Bhai Dooj 2025: भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व भाई और बहन के रिश्ते को और गहराई देने वाला है। यह दिन केवल तिलक और उपहारों का नहीं, बल्कि आपसी स्नेह, आशीर्वाद और जिम्मेदारी की भावना को व्यक्त करने का पर्व है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, खुशहाली और सफलता की कामना करती हैं। दूसरी ओर भाई अपनी बहनों को स्नेह और सुरक्षा का आश्वासन देते हैं। यह पर्व मनाने भाई दूर-दूर से अपनी बहनों के घर पहुंचते हैं।
किस दिन मनाया जाएगी भाई दूज
हिंदू पंचांग में बताया गया है कि इस साल द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025 को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 23 अक्टूबर 2025 को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।

तिलक के लिए शुभ समय
धार्मिक विद्वानों ने इस वर्ष भाई दूज के तिलक के लिए दो महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त बताए हैं। पहला अभिजित काल सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। दूसरा अमृत काल शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इन समयों को तिलक और पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
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यम द्वितीया का यह है महत्व
भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि इसका संबंध यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी एक पौराणिक कथा से है। कहा जाता है कि यमराज एक बार अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर पहुंचे। यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, तिलक लगाया, आरती उतारी और प्रेमपूर्वक भोजन कराया।

प्रसन्न होकर दिया था यह आशीर्वाद
अपनी बहन के इस स्नेह से प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा और उसके घर भोजन करेगा, उसे दीर्घायु और सुख की प्राप्ति होगी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है और भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है।
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स्नेह और अपनत्व का प्रतीक पर्व
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों का स्वागत करती हैं, उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और उनके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। इसके बाद वह अपने हाथों से भोजन कराती हैं, जो उनके स्नेह और अपनत्व का प्रतीक होता है। भाई भी इस अवसर पर अपनी बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देते हैं।
रक्षाबंधन और भाई दूज में अंतर
रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों ही भाई-बहन के प्रेम से जुड़े पर्व हैं, लेकिन इन दोनों का भाव अलग-अलग है। रक्षाबंधन में भाई बहन की सुरक्षा का संकल्प लेता है, जबकि भाई दूज में बहन अपने स्नेह और सेवा से भाई की भलाई की कामना करती है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में पारिवारिक मूल्यों, प्रेम और परस्पर सम्मान का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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