farming with new technology: खेती के सहारे यदि उन्नति की ओर बढ़ना है तो नई तकनीक अपनाना आवश्यक है। इसके साथ ही कृषि आधारित अन्य धंधों को शुरू करना भी जरुरी है। अच्छी बात यह है कि सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए इनके लिए आर्थिक सहायता और अनुदान भी प्रदान करती है।
देश और प्रदेश में ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी तकदीर ही बदल डाली है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में 2 ऐसे किसान हैं जो कि सरकारी योजनाओं का सहयोग और नई तकनीक अपना कर उन्नति की इबारत लिख रहे हैं। यह किसान अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनते जा रहे हैं।
कस्टम हायरिंग सेवा से बदली अपनी तकदीर (farming with new technology)
बैतूल जिले के ग्राम भिलाई निवासी कृषक राहुल पवार ने आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से न केवल अपनी खेती को लाभदायक बनाया है, बल्कि आसपास के गांवों के किसानों को भी इसका लाभ पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित कस्टम हायरिंग सेवा केंद्र योजना के अंतर्गत ट्रैक्टर, रोटावेटर, सीड्रिल, ट्रॉली, कल्टीवेटर और थ्रेसर जैसे कृषि यंत्र क्रय किए हैं।
दस लाख का मिला भारी भरकम अनुदान (farming with new technology)
कृषक राहुल पवार को इस योजना के अंतर्गत कुल 25 लाख रुपए की राशि बैंक से ऋण स्वरूप प्राप्त हुई, जिसमें शासन द्वारा 10 लाख रुपए की अनुदान सहायता भी प्रदान की गई। इस आर्थिक सहयोग से उन्होंने आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित सेवा केंद्र की स्थापना की है।
राहुल पवार ने बताया कि अब वे न केवल अपनी खेती में उन्नत तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि ग्राम भिलाई सहित आसपास के कई गांवों में इन यंत्रों के माध्यम से सेवा उपलब्ध करवा रहे हैं।
अच्छी आमदनी के साथ अन्य किसानों को भी लाभ (farming with new technology)
इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और ग्रामीण क्षेत्र के अन्य किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। यह योजना उनके लिए जैसे वरदान ही साबित हुई है।
आधुनिक तकनीक से टमाटर की खेती (farming with new technology)

बैतूल जिले के प्रभात पट्टन विकासखंड के ग्राम बालेरा के प्रगतिशील कृषक हेमराज सूर्यवंशी ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए टमाटर की खेती में एक मिसाल कायम की है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग बैतूल द्वारा संचालित एमआईडीएच योजनांतर्गत सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना के तहत श्री सूर्यवंशी ने 1 एकड़ क्षेत्र में टमाटर की खेती प्रारंभ की है।
- Read Also: Best variety of maize: मक्का की यह हैं बेस्ट वेरायटी, कम खर्च और मेहनत में देती है बंपर पैदावार
ड्रिप सिंचाई प्रणाली और मल्चिंग तकनीक (farming with new technology)
खास बात यह है कि उन्होंने इस खेती में पारंपरिक विधियों के बजाय ड्रिप सिंचाई प्रणाली और मल्चिंग तकनीक का उपयोग किया है। यह तकनीकें पौधों को आवश्यकतानुसार जल उपलब्ध कराती हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली के जरिए पौधों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचाया जाता है, जिससे जल का अपव्यय नहीं होता और मिट्टी की नमी बनी रहती है।

मल्चिंग तकनीक से यह मिलते फायदे (farming with new technology)
वहीं मल्चिंग तकनीक से मिट्टी की ऊपरी सतह पर पॉलीथिन की परत बिछाई जाती है, जो खरपतवारों की वृद्धि रोकने के साथ-साथ वाष्पीकरण की प्रक्रिया को भी धीमा कर देती है। कृषक श्री सूर्यवंशी का कहना है कि विभागीय सहायता से उन्हें यह आधुनिक तकनीकें अपनाने में मदद मिली और अब वे कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।
देश-दुनिया की ताजा खबरें (Hindi News Madhyapradesh) अब हिंदी में पढ़ें | Trending खबरों के लिए जुड़े रहे betulupdate.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए सर्च करें betulupdate.com