Best variety of maize: खेती अब केवल मजबूरी का काम नहीं रह गया है। कई उन्नत किसानों ने यह साबित किया है कि यदि खेती को भी ठीक तरीके से किया जाए तो इससे ज्यादा फायदेमंद और कोई काम नहीं है। इसके लिए जरुरी है कि खेती को अच्छी तकनीक से किया जाए और फसलों की सही वेरायटी का चुनाव किया जाएं।
मई का महीना अब समापन की ओर है। वहीं खरीफ का सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में इस सीजन में बोई जाने वाली एक प्रमुख फसल मक्का या कॉर्न की आज हम चर्चा करेंगे। मक्का न केवल भारत की बल्कि मध्यप्रदेश की भी प्रमुख फसल है। यदि इस फसल की अच्छी वेरायटी बोई जाई तो बंपर उत्पादन और फायदा लिया जा सकता है।
आज के इस लेख में हम मक्के की उन वेरायटी के बारे में जानेंगे जो कि अच्छा उत्पादन देने वाली मानी जाती हैं। किसान भाई अपने क्षेत्रीय कृषि अधिकारियों और कर्मचारियों से इस बात की जानकारी लेकर इनका उपयोग कर सकते हैं कि इस क्षेत्र में यह वेरायटी फायदेमंद साबित होगी या नहीं।
आईएमएच-224 (Best variety of maize)
मक्का की आईएचएच-224 किस्म को वर्ष 2002 में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया था। आईसीएआर ने इस किस्म को बिहार, ओडिसा, झारखंड और उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए बेहद लाभकारी बताया है।
इस किस्म से 70 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर पैदावार पाई जा सकती है। यह किस्म महज 80 से 90 दिनों में पक कर तैयार होती है। यह किस्म चारकोल रोट, मैडिस लीफ ब्लास्ट और फुसैरियम डंठल सड़न जैसे रोगों के लिए रोग प्रतिरोधी है।

पीएमएच-1 एलपी (Best variety of maize)
मक्का की यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तराखंड के किसानों के लिए अनुशंसित की गई है। इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर करीब 95 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। यह किस्म मक्का की फसल में लगने वाले कीट और रोग रोधी के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।
आईक्यूएमएच-203 (Best variety of maize)
मक्का की इस किस्म को वर्ष 2021 में विकसित किया गया है। यह किस्म बायो फोर्टिफाइड किस्म भी मानी जाती है। इस किस्म को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के किसानों के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यसह किस्म कोमल फफूंदी, चिलोपार्टेलस और फ्यूजेरियम डंठल सड़न जैसे रोगों को फसल में नुकसान पहुंचाने से रोकती है।

सिजेंटा एनके-6240 (Best variety of maize)
मक्के की इस किस्म की बुआई सभी मौसम में कर सकते हैं। यह एक समान भुट्टे वाली किस्म है। इसा किस्म की बुआई आप खरीफ, रबी और जायद में कर सकते हैं। इस किस्म की फसल की अवधि 108 से 110 दिन की रहती है। यह बीज प्रति एकड़ के लिए 7 से 8 किलोग्राम पर्याप्त माने जाते हैं।
सिजेंटा एनके-30 प्लस (Best variety of maize)
मक्का की इस किस्म की बुआई खरीफ मौसम में की जा सकती है। इस किस्म के दाने भरे और चमकदार होते हैं। इस किस्म की बुआई का समय मुख्य रूप से मई और जुलाई महीना है। यह वेरायटी 105 से 110 दिन के बीच तैयार हो जाती है।

पायनियर पी-3501 (Best variety of maize)
मक्के की यह किस्म खरीफ मौसम के लिए बेस्ट मानी जाती है। इसकी अवधि 115 से 118 दिन होती है। सिंचित और असिंचित दोनों ही क्षेत्रों में इसकी बुआई की जा सकती है। इसकी खेती के लिए मध्यम से भारी मिट्टी बेहतर होती है। प्रति एकड़ 7 किलोग्राम बीज का उपयोग किया जा सकता है। यह किस्म मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश राज्यों के लिए है।
पायनियर पी-3502 (Best variety of maize)
मक्का की यह वेरायटी भी खरीफ मौसम में बोई जा सकती है। यह वेरायटी 110 से 112 दिन में फसल तैयार कर देती है। इसमें भी प्रति एकड़ 7 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस किस्म की बुआई मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश राज्यों में की जा सकती है।

