Daily Wage Employees MP: मध्यप्रदेश में बीते कई सालों से नौकरी करके अल्प वेतन में अपने परिवार का गुजारा कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। यह तलवार इसलिए लटक रही है, क्योंकि राज्य शासन द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित किए जाने के बावजूद इनकी नियुक्तियां की गई है।
यह मामला तब चर्चा में आया जब प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 8 अक्टूबर 2025 को सभी नगर पालिक निगम आयुक्त तथा नगर पालिका व नगर परिषदों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों से इस बारे में ब्योरा तलब किया है। इस पत्र में प्रदेश शासन के वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र क्रमांक 656/527/2000/सी/चार/ दिनांक 20.03.2000 का संदर्भ दिया गया है।
क्या कहा गया है अभी जारी पत्र में
नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय के उप सचिव प्रमोद कुमार शुक्ला द्वारा 8 अक्टूबर को जारी इस पत्र में संदर्भित पत्र का हवाला देते हुए आयुक्तों और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को उक्त पत्र का अवलोकन करने को कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है कि उक्त पत्र दैनिक वेतन पर किसी भी प्रकार की नियुक्ति न करने के संबंध में है।

कहां-कहां लागू होना था यह प्रतिबंध
पत्र में आगे कहा गया है कि उक्त परिपत्र की कंडिका 3 में स्पष्ट किया गया है कि यह आदेश सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, मण्डलों, नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों तथा सहकारी संस्थाओं पर भी लागू होगा।
फिर क्या इन निर्देशों का पालन हुआ
पत्र में आगे कहा गया है कि शासन के वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए स्पष्ट निर्देशों के उपरांत भी शासन के ध्यान में यह तथ्य आया है कि कुछ नगरीय निकायों द्वारा दैनिक वेतन पर नियुक्तियां की गई है। यह राज्य शासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।
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विभाग ने तलब की पूरी जानकारी
अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 28 अगस्त 2000 के उपरांत नगरीय निकायों में नियुक्त किए गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का विवरण मांगा है। इसमें कर्मचारी का नाम, नियुक्ति दिनांक, वर्तमान पारिश्रमिक, तत्कालीन आयुक्त या मुख्य नगर पालिका अधिकारी का नाम, नियुक्ति के संबंध में राज्य शासन की अनुमति और रिमार्क आदि जानकारी मांगी गई है।

इस मामले में अब आगे क्या होगा
जानकारी मिलने के बाद शासन द्वारा इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। हालांकि जिस तरह से तत्कालीन अधिकारी का भी नाम भी मांगा गया है, उससे संभावना जताई जा रही है कि कार्रवाई की गाज उन अधिकारियों पर भी गिरेगी, जिन्होंने यह नियुक्तियां की है। वैसे यह सब निर्णय लिए जाने के बाद से स्पष्ट होगा।
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पत्र ने बढ़ाई कर्मचारियों की चिंता
इस पत्र ने वर्ष 2000 के बाद लगे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की चिंता भी बढ़ा दी है। उन्हें यही डर सता रहा है कि इतने सालों तक नौकरी करने के बाद यदि उन्हें हटा दिया तो अब वे कहां जाएंगे और अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे। कई कर्मचारी तो सरकारी नौकरी के लिए निर्धारित आयु सीमा भी पार कर गए हैं।
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