Nadi me bahe maa beta: नदी में आधा किलोमीटर तक बह गए मां-बेटा, फिर मिला झाड़ियों का सहारा और बच सकी जान, आधा-अधूरा पड़ा है पुल

पुल के पिलर खड़े होने के बाद नहीं हुआ कोई काम।

• उत्तम मालवीय, बैतूल
भारी बारिश से बैतूल जिले में इस साल नदी में बहने की घटनाएं थोक में हो रही हैं। कहीं लोग उफनती नदी पार करते हुए बह रहे हैं तो कहीं पुल नहीं होने के कारण बह रहे हैं। भैंसदेही ब्लॉक के ग्राम मालेगांव में भी शनिवार को ऐसी ही एक घटना में एक महिला और उसका बेटा बह गए। खैरियत रही कि करीब आधा किलोमीटर दूर उन्हें झाड़ियों का सहारा मिल गया। उसे पकड़ कर वे बच गए। इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें बाहर निकाला।

ग्राम मालेगांव के ठीक पास से पात्रा नदी बहती है। ग्रामीणों को अपने खेत में जाना होता है तो इस नदी को पार करना होता है। नदी में बाढ़ आते ही घर और खेत का संपर्क टूट जाता है। ग्रामीणों को खतरे उठा कर नदी पार करना होता है। यही कारण है ग्रामीण लंबे समय से इस पर पुल बनवाने की मांग कर रहे थे। इसके लिए ग्रामीणों ने धरना, प्रदर्शन, हड़ताल करने के अलावा चुनाव बहिष्कार की धमकी तक दी। इसके बाद पिछले दिनों यहां पुल निर्माण कार्य शुरू तो हुआ, लेकिन पिलर खड़े करने के बाद से काम बंद है।

यही कारण है कि इस साल भी ग्रामीणों को उसी तरह खतरे उठा कर आवाजाही करना पड़ रहा है। ग्राम के भीमराव पिपरदे बताते हैं कि शनिवार शाम करीब 4 बजे गणपति लोखंडे (20) और उनकी मां खेत से आ रहे थे। इसी बीच दोनों बाढ़ में बह गए। लगभग आधा किलोमीटर दूर जाकर उन्हें झाड़ियों का सहारा मिला। उसे पकड़ कर वे बहने से बचे और बाहर आ पाए। उनकी किस्मत अच्छी थी वरना आज एक बड़ा हादसा हो जाता।

इसके पहले भी कुछ मवेशी भी बाढ़ में बह कर मर चुके हैं। इस घटना को लेकर ग्रामवासी बहुत आक्रोश में हैं। पुल बनाने के लिए नदी में खुदाई भी की गई है। उससे भी ग्रामीणों को गहराई का पता नहीं चल पाता और नदी और ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। देखें उस स्थान का वीडियो, जहां आज यह हादसा हुआ…

बीस किलोमीटर का काटना पड़ता फेरा

पुल का काम पूरा नहीं होने से ग्रामवासियों को बहुत ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन नदी में भयंकर बाढ़ आ जाती है। ऐसे में जो लोग खेत में होते हैं, उनका संपर्क गांव से पूरी तरह टूट जाता है। अगर गांव में आना हो तो 20 किलोमीटर का अतिरिक्त फेरा तय करके आना होता है। कई बार प्रशासन से बातचीत की है परंतु कोई भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

चार-चार दिन नहीं उतरती है बाढ़

ग्रामीणों का कहना है कि नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीणों को कहीं भी आने-जाने में 14 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करना पड़ता है। ग्रामीणों को थाना झल्लार जाना हो या फिर टप्पा तहसील झल्लार, उसके लिए यह नदी पार करना पड़ता है। बैतूल-परतवाड़ा और बैतूल-भैंसदेही मार्ग तक भी यह नदी पार करके ही पहुंच सकते हैं।

गांव के 80 प्रतिशत लोगों के खेत नदी के पार हैं। नदी में बाढ़ आने पर 3-4 दिन नहीं उतरती है। ऐसे में किसानों को यह 3 से 4 दिन खेत में ही बिताने पड़ते हैं। ग्रामीणों ने पुल का निर्माण कार्य जल्द पूरा कराए जाने की मांग की है। ताकि ग्रामीणों को इस तरह की ना तकलीफें झेलना पड़े और ना ही अपनी जान गंवानी पड़े।

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