Betul Rape Case: नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार: टीकमगढ़ के आरोपी को 20 साल का कठोर कारावास

Betul Rape Case: एक नाबालिग बालिका का व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी को न्यायालय ने 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 8000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। यह सजा अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) 2012 बैतूल ने सुनाई। प्रकरण में आरोपी हरीदास पिता हल्के अहिरवार, उम्र-27 वर्ष, निवासी-जशवंत नगर पोस्ट मवई, थाना बलदेवगढ़, जिला टीकमगढ़ (मप्र) को सजा सुनाई गई है।

इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्रीमती वंदना शिवहरे द्वारा पैरवी की गई। श्रीमती शिवहरे ने बताया कि आरोपी को धारा 5(एल)/6 पॉक्सो एक्ट समाविष्ट धारा 376(3), 376(2)(एन), 376(क) भादंवि एवं धारा 3/4, 5(जे)(पप)/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5000 जुर्माना, धारा 366(ए) भादंवि में 05 वर्ष कठोर कारावास एवं 2000 रुपये जुर्माना तथा धारा 363 भादंवि में 03 वर्ष कठोर कारावास एवं 1000 रुपये के जुर्माने से दण्डित किया गया है।

पीड़िता की मां ने दर्ज कराई गुमशुदगी

घटना का संक्षिप्त विवरण यह है कि पीड़िता की मां ने थाना चिचोली में 04 मई 2024 को उपस्थित होकर इस आशय की गुमशुदगी दर्ज कराई। उसके अनुसार 22 अप्रैल 2024 को उसके सौतेले लड़के की शादी थी, जिस कारण शादी में मेहमान आये हुये थे। 24 अप्रैल 2024 को सुबह 11 बजे उसकी पुत्री उम्र-17 वर्ष उसे चिचोली जाने का बोलकर गई थी, जो वापस नहीं आयी।

कहीं नहीं चल सका था पता

उसे आसपास व रिश्तेदारों में पता किया, जिसका कुछ पता नहीं चला। उसे शंका है कि उसकी पुत्री को कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया है। पीड़िता की माता की उक्त रिपोर्ट पर थाना चिचोली में गुमइंसान लेख की गई तथा अज्ञात के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

दिल्ली से किया गया था दस्तयाब

विवेचना के दौरान पीड़िता को 18 जुलाई 2024 को दिल्ली में आरोपी हरिदास की झोपड़ी से दस्तयाब किया गया। उससे पूछताछ की गई, जिसमें उसने बताया कि अभियुक्त हरिदास उसे शादी का कहकर उसे दिल्ली ले गया और शादी कर लेगा कहते हुए कई बार जबरदस्ती उसके साथ बलात्कार किया।

मेडिकल के बाद किया मां के सुपुर्द

तत्पश्चात पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया। जिसके उपरांत पीड़िता को उसकी मां को सुपुर्द किया गया। पीड़िता के कथनों के आधार पर हरिदास को गिरफ्तार किया गया। डीएनए रिपोर्ट में पीड़िता के स्त्रोत वैजाईनल स्लाइड पर वाय क्रोमोसोम की उपस्थिति पाई गई थी, जिसके संबंध में अभियुक्त द्वारा कोई खण्डन नहीं किया गया।

अभियोजन में सिद्ध किया अपराध

आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय बैतूल के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। विचारण में अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध पाकर उपरोक्त दण्ड से दंडित किया गया।

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