▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Gandhi statue in junk : गांधी जयंती पर आज पूरा राष्ट्र ही नहीं बल्कि विश्व भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मरण और नमन किया जा रहा है। इसके विपरीत बैतूल जिले के खेड़ी सांवलीगढ़ में, जहां बापू खुद आए थे, उनकी प्रतिमा तक की कद्र नहीं हो रही है। यहां उनकी दो-दो प्रतिमाएं स्थापित थीं, लेकिन इनमें से एक लंबे समय से कबाड़ में पड़ी हैं।
जिला मुख्यालय के समीप बैतूल जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम खेड़ी सांवलीगढ़ यूं तो राजनीति का केंद्र रहा है। यहां ग्राम पंचायत ने स्टेडियम का निर्माण किया था। इसका नाम महात्मा गांधी मिनी स्टेडियम है। यहां गांधी जी की दो प्रतिमाएं थीं। एक विजय स्तंभ पर और दूसरी प्रतिमा एक चबूतरे पर जिसे ग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी रत्न गिरि ने स्थापित की थी।
उक्त दोनों प्रतिमाएं पूर्व सरपंचों के कार्यकाल में स्टेडियम बनाने के लिए हटाई गई थी। उन्होंने रंगमंच पर एक आदमकद गांधीजी की प्रतिमा स्थापित की, लेकिन एक बड़ी प्रतिमा को कबाड़ में रख दिया। यह ग्राम के ही एक ग्रामीण के घर कूड़े के ढेर पर अपमानित होते पड़ी है। उस प्रतिमा की सुध किसी के द्वारा नहीं ली जा रही है।
विगत वर्ष भी इस प्रतिमा को कहीं स्थापित करने की बात स्वर्गीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलदेव वागद्रे ने उठाई थी। लेकिन, जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि लंबे समय से वह प्रतिमा उपेक्षित होते हुए पड़ी है। इस गांव में वर्ष 1933 में महात्मा गांधी आये थे।
उन्होंने सरपंच सुंदरलाल ठाकरे और उनके मित्रों के साथ इसी गांधी मिनी स्टेडियम में बैठक ली थी और बारालिंग के लिए रवाना हो गये थे। उन्होंने बारालिंग में अंग्रेज मैडम मीरा बेन और सिहार गांव निवासी ठाकुर अमर सिंह के सामने उपस्थित लोगों से पूछा था कि यहाँ मंदिर में सभी वर्गों के लोगों को प्रवेश दिया जाता है या नहीं। इसके जवाब में उपस्थित पूज्य संत रंगराव महाराज ने उन्हें बताया था कि यहां कोई भेदभाव नहीं होता।
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गांधीजी उसके बाद पुन: खेड़ी वापस आये। फिर उनकी बैतूल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बिरदीचंद गोठी से मुलाकात हुई और वे बैतूल के लिए रवाना हुए। उस समय सरपंच सुंदरलाल ठाकरे ने इस स्थल का नामकरण गांधी चौक किया। बाद में इसे ग्राम पंचायत ने स्टेडियम बनाकर महात्मा गांधी मिनी स्टेडियम नामकरण किया।
वर्तमान सरपंच शर्मिला ठाकुृर के द्वारा अपने प्रयास से 14 लाख रूपये की राशि से उन्नयन का कार्य किया जा रहा है। लेकिन, महात्मा गांधी की प्रतिमा की ओर उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया। सरपंच शर्मिला ठाकुर का कहना है कि यह प्रतिमा खंडित है। इसका सुधार किया जायेगा। उन्होंने कबाड़ में राष्ट्रपिता की प्रतिमा पड़ी रहने पर दु:ख जताया और शीघ्र ही उसे सुधारने के लिए कहा है।