
Betul News: (बैतूल)। विशेष न्यायाधीश, अनन्य विशेष न्यायालय, (पॉक्सो एक्ट) बैतूल ने नाबालिग युवती को बहला-फुसलाकर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी को 20 साल के सश्रम कारावास और 7 हजार रुपए अर्थदंड की सजा से दंडित किया है। आरोपी सुखदेव पुवारे पिता लोठू पुवारे, उम्र-24 वर्ष, निवासी-ग्राम तेलीढ़ाना, हिवरखेड़ी, थाना कोतवाली, जिला-बैतूल को यह सजा सुनाई है।
आरोपी को धारा 363 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2,000 रुपए का जुर्माना तथा 376(2)(एन) में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000 के जुर्माने से दंडित किया गया है। प्रकरण में शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी एस.पी.वर्मा, वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ओमप्रकाश सूर्यवंशी द्वारा पैरवी की गई।
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घटना का विवरण इस प्रकार है कि पुलिस चौकी खेड़ी में पीड़िता के चाचा ने रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि 20 अक्टूबर 2018 की सुबह करीब 6 बजे उसकी भतीजी आयु 17 वर्ष घर से कहीं चली गयी है। जिसे कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर अपरहरण कर ले गया है। जिसकी आसपास व रिश्तेदारी में तलाश की किंतु उसका कोई पता नहीं चला।
पीड़िता के चाचा की रिपोर्ट पर गुमइंसान रिपोर्ट दर्ज की गयी तथा अज्ञात आरोपी के विरूद्ध अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान 07 फरवरी 2020 को पीड़िता को दस्तयाब किया गया। उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया। उससे पूछताछ कर धारा 161 दंड प्रक्रिया संहिता के कथन लेखबद्ध किये गये। जिसमें उसने बताया कि आरोपी उसे शादी करने का कहकर इन्दौर ले गया था। वहां किराया का कमरा लेकर उसे रखा तथा उसके साथ शादी करूंगा कहकर कई बार जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाये थे।
विवेचना के दौरान डीएनए परीक्षण हेतु वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित की गयी थी। जिनका डीएनए परीक्षण कराया गया। डीएनए परीक्षण रिपोर्ट का परिणाम सकारात्मक आया। संकलित किये गये पीड़िता के सैम्पलों में आरोपी के डीएनए की मौजूदगी पायी गयी। जिससे यह तथ्य संदेह से परे प्रमाणित हो गया कि आरोपी द्वारा पीड़िता के साथ लैंगिक संभोग किया गया। पीड़िता ने भी अपने न्यायालयीन कथन में आरोपी द्वारा उसे इन्दौर ले जाकर किराये के कमरे में रखकर अनेक बार जबरदस्ती गलत काम (बलात्कार) बताया।
आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। विचारण में अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया।