उज्जैन। Ujjain News सम्राट विक्रमादित्य व राजा भोज के काल में शिल्प कला के क्षेत्र में समृद्ध रही उज्जैन में एक बार फिर मूर्तियों का शिल्पांकन शुरू हो गया है। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के इस उपक्रम को विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा जमीन दी गई है। जल्द ही मूर्ति निर्माण कार्यशाला विश्वविद्यालय परिसर स्थित जनसंचार एवं पत्रकारिता अध्ययनशाला के समीप शुरू होगी। बता दें वर्तमान में हरिफाटक ब्रिज के समीप हाट बाजार परिसर में मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है।
Ujjain News महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा स्वराज संस्थान संस्कृति मंत्रालय मध्य प्रदेश के माध्यम से उज्जैन के पुरावैभव को लौटाने के लिए नए सोपान गढ़े जा रहे हैं। नया उपक्रम मूर्तिशिल्प के क्षेत्र में उज्जैन को उसकी पहचान लौटाने का है। सम्राट विक्रमादित्य के काल में अवंती जनपद की राजधानी रही उज्जैन मूर्ति शिल्प के क्षेत्र में प्रसिद्ध थी। राजा भोज के काल में भी यह कला खूब फली फूली। दोनों ही शासकों के काल में मंदिरों की विशाल श्रृंखलाओं का निर्माण कराया गया। उस समय मालवा में मंदिर कहीं भी बने, लेकिन मूर्तियों का निर्माण उज्जैन में ही हुआ। अब इतिहास अपने आप को पुन: दोहराने जा रहा है।
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महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा उज्जैन में मूर्ति शिल्प कार्यशाला शुरू की जा चुकी है। वर्तमान में हरी फाटक ओवरब्रिज के समीप हाट बाजार में मूर्तियों का शिल्पांकन किया जा रहा है। लेकिन अब विक्रम विश्वविद्यालय ने कार्यशाला के लिए भूमि आवंटित कर दी है, जल्द ही विश्वविद्यालय परिसर में इसकी शुरुआत होगी। शिल्ककला के शोधार्थी यहां मूर्तिकला सीखने के साथ शोध कर सकेंगे।
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