Trachoma Disease : बधाई… भारत ने जीती गंभीर बीमारी ‘ट्रेकोमा’ से जंग

Trachoma Disease : बधाई... भारत ने जीती गंभीर बीमारी 'ट्रेकोमा' से जंग

Trachoma Disease : यदि आंखों में दिखाई न दें तो सब कुछ होते हुए भी सारा जग सूना ही रहता है। खुशखबरी यह है कि अब भारत में किसी के लिए ‘जग सूना’ नहीं रहेगा। भारत ने हमेशा के लिए अंधेपन का कारण बन सकने वाली गंभीर बीमारी ‘ट्रेकोमा’ से जंग जीत ली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आधिकारिक तौर पर भारत को ट्रेकोमा से मुक्त घोषित कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि स्पष्ट दृष्टि जीवन के सबसे अनमोल उपहारों में से एक है, जो दैनिक गतिविधियों, शिक्षा और समग्र कल्याण के लिए जरूरी है। ट्रेकोमा जैसी कई बीमारियां दृष्टि के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं, जो संभावित रूप से उपचार न किए जाने पर हमेशा के लिए अंधेपन का कारण बन सकती हैं। ट्रेकोमा, एक अत्यधिक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है, जो विश्व भर में रोके जा सकने वाले अंधेपन का एक प्रमुख कारण रहा है।

विश्व में इतने लोग प्रभावित

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरे विश्व में 150 मिलियन लोग ट्रेकोमा से प्रभावित हैं और उनमें से 6 मिलियन अंधे हैं या उन्हें दृष्टिहीनता संबंधी जटिलताओं का खतरा है। उनमें से ट्रेकोमा के संक्रामक चरण आमतौर पर बच्चों में पाए जाते हैं।

वर्षों के प्रयासों के बाद सफलता

एक महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य उपलब्धि में, भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आधिकारिक तौर पर ट्रेकोमा से मुक्त घोषित किया गया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि सरकार द्वारा लाखों लोगों की दृष्टि की रक्षा के लिए वर्षों के समर्पित प्रयासों के बाद हासिल हुई है, जिसमें हर व्यक्ति के लिए स्वस्थ दृष्टि के महत्व पर जोर दिया गया है।

Trachoma Disease : बधाई... भारत ने जीती गंभीर बीमारी 'ट्रेकोमा' से जंग

क्या है ट्रेकोमा बीमारी

ट्रेकोमा एक विनाशकारी नेत्र रोग है, जो बैक्टीरिया क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के संक्रमण के कारण होता है। ट्रेकोमा संक्रमण का प्राथमिक स्रोत संक्रमित व्यक्तियों की आांखों का स्राव है, यह कई मार्गों से फैल सकता है, जिनमें शामिल हैं-
निकट शारीरिक संपर्क, जैसे कि एक साथ खेलना या बिस्तर साझा करना, विशेष रूप से माताओं और प्रभावित बच्चों के बीच।
तौलिये, रूमाल, तकिए और अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करना।
घरेलू मक्खियां, जो संक्रमण को ले जा सकती हैं।
खांसना और छींकना।
ट्रेकोमा के संचरण को बढावा देने वाले पर्याणवरणीय जोखिम कारकों में शामिल हैं-
खराब स्वच्छता प्रथाएं।
भीड़भाड़ वाली जगहों में रहने की स्थितियां।
पानी की कमी।
पर्याप्त शौचालय और स्वच्छता सुविधाओं का अभाव।

बच्चे हाते हैं अधिक संवेदनशील

बच्चे ट्रेकोमा के प्रति अधिक संवदनशील होते हैं- जब बच्चे बार-बार संक्रमण का अनुभव करते हैं, तो उनकी ऊपरी पलकों की भीतरी सतह पर निशान पड़ सकते हैं। यह निशान एक दर्दनाक स्थिति को जन्म देता है, जिसे ट्रेकोमेटस ट्राइकियासिस के नाम से जाना जाता है, जिसमें पलक का किनारा अंदंर की ओर मुड़ जाता है, जिससे पलकें लगातार आईबॉल से रगड़ खाती हैं।

खतरे यहीं खत्म नहीं होते। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति दृष्टि दोष का कारण बन सकती है। शोध से पता चलता है कि अंधेपन लाने वाली ट्रेकोमा से जुड़ी गंभीर जटिलताओं को विकसित होने के लिए व्यक्तियों को अपने जीवनकाल में 150 से अधिक संक्रमणों को सहना पड़ सकता है।

ट्रेकोमा के खिलाफ भारत की जीत

1950 और 1960 के दशक के दौरान, भारत में ट्रेकोमा एक महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य चिंता का विषय थी। इस अवधि के दौरान, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, निकोबार द्वीप समूह और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इससे बहुत प्रभावित हुए और उनकी 50 प्रतिशत से अधिक आबादी इससे प्रभावित हुई।

