Madhya Pradesh Government Employees Reforms: मध्यप्रदेश में खत्म होगी 5-डे वीक व्यवस्था, कर्मचारियों के लिए और भी कई बदलाव

Madhya Pradesh Government Employees Reforms: मध्यप्रदेश में 5 कार्यदिवस के सप्ताह की व्यवस्था जल्द ही समाप्त होने वाली है। सरकारी छुट्टियों का पैटर्न भी बदलने वाला है। इसके अलावा सरकारी सेवा के लिए 2 बच्चों की शर्त भी समाप्त हो जाएगी। यही नहीं पेंशन के नियम भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह होंगे, जिसमें बेटियों को भी पारिवारिक पेंशन की पात्रता है।

प्रदेश सरकार नए साल से कर्मचारियों के लिए कई व्यवस्थाओं में बदलाव करने की तैयारी में है। इसके तहत छुट्टी का सिस्टम भी खास तौर से बदलने वाला है। सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि कोरोना काल में शुरू हुआ 5-डे वीक सिस्टम को समाप्त कर दिया जाए।

अभी वर्किंग डे से ज्यादा छुट्टियां

प्रदेश में फिलहाल जो स्थिति है उसमें वर्किंग डे से ज्यादा छुट्टियों के दिन है। बताया जाता है कि 365 दिनों में से 197 दिन छुट्टियों में चले जाते हैं और लगभग 168 वर्किंग डे होते हैं। यह स्थिति देखते हुए ही सरकार नये साल से इस सिस्टम में बदलाव लाना चाह रही है।

MP employees reforms: मध्यप्रदेश में खत्म होगी 5-डे वीक व्यवस्था, कर्मचारियों के लिए और भी कई बदलाव

जिलों में अलग-अलग होंगे अवकाश

इसके अलावा छुट्टियों का पैटर्न भी नए साल से बदलेगा। अभी ऐच्छिक अवकाश छोड़ कर पूरे प्रदेश में एक जैसी छुट्टियां है। अब ऐसा न करके जिलों के स्थानीय त्योहारों और पंरपराओं के अनुसार छुट्टियां देने की तैयारी है। क्षेत्रवार अवकाश प्रणाली के लिए एक समिति भी गठित की गई है। एच्छिक अवकाशों में भी बदलाव किया जा सकता है।

बेटियों को भी दी जाएगी पेंशन

एक महत्वपूर्ण बदलाव पेंशन को लेकर भी होने वाला है। जल्द ही प्रदेश में भी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह 25 साल से ज्यादा आयु की अविवाहित, विधवा या परित्यक्ता बेटी भी परिवार पेंशन प्राप्त कर सकेंगी।

अभी इसका लाभ 25 साल तक की अविवाहित बेटी को ही मिलता है। यह प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया है। इसे वित्त विभाग की सैद्धांतिक सहमति भी प्राप्त हो चुकी है।

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दो बच्चों की शर्त होगी समाप्त

एक सबसे बड़ा बदलाव सरकारी नौकरी के लिए 2 बच्चों की शर्त समाप्त करने को लेकर है। यह नियम भी खत्म होने वाला है। इससे इस बदलाव के बाद 3 संतान वाले उम्मीदवार भी नियुक्ति के पात्र होंगे। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी यह शर्त हटाई जा चुकी हैं।

केवल उम्मीदवारों को ही नहीं बल्कि वर्तमान में नौकरी कर रहे कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। यह बदलाव होते ही तीसरी संतान से जुड़े वे सभी प्रकरण स्वत: समाप्त माने जाएंगे जो कि अभी न्यायालयों चल रहे हैं या विभागीय जांचों में लंबित हैं। ऐसे मामलों में अब कोई कार्रवाई नहीं होगी।

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