Kheti Kisani : यूरिया-डीएपी के साथ थोपे जा रहे अनचाहे उत्पाद

Kheti Kisani : यूरिया-डीएपी के साथ थोपे जा रहे अनचाहे उत्पाद

उर्वरक कंपनियों की दोहरी नीति से खफा विक्रेताओं ने उप संचालक को सौंपा ज्ञापन

Kheti Kisani : बैतूल। जिला खाद, बीज, दवा विक्रेता संघ ने रासायनिक उर्वरक प्रदायक कंपनियों की मनमानी का विरोध करते हुए उपसंचालक (कृषि) किसान कल्याण एवं कृषि विकास बैतूल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उर्वरक विक्रेताओं ने आरोप लगाया है कि कंपनियां यूरिया और डीएपी जैसे मुख्य उर्वरकों के साथ अपने अन्य उत्पाद, जैसे जिंक, सल्फर, सागरिका, माइकोराइझा, पी.डी.एम., नैनो डीएपी, सिटी कम्पोस्ट, पोली हैलाइट, कीटनाशक बीज, आदि जबरदस्ती टेगिंग कर रही हैं।

विक्रेताओं ने बताया कि अगर वे कंपनियों के इन अतिरिक्त उत्पादों को नहीं खरीदते हैं, तो उन्हें यूरिया और डीएपी जैसी जरूरी खादें देने से इनकार किया जाता है। इस कारण विक्रेताओं को मजबूरी में टेगिंग किए गए उत्पाद भी खरीदने पड़ते हैं, जिसे आगे किसानों को बेचना पड़ता है।

यह स्थिति किसानों और विक्रेताओं के बीच वाद-विवाद की वजह बनती जा रही है। विक्रेताओं का कहना है कि किसानों को जबरन दिए गए उत्पादों की गुणवत्ता और जरूरत पर सवाल उठते हैं, जिससे उनके रिश्ते बिगड़ते हैं।

कंपनियों की दोहरी नीति पर सवाल

ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि विपणन संघ, एम.पी. एग्रो और सोसायटियों को बिना किसी टेगिंग के यूरिया और डीएपी उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि निजी विक्रेताओं को इन उर्वरकों के साथ अनचाहे उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इसके अलावा, विपणन संघ और सोसायटियों को एफ.ओ.आर. (फ्री ऑन रोड) व्यवस्था के तहत बिना अतिरिक्त परिवहन और हम्माली शुल्क के उर्वरक उनके गोदाम तक पहुंचाए जा रहे हैं। जबकि निजी विक्रेताओं को एक्स-गोदाम से उर्वरक उठाने के लिए अतिरिक्त भाड़ा और हम्माली शुल्क वहन करना पड़ता है।

विक्रेताओं की मांग: समान नीति अपनाई जाए

जिला खाद, बीज, दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष प्रकाश जैन, सचिव रविंद्र बाजपेई, और कोषाध्यक्ष राजेन्द्र माहेश्वरी ने मांग की है कि सभी विक्रेताओं के लिए समान नीति लागू की जाए। कंपनियों को निर्देशित किया जाए कि वे निजी विक्रेताओं को भी एफ.ओ.आर. व्यवस्था के तहत उर्वरक उपलब्ध कराएं और यूरिया-डीएपी के साथ अन्य उत्पादों की जबरन टेगिंग करना बंद करें।

किसानों के साथ तनावपूर्ण स्थिति

टेगिंग किए गए उत्पादों की बिक्री के दौरान कई बार विक्रेताओं और किसानों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। किसानों को यह महसूस होता है कि उन्हें ऐसे उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता नहीं है। विक्रेताओं का कहना है कि वे इस अनचाही बिक्री के कारण असहज महसूस करते हैं, लेकिन कंपनियों के दबाव के चलते उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता।

बैतूल जिले के उर्वरक विक्रेताओं ने सरकार और कृषि विभाग से इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कंपनियों की दोहरी नीति को समाप्त करने की अपील की है ताकि विक्रेताओं और किसानों दोनों को राहत मिल सके।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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