MP Forest News : मध्यप्रदेश में वनकर्मियों को वेतन के रूप में भुगतान की गई अधिक राशि की वसूली फिलहाल टल गई है। कर्मचारी संगठनों ने इसे लेकर आंदोलन करने और कोर्ट की शरण लिए जाने की चेतावनी दी थी। इसके चलते वन विभाग को यह निर्णय लेने को मजबूर होना पड़ा। इससे वनकर्मियों में खुशी की लहर है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2006 से 2014 के बीच प्रशिक्षित होने वाले वनरक्षकों को 5200-20200+1900 रुपए का मूल वेतन दिए जाने के बजाय 5680+1900 रुपए का भुगतान अभी तक किया जा रहा था। यह राशि वनरक्षकों से ब्याज सहित वसूल किए जाने के आदेश जारी हुए थे।
इससे वन कर्मचारी संगठनों में आक्रोश व्याप्त हो गया था। कर्मचारी संगठनों ने इसे लेकर आंदोलन करने और कोर्ट की शरण लेने की चेतावनी दी थी। इसी के चलते वन विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा।
विभाग ने जारी किया यह आदेश
इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख (शाखा प्रशासन-II) कार्यालय से 15 अक्टूबर 2024 को आदेश कर दिए गए हैं। आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि जब तक इस कार्यालय से कोई निर्देश न दिया जाएं, तब तक वनरक्षकों से वसूली की कार्यवाही नहीं की जावें। यह आदेश अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशासन-II ) कमलिका मोहन्ता ने जारी किए हैं।
खतरा पूरी तरह टला नहीं है
भले ही वसूली की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई हो, लेकिन भविष्य में वनरक्षकों से वसूली किए जाने की संभावना बनी हुई है। अभी भी यह संभावना बनी हुई है कि भविष्य में फिर से वसूली किए जाने की कार्यवाही की जाएं।
इसी पत्र में यह भी कहा गया है कि ‘वित्त विभाग के उपरोक्त पत्र के संदर्भ में पुनर्विचार हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है। अत: वित्त विभाग के निर्देशानुसार 5800/- प्राप्त वनरक्षकों का केवल कार्यालय स्तर पर तुलनात्मक वेतन निर्धारण तैयार किया जाकर परीक्षण किया जाएं कि प्रति व्यक्ति कितनी राशि की वसूली संभावित है।’
यह लगाए जा रहे हैं कयास
हालांकि कर्मचारी संगठनों के पुरजोर विरोध को देखते हुए ऐसा लगता नहीं कि निकट भविष्य में वसूली की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाएगी। सभी को इस बात की संभावना ज्यादा है कि अब इस मामले को पूरी तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, ताकि कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश और ज्यादा आगे ना बढ़ सके।
संगठनों की यह थी तैयारी
बैतूल जिले में भी वसूली के दायरे में करीब डेढ़ सैकड़ा वनरक्षक आ रहे थे। इनके हितों की रक्षा के लिए वन कर्मचारी संगठन के जिला अध्यक्ष फिरोज खान और वन एवं वन्य प्राणी कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष आकाश प्रधान के नेतृत्व में बैठकों का दौर शुरू हो चुका था।
निर्णय लिए गए थे कि यदि वनरक्षकों से वसूली को लेकर सरकार के हर कदम का धरना प्रदर्शन कर विरोध किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो न्यायालय की शरण भी ली जाएगी। लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए इस निर्णय को वनरक्षकों के हित मे बताया है।
यह बोले संगठन के पदाधिकारी
इस संबंध में वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष फिरोज खान ने कहा कि शासन स्तर पर वसूली के आदेश जारी होने के बाद वनरक्षकों में आक्रोश व्याप्त हो गया था। लेकिन, कर्मचारी हित में वसूली कार्यवाही स्थगित किया जाना कर्मचारियों के हित में है। हम इसका स्वागत करते हैं।
वहीं वन एवं वन्य प्राणी कर्मचारी संरक्षण संघ के जिला अध्यक्ष आकाश प्रधान का कहना है कि शासन के आदेश के बाद वनकर्मियों के हितों को लेकर रणनीति तैयार करने बैठक ली थी। वसूली कार्यवाही स्थगित किए जाने के निर्देश स्वागत योग्य हैं।
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