Shani Ki Mahadasha: शनि की महादशा से मुक्ति पाने का यह है सबसे आसान उपाय, कोप की जगह बरसने लगेगी कृपा

▪️पंडित मधुसूदन जोशी, भैंसदेही

Shani Ki Mahadasha: ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली और क्रूर ग्रह शनि को माना जाता है। अब सोच सकते हैं कि जिस भी व्यक्ति पर इस ग्रह की वक्र दृष्टि पड़ जाए उसका क्या हाल होता होगा। वास्तव में ऐसे लोगों की बेहद बुरी ही नहीं बल्कि बेहद दयनीय स्थिति हो जाती है। यही कारण है कि शनि की इस महादशा से मुक्ति पाने के लिए पीड़ित लोग हर तरह के जतन करते हैं।

कुछ लोग तो इसके लिए लाखों-करोड़ों रुपए भी खर्च कर देते हैं। बावजूद इसके उन्हें शनि की महादशा से मुक्ति नहीं मिल पाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि शनि की महादशा से छुटकारा पाया ही नहीं जा सकता। ऐसे कई उपाय हैं जिन्हें अमल में लाकर शनिदेव के क्रोध को शांत किया जा सकता है और उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।

शनि को शांत कर महादशा से मुक्ति पाने का एक आसान उपाय यह है कि ऋषि पिपलाद को याद करके शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें। इसके साथ ही शनिवार को तिल और सरसो के तेल का दान करें। इससे शनि की साढ़े साती, शनि की ढैया और शनि महादशा कष्टकारी नहीं होती है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली और क्रूर ग्रह शनि का क्रोध मात्र पीपल वृक्ष की पूजा करने से कैसे शान्‍त हो जाता है। इसे विस्तार से समझने के लिए आपको शनि और पीपल से सम्‍बंधित यह पौराणिक कथा पढ़ना होगा, जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना हो। इससे यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी।

पुराणों की माने तो एक बार त्रेता युग में अकाल पड़ गया था। उसी युग में एक कौशिक मुनि अपने बच्चों के साथ रहते थे। बच्चों का पेट न भरने के कारण मुनि उन्हें लेकर दूसरे राज्य में रोजी रोटी के लिए जा रहे थे।

रास्ते में बच्चों का पेट न भरने के कारण मुनि ने एक बच्चे को रास्ते में ही छोड़ दिया था। बच्चा रोते-रोते रात को एक पीपल के पेड़ के नीचे सो गया तथा पीपल के पेड़ के नीचे ही रहने लगा। वह पीपल के फल खा कर बड़ा होने लगा तथा कठिन तपस्या करने लगा।

एक दिन ऋषि नारद वहाँ से जा रहे थे। नारद जी को उस बच्चे पर दया आ गयी तथा उन्होंने उस बच्चे को पूरी शिक्षा दी। साथ ही विष्णु भगवान की पूजा का विधान बता दिया। अब बालक भगवान विष्णु की तपस्या करने लगा। एक दिन भगवान विष्णु ने आकर बालक को दर्शन दिए। विष्णु भगवान ने कहा कि- हे बालक, मैं आपकी तपस्या से प्रसन्न हूँ। आप कोई वरदान मांग लो।

बालक ने विष्णु भगवान से सिर्फ भक्ति और योग मांग लिया। अब बालक उस वरदान को पाकर पीपल के पेड़ के नीचे ही बहुत बड़ा तपस्वी और योगी हो गया था। एक दिन बालक ने नारद जी से पूछा कि- हे प्रभु हमारे परिवार की यह हालत क्यों हुई है। मेरे पिता ने मुझे भूख के कारण छोड़ दिया था और आजकल वो कहा है?

नारद जी ने कहा- बेटा आपका यह हाल शानि महाराज ने किया है। देखो आकाश में यह शनैश्चर दिखाई दे रहा है। बालक ने शनैश्चर को उग्र दृष्टि से देखा और क्रोध से उस शनैश्चर को नीचे गिरा दिया। उसके कारण शनैश्चर का पैर टूट गया और शनि असहाय हो गए।

शनि का यह हाल देखकर नारद जी बहुत प्रसन्न हुए। नारद जी ने सभी देवताओं को शनि का यह हाल दिखाया। शनि का यह हाल देखकर ब्रह्मा जी भी वहाँ आ गए। उन्होंने बालक से कहा कि मैं ब्रह्मा हूँ। आपने बहुत कठिन तप किया है। आपके परिवार की यह दुर्दशा शनि ने ही की है। आपने शनि को जीत लिया है। (Shani Ki Mahadasha)

आपने पीपल के फल खाकर जीवन जीया है। इसलिए आज से आप पिपलाद ऋषि के नाम जाने जाएंगे और आज से जो आपको याद करेगा उसके सात जन्म के पाप नष्ट हो जाएँगे। इसके साथ ही पीपल की पूजा करने से आज के बाद शनि कभी कष्ट नहीं देगा। (Shani Ki Mahadasha)

ब्रह्मा जी ने पिपलाद बालक को कहा कि अब आप इस शनि को आकाश में स्थापित कर दो। बालक ने शनि को ब्रह्माण्ड में स्थापित कर दिया। पिपलाद ऋषि ने शनि से यह वायदा लिया कि जो पीपल के वृक्ष की पूजा करेगा, उसको आप कभी कष्ट नहीं दोगे। शनैश्चर ने ब्रह्मा जी के सामने यह वायदा ऋषि पिपलाद को दिया था। (Shani Ki Mahadasha)

उसी दिन से यह परंपरा है कि जो ऋषि पिपलाद को याद करके शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करता है उसको शनि की साढ़े साती, शनि की ढैया और शनि महादशा कष्टकारी नहीं होती है। महादशा से मुक्ति के लिए शनि की पूजा और व्रत एक वर्ष तक लगातार करनी चाहिए। (Shani Ki Mahadasha)

शनि को तिल और सरसो का तेल बहुत पसंद है। इसलिए तेल का दान भी शनिवार को करना चाहिए। पूजा करने से तो दुष्ट मनुष्य भी प्रसन्न हो जाता है तो फिर शनि क्यो नहीं प्रसन्न होगा? इसलिए शनि की पूजा का विधान तो भगवान ब्रह्मा ने दिया है। (Shani Ki Mahadasha)

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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