Kranti Gaur Indian Cricketer: हाल ही में हुए महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत की खिलाड़ियों ने अपनी श्रेष्ठता साबित की है। इसके चलते टीम की हर खिलाड़ी की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं। इस टीम में मध्यप्रदेश की भी एक खिलाड़ी थीं, जिनकी खासी चर्चा इन दिनों प्रदेश भर में हो रही है। यह खिलाड़ी है क्रांति गौड़। आज इस आर्टिकल में जानते हैं मध्यप्रदेश की इस हरफनमौला खिलाड़ी के संघर्ष से सफलता के शिखर तक पहुंचने की कहानी।
बुंदेलखंड के कई गांव अब भी संसाधनों और अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे माहौल में खासकर बेटियों के लिए अपने सपनों तक पहुंचना और भी कठिन होता है। लेकिन इन्हीं चुनौतियों के बीच छतरपुर जिले के घुवारा गांव की बच्ची क्रांति ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने पूरे देश को गर्व का एहसास कराया है। क्रिकेट के मैदान में बॉल उठाने से शुरू हुआ उसका सफर आज भारत के लिए विकेट लेने तक पहुंच चुका है।
बचपन में खेल से गहरा रिश्ता
क्रांति गौड़ का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। खेलों से उनका जुड़ाव बचपन में ही शुरू हो गया था, लेकिन उस समय वे केवल टेनिस बॉल क्रिकेट मैचों में गेंद वापस देने का काम करती थीं। मैदान में खिलाड़ियों को करीब से देखते हुए मन में धीरे-धीरे यह इच्छा जगने लगी कि एक दिन वह भी उसी मैदान में भारत की जर्सी पहनकर खेलें। हालांकि उस दौर में किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि गांवों में लड़कियों के सपने अक्सर घर के दायरे में ही कैद कर दिए जाते हैं।

पिता की चली गई पुलिस की नौकरी
क्रांति के पिता पुलिस विभाग में पदस्थ थे, लेकिन वर्ष 2012 में नौकरी जाने के बाद परिवार आर्थिक संकट में घिर गया। खर्च चलाना मुश्किल हो गया और हालत ऐसी बनी कि क्रांति को आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इस समय उनके सामने दो रास्ते थे- या तो हालात से हार जाएं या फिर किसी एक लक्ष्य को थामकर आगे बढ़ें। क्रांति ने दूसरा रास्ता चुना और क्रिकेट को ही अपना भविष्य मानकर अभ्यास में जुट गईं।
कोच ने बनाया मजबूत आधार
वर्ष 2017 में क्रांति ने छतरपुर की साईं क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। वहां कोच राजीव बिल्थारे ने उनकी मेहनत और क्षमता को भांपकर उन्हें बिना किसी शुल्क के प्रशिक्षण दिया। साथ ही रहने और खेलने के लिए जरूरी खेल सामग्री की व्यवस्था भी स्वयं ही की। इसी मार्गदर्शन ने क्रांति के करियर की नींव मजबूत की और उन्होंने टेनिस बॉल से लेदर बॉल क्रिकेट तक का सफर तय किया।
घरेलू क्रिकेट में शानदार सफलता
कड़ी मेहनत का परिणाम तब सामने आया जब वर्ष 2023-24 में उन्हें मध्यप्रदेश की सीनियर महिला टीम में चयनित किया गया। अगले ही सीजन में उनके प्रदर्शन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान उन्होंने अपनी गेंदबाजी से टीम को पहली बार घरेलू वनडे चैम्पियन बनने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह उपलब्धि उनके करियर को नई दिशा देने वाली साबित हुई।
डब्ल्यूपीएल और भारतीय टीम तक पहुंच
विश्व क्रिकेट के बड़े मंच पर पहुंचने का अवसर उन्हें तब मिला जब वर्ष 2025 में महिला प्रीमियर लीग की नीलामी के दौरान यूपी वॉरियर्स टीम ने उन्हें दस लाख रुपये में अपने साथ जोड़ा। इसके कुछ ही समय बाद उनके खेल को देखते हुए भारतीय महिला टीम में भी जगह मिल गई। श्रीलंका में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने अपना पहला वनडे मैच खेला। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में उन्होंने मात्र 52 रन देकर 6 विकेट झटके। इस शानदार प्रदर्शन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थापित कर दिया।
विश्व कप में ऐतिहासिक योगदान
वर्ष 2025 में आयोजित महिला वनडे विश्व कप भारत के लिए बेहद खास रहा। पूरे 47 साल बाद भारत की महिला टीम विश्व विजेता बनी और इस ऐतिहासिक जीत में क्रांति गौड़ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उनकी गेंदबाजी ने कई अहम मुकाबलों में टीम को मजबूत स्थिति दिलाई। इसी योगदान के सम्मान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनके लिए एक करोड़ रुपये के पुरस्कार की घोषणा की है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनीं क्रांति
क्रांति गौड़ ने दिखा दिया है कि बड़े सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जरूरी है विश्वास, मेहनत और निरंतर संघर्ष। आर्थिक अभाव, परिवार की कठिन परिस्थितियों और सामाजिक दबाव के बावजूद उन्होंने अपनी राह नहीं छोड़ी। आज वे उन सभी बेटियों के लिए मिसाल हैं जिन्हें अक्सर कहा जाता है कि यह रास्ता तुम्हारे लिए नहीं है।
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