Bhai Dooj Puja Vidhi: भाई दूज का त्योहार भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के अटूट स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
इस पर्व पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उसकी मंगल कामना करती है। कहा जाता है कि इस दिन बहन द्वारा भाई को तिलक लगाने से यमराज स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन बहन द्वारा किए गए पूजा-पाठ और तिलक का विशेष महत्व होता है।
इन बातों का पालन करना जरुरी
इस पर्व के लिए कुछ विधि विधान भी तय हैं। इस दिन कुछ बातें हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है। यदि बहनें इन नियमों का ध्यान न रखें तो पूजा का फल अधूरा रह सकता है। आइए जानते हैं भाई दूज के दिन क्या करें और किन बातों से बचें।

भाई को अवश्य लगाएं तिलक
भाई दूज के दिन भाई के माथे पर तिलक लगाना सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है। मान्यता है कि बहन द्वारा तिलक लगाए बिना यह पर्व अधूरा रहता है। यह तिलक न केवल शुभता का प्रतीक है, बल्कि बहन की अपने भाई के प्रति सच्ची भावनाओं का भी संकेत है।
ऐसा माना जाता है कि जब बहन अपने भाई को तिलक लगाती है, तो यमराज स्वयं उसकी रक्षा का वचन देते हैं। यदि भाई किसी कारण से दूर है, तो उसकी तस्वीर पर तिलक लगाकर उसे आशीर्वाद देना भी शुभ माना जाता है।
पूजा में जल्दबाजी न करें
कई बार देखा जाता है कि बहनें जल्दी-जल्दी पूजा संपन्न कर लेती हैं, जबकि ऐसा करना शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं है। भाई दूज के दिन पूजा में जल्दबाजी करने से देवता और यमराज दोनों नाराज हो सकते हैं।
इसलिए इस दिन का पूजन पूरे मन और श्रद्धा से किया जाना चाहिए। भाई और बहन को मिलकर यमराज और यमुना जी की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को घर बुलाकर तिलक किया था और तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।

तिलक में काले रंग का न करें प्रयोग
भाई दूज के तिलक में काला रंग या काजल का उपयोग अशुभ माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि तिलक के लिए केवल रोली, चंदन, हल्दी या केसर का प्रयोग करना चाहिए। ये सभी शुभता, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक हैं। काले रंग को नकारात्मक ऊर्जा का द्योतक माना गया है, इसलिए इस दिन इसका उपयोग वर्जित बताया गया है।
शाम के समय पूजा करने से बचें
भाई दूज की पूजा सुबह या दोपहर में की जानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, शाम के समय तिलक लगाना या पूजा करना उचित नहीं माना गया है। कहा जाता है कि उस समय यमराज की ऊर्जा अधिक प्रभावी रहती है, जिससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं। इसलिए सुबह या दोपहर के समय पूजा करना सर्वोत्तम होता है।
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भाई दूज पर यह कार्य जरुर करें
इस दिन बहन को अपने भाई की आरती करके उसके माथे पर तिलक लगाना चाहिए। इसके बाद उसे मिठाई खिलाना और नारियल का गोला देना शुभ माना गया है। भाई को भी अपनी बहन को उपहार देकर उसका आशीर्वाद लेना चाहिए। यह परंपरा केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि प्रेम और कृतज्ञता का सुंदर रूप है।
यमराज और यमुना जी की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। कहा जाता है कि इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। दीपदान करना भी अत्यंत शुभ कार्य माना गया है। जो बहन इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दान देती है, उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
भाई दूज पर क्या न करें
भाई दूज के दिन बहन को खाली हाथ नहीं रहना चाहिए। पूजा के बाद भाई को मिठाई खिलाना और उसे उपहार देना जरूरी माना गया है। इसके अलावा, बहनों को इस दिन किसी से झगड़ा या कटु वचन नहीं बोलना चाहिए। यह दिन स्नेह और प्रेम का है, इसलिए नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए।
भाई दूज से बनी रहती है रिश्तों में मिठास
भाई दूज केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि रिश्तों की मिठास को बनाए रखने का अवसर भी है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी की भावना को और मजबूत करता है। बहन की सच्ची भावना और भाई का स्नेह इस पर्व को और भी खास बनाते हैं।
कम न करें पवित्र पर्व का महत्व
इस पर्व पर परिवार में उमंग और आत्मीयता का माहौल बन जाता है। भाई दूज पर्व यह याद दिलाता है कि रिश्तों की मजबूती केवल उपहारों या रस्मों में नहीं, बल्कि भावना और स्नेह में छिपी होती है। इसलिए इस दिन को पूरे प्रेम और सकारात्मकता के साथ मनाना चाहिए और ऐसी कोई गलती नहीं करनी चाहिए जिससे इस पवित्र त्योहार का महत्व कम हो।
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🔹 Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पुराणों और पारंपरिक विश्वासों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जनसामान्य को जानकारी देना है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे आस्था और परंपरा के अनुसार अपने विवेक से अपनाएं।
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