1971 तक, देश में अंधेपन के सभी मामलों में से 5 प्रतिशत के लिए ट्रेकोमा जिम्मेदार था। इस गंभीर मुद्दे के जवाब में, भारत ने इस समस्या को खत्म करने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए।

ट्रेकोमा से निपटने की पहल

ट्रेकोमा स्वास्थ्य संकट से निपटने की तत्काल आवश्यकता को समझते हुए, भारत ने राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृश्य हानि नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबीवीआई) के तहत कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप लागू किए। इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण क्षण डब्ल्यूएचओ एसएएफई रणनीति को अपनाना था, जिसका उद्देश्य न केवल मौजूदा संक्रमण के मामलों का उपचार करना था, बल्कि बेहतर स्वच्छता प्रथाओं के माध्यम से भविष्य के संक्रमणों को रोकना भी था।

ट्रेकोमा से निपटने उठाए यह कदम

1. राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ- 1963 में, भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ और यूएनआईसीईएफ के समर्थन से राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। इस पहल ने व्यापक ट्रेकोमा प्रबंधन के लिए आधार तैयार किया, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया-

  • शल्य चिकित्सा उपचार: बीमारी के अंधेपन के चरण को संबोधित किया, जिसे ट्रेकोमाटस ट्राइकियासिस के रूप में जाना जाता है
  • एंटीबायोटिक वितरण: मौजूदा संक्रमणों से निपटा गया
  • चेहरे की सफाई: संचरण को कम करने के लिए, स्वच्छता को बढ़ावा दिया
  • पर्याणवरण सुधार: पानी और स्वच्छता तक पहुंच को बढ़ावा दिया गया

2. राष्ट्रीय कार्यक्रमों में एकीकरण: 1976 में, ट्रेकोमा नियंत्रण प्रयासों को व्यापक एनपीसीबीवीआई ढांचे में एकीकृत किया गया, जिससे ट्रेकोमा की उन्मूलन गतिविधियों के लिए निरंतर ध्यान और संसाधन सुनिश्चित हुए।

3. महत्वपूर्ण प्रगति: 2005 में, भारत में अंधेपन के सभी मामलों में ट्रेकोमा का योगदान 4 प्रतिशत था। उल्लेखनीय रूप से, 2018 तक, यह आांकड़ा घटकर केवल 0.008 प्रतिशत रह गया।

इन प्रयासों की सफलता को प्रभावकारी मूल्यांकन, पूर्व-सत्यापन और ट्राइकियासिस केवल सर्वेक्षणों की एक श्रृंखला के माध्यम से मान्यता मिली और जिसने पुष्टि की कि उन्मूलन लक्ष्य पहले से ही सभी ट्रेकोमा संक्रमण से ग्रसित क्षेत्रों में पूरे कर लिए गए थे। इन निरंतर प्रयासों के माध्यम से, भारत ने ट्रेकोमा उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

वर्ष 2017 से सफलता की शुरूआत

2017 तक, भारत को संक्रामक ट्रेकोमा से मुक्त घोषित कर दिया गया था। यह घोषणा तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा द्वारा राष्ट्रीय ट्रेकोमा सर्वेक्षण रिपोर्ट (2014-17) जारी करने के दौरान की गई थी।

इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष आशाजनक थे, जो कि दर्शाते थे कि सभी सर्वेक्षणित जिलों में बच्चों में सक्रिय ट्रेकोमा संक्रमण को समाप्त कर दिया गया था तथा इसका समग्र प्रचलन केवल 0.7 प्रतिशत था – जो विश्व स्वास्थ्य सांगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित उन्मूलन सीमा 5 प्रतिशत से काफी कम है।

भारत ने जारी रखी सतत निगरानी

इस प्रगति के बावजूद, जन स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता यहीं समाप्त नहीं हुई। 2019 से 2024 तक, भारत ने सभी जिलों में ट्रेकोमा के मामलों के लिए अपनी सतत निगरानी जारी रखी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह संक्रमण फिर से न उभरे।

यह निरंतर निगरानी ट्रेकोमा-मुक्त होने की कड़ी मेहनत से प्राप्त स्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने नागरिकों की आंखों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और टाले जा सकने वाले अंधेेपन को रोकने के लिए भारत के समर्पण को प्रदर्शित करती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की तारीफ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रेकोमा के खिलाफ भारत के प्रभावी उपायों की सराहना की। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने ट्रेकोमा के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और सरकार, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच इस अहम सहयोग पर बल दिया, जिसने इस महत्वपूर्ण काम को करना संभव बनाया।

इन 19 देशों में शामिल हुआ भारत

भारत अब नेपाल, म्यांमार और 19 अन्य देशों के साथ खड़ा है, जिन्होंने जन स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में ट्रेकोमा को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया है। हालाांकि, यह बीमारी 39 अन्य देशों में एक चुनौती बनी हुई है, जो वैश्विक स्तर पर लगभग 1.9 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है और कई मामलों में हमेशा के लिए अंधेपन का कारण बनती है।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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