Best varieties of wheat : खरीफ की फसलें पक चुकी है और कहीं-कहीं इनकी कटाई भी शुरू हो चुकी है। इसके साथ ही किसान अब रबी सीजन की बुआई की तैयारी भी करने लगे हैं। रबी सीजन में गेहूं की फसल मुख्य रूप से बोई जाती है।
फसल चाहे कोई भी हो, उसके उत्पादन में प्रमुख भूमिका बीजों की होती है। यदि बीजों की उन्नत किस्में उपयोग की गई है तो वे उत्पादन भी अच्छा देते हैं। यदि बीज अच्छे किस्म के नहीं हैं तो बाद में कितनी भी मेहनत की जाएं और पैसे खर्च किए जाए, उसके मनमाफिक नतीजे नहीं मिलते हैं।
आज हम गेहूं की ऐसी ही कुछ उन्नत प्रजातियों के बारे में जानेंगे जो कि कम से समय में पक जाती हैं और उत्पादन भी भरपूर देती है। कुछ को बहुत ज्यादा पानी या अन्य खर्च की भी जरुरत नहीं पड़ती। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तैयार यह किस्में अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण बेहद लोकप्रिय हैं।
1. गेहूं की एचडी 2967 किस्म
गेहूं की यह किस्म 129 से लेकर 143 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी औसत उत्पादन 50 क्विंटल प्रति हैक्टर है। वहीं बेहद अनुकूल परिस्थितियों में इससे 66 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म के पौधे विपरीत परिस्थितियों में भी तेजी से बढ़ते हैं। इनकी ऊंचाई 101 सेंटीमीटर तक होती है। गेहूं कटाई के बाद यह किस्म भूसा भी ज्यादा देती है।
यह किस्म पत्ती जंग रोग, पीले जंगल रोग और लीफ ब्लाइट के खिलाफ प्रतिरोधी होती है। यह गेहूं की ऐसी किस्म है जो कि भारत में सबसे अधिक क्षेत्र में बोई जाती है। यह व्यापक रूप से अनुकूलित किस्म है। इस अकेली किस्म ने ही भारत में कुल गेहूं उत्पादन का 50 प्रतिशत योगदान दिया है। इसकी एचडी सीएसडब्ल्यू 18 किस्म संरक्षित खेती के लिए पैदा की गई पहली किस्म है।
2. गेहूं की एचडी सीएसडब्ल्यू 18 किस्म
संरक्षण कृषि के लिए तैयार की गई यह अब तक की पहली किस्म है। जल्दी बोआई (मध्य अक्टूबर) के लिए यह किस्म उपयुक्त है। इसकी औसत उपज 60 क्विंटल प्रति हैक्टर है जो कि चेक एचडी 2967 की 55 क्विंटल प्रति हैक्टर की तुलना में ज्यादा है। यह किस्म 150 दिनों में पक जाती है। इसके पौधे की औसत ऊंचाई 110 सेंटीमीटर होती है।
3. गेहूं की डीबीडब्ल्यू 187 किस्म
इस किस्म को करण वंदना नाम से भी जाना जाता है। यह व्यापक अनुकूलता के साथ एक बायोफोर्टिफाइड गेहूं की किस्म है। यह किस्म एनईपीजेड, एनडब्ल्यूपीजेड और सीजेड की समय पर बुआई वाली सिंचित स्थितियों के लिए अनुशंसित की जाती है। इसमें उच्च उर्वरता स्थितियों के तहत औसत उपज 75.5 क्विंटल प्रति हैक्टर है। लोकप्रिय किस्मों में 28.0 से 32.0 पीपीएम की तुलना में इसमें आयरन 43.1 पीपीएम है।
4. गेहूं की एचडी 3226 किस्म
इस किस्म को पूसा यशस्वी नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म पीले, भूरे और काले जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है। यह कर्नाल बंट, पाउडर की तरह फफूंदी और पद गलन रोग के लिए भी अत्यधिक प्रतिरोधी है। इसकी बुआई का सही समय 5 से 25 नवंबर होता है, लेकिन बंपर उत्पादन के लिए अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में बुआई की सलाह जानकार देते हैं।
यह एनडब्ल्यूपीजेड समय पर बोई गई, सिंचित स्थितियों के लिए, एक उच्च उपज देने वाली किस्म है। 12.8 प्रतिशत प्रोटीन सामग्री के साथ इसकी औसत बीज उपज 57.5 क्विंटल प्रति हैक्टर है। इसमें इसमें गेहूं की सभी प्रमुख बीमारियों के खिलाफ कई तरह की प्रतिरोधक क्षमता भी है।
5. गेहूं की एचडी 3086 किस्म
इस किस्म को पूसा गौतमी के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म पीला रतुआ और भूरा रतुआ के लिए प्रतिरोधी है। इसी औसत उपज 50.46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अनुकूल परिस्थितियों और उचित देखरेख से इसकी उपज 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। देश के उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में यह बेहद लोकप्रिय किस्म है।
इस किस्म के तेजी से प्रसार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा 204 निजी बीज कंपनियों को लाइसेंस दिया है। एमओयू के तहत एकल खाद्यान्न किस्म के लाइसेंस का यह रिकॉर्ड है।
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