Cultivation of Mung Bean: नुकसानदेह बन रही मूंग की खेती, विकल्पों को अपनाना जरुरी

Cultivation of Mung Bean: मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् और भारत भारती शिक्षा समिति बैतूल के संयुक्त तत्वाधान में मूंग की वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कृषक सम्मेलन आरै कार्यशाला का आयोजन 24 मई 2025 को भारत भारती परिसर, बैतूल में किया जाएगा। इस आयोजन में बैतूल, नर्मदापुरम और हरदा जिलों के चयनित कृषक सहभागिता करेंगे। उन्हें जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक वैकल्पिक फसलों पर मार्गदर्शन देंगे।

जन अभियान परिषद् के निदेशक (सेल) डॉ. वीरेन्द्र कुमार व्यास ने बताया कि मूंग की फसल उत्पादन से प्रकृति और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन इसकी वैकल्पिक फसलों को प्राथमिकता देने की दिशा में प्रयासरत है। इसी कड़ी में कृषकों और समाज के उन्मुखीकरण के लिये यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है।

जैविक कृषि से जुड़े किसान भी होंगे शामिल (Cultivation of Mung Bean)

कार्यशाला में मूंग उत्पादक कृषकों के साथ जैविक कृषि से जुड़े कृषक भी शामिल होंगे। यहाँ नवाचार के विभिन्न आयामों पर चर्चा की जाएगी। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् के उपाध्यक्ष मोहन नागर ने बताया कि यह सम्मेलन मिट्टी सुपोषण, मानव स्वास्थ्य और स्वस्थ पर्यावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें कृषक समुदाय की सक्रिय सहभागिता अपेक्षित है।

पहले खरीफ मौसम में होती थी खेती (Cultivation of Mung Bean)

इस संबंध में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वाविद्यालय, जबलपुर एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के ग्वालियर वाईस चांसलर रहे प्रो. (डॉ.) विजय सिंह तोमर का कहना है कि किसान वर्तमान में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती बड़े स्तर पर कर रहे हैं। यह 10 साल पहले तक, बड़े पैमाने पर खरीफ में की जाती थी और यह पर्यावरण के लिए अनुकूल थी।

भूजल स्तर का हो रहा अत्यधिक दोहन (Cultivation of Mung Bean)

इसकी खेती वर्षा आधारित परिस्थितियों में की जाती थी। मूंग के पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया की मौजूदगी होने से यह फसल मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। आज मूंग की खेती का क्षेत्रफल तीन गुना से भी अधिक बढ़ गया है, लेकिन यह फसल गर्मियों में उगाई जाने लगी है, इसलिए इससे भू-जल स्तर का अत्यधिक दोहन लगातार हो रहा है।

पराली जलाना और बिजली की अधिक खपत (Cultivation of Mung Bean)

किसान मूंग की बोनी जल्द करने के लिए फसलों के अवशेषों को जलाने पर जोर देते हैं, जिसके दुष्परिणाम सामने आते हैं। इसके अलावा गर्मी के मौसम में मूंग की अतिरिक्त सिंचाई से बिजली की खपत में भी वृद्धि होती है। राज्य सरकार ने नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाया है। किसानों को नरवाई के सही उपयोग के लिये प्रशिक्षित किया जायेगा। (Cultivation of Mung Bean)

खरपतवार नाशकों का दुष्प्रभाव इंसानों पर (Cultivation of Mung Bean)

किसानों द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंग को जल्दी सुखाने के लिए खरपतवार नाशक पैराक्वेट एवं ग्लाइफोसेट का उपयोग किया जा रहा है, इससे फसल जल्दी पक जाती है। इसका दुष्प्रभाव वातावरण के साथ ही उत्पादित मूंग का सेवन करने वाले आमजन पर भी होता है। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों के बढऩे की संभावना होती है। (Cultivation of Mung Bean)

मूंग से नष्ट हो रहे मिट्टी के सूक्ष्म जीव (Cultivation of Mung Bean)

लगातार खरपतवार नाशकों का उपयोग मिट्टी में उपयोगी सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देता है, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता घटती है. साथ ही ग्रीष्मकालीन मूंग में कम से कम 3-4 बार सिंचाई करना पड़ती है। इससे भूमि का जल स्तर निरंतर नीचे जा रहा है। (Cultivation of Mung Bean)

देश-दुनिया की ताजा खबरें (Hindi News Madhyapradesh) अब हिंदी में पढ़ें | Trending खबरों के लिए जुड़े रहे betulupdate.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए सर्च करें betulupdate.com

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Leave a Comment