धान्या डीएमएच-8255 (Best variety of maize)
मक्का की यह किस्म खरीफ मौसम के लिए है। इस किस्म की फसल 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म के दाने आकर्षक नारंगी पीले रंग के साथ ही उच्च उपज वाले होते हैं। यह किस्म नमी के तनाव को सहन करने वाली है। इस किस्म को चारे के उद्देश्य से उपयोग किया जा सकता है।
धान्या एमएच-1107 (Best variety of maize)
यह किस्म खरीफ और रबी दोनों ही सीजन के लिए हैं। इसकी अवधि 100 से 105 दिन की होती है। यह सिंचित और असिंचित दोनों ही इलाकों के लिए ठीक है। यह किस्म वातावरण के तनाव के प्रति सहनशील है। इसके भुट्टे बड़े आकार के होते हैं। इस किस्म की सबसे बढ़िया बात यह है कि वातावरण में परिवर्तन के बावजूद पौधों के गिरने की समस्या नहीं होती है।

बायर डेकाल्ब 9133 (Best variety of maize)
यह किस्म भी सिंचित और असिंचित इलाकों के लिए है। यह कम नमी के तनाव के प्रति सहनशील वाली किस्म है। इसके दाने बोल्ड, आकर्षक, अच्छा रंग, अच्छी कर्नेल गुणवत्ता वाले होते हैं। इसे खरीफ सीजन में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिसा, तमिलनाडु में बोया जा सकता है। वहीं रबी सीजन में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बोया जा सकता है।
बायर डेकाल्ब 9126 (Best variety of maize)
मक्का की यह किस्म कम लागत में ज्यादा उत्पादन देती है। यह स्टेंडल रॉट और रस्ट के प्रति अपेक्षाकृत बेहर सहनशील होती है। इस किस्म के भुट्टे टिप तक दानों से भरे होते हैं। इसे खरीफ सीजन में तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिसा, छत्तीसगढ़ में और रबी सीजन में कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में बोया जा सकता है।
शाइन ब्रांड सीड्स राइज 303 (Best variety of maize)
यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही क्षेत्रों के लिए हैं। इस किस्म के दाने ऑरेंज कलर के होते हैं। इस किस्म के भुट्टे टिप तक दानों से भरे होते हैं। इसमें वातावरण में परिवर्तन के बावजूद पौधों के गिरने की समस्या नहीं आती। इसका प्रति एकड़ उत्पादन 35 से 40 क्विंटल तक होता है।
सीपी 999 हाइब्रिड (Best variety of maize)
मक्का की इस वेरायटी में भुट्टों में दानों की कतार ज्यादा होती है। यह किस्म रोगों के प्रति ज्यादा सहनशील है। इसके पौधों की जड़ें गहरी जाती है, जिससे पौधे गिरते नहीं हैं। इस किस्म के दाने नारंगी रंग के साथ आकर्षक होते हैं। इसमें प्रति एकड़ 8 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है।
मक्का की खेती के लिए यह भी देखना जरुरी (Best variety of maize)
1. कैसी मिट्टी है खेती के लिए सर्वोत्तम (Best variety of maize)
मक्का की खेती के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। इस मिट्टी में जल धारण क्षमता अच्छी होती है। साथ ही यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी ऐसी हो जिसमें जल निकासी क्षमता बेहतर हो, इससे जल भराव नहीं होगा।
2. जलवायु और तापमान ऐसा चाहिए (Best variety of maize)
मक्का की फसल गर्म मौसम की फसल है। इसकी खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की जरुरत होती है। इसके अंकुरण के लिए तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस, विकास के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और पकते समय 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए।
3. किन खाद और उर्वरक की जरुरत (Best variety of maize)
मक्का की फसल में सबसे ज्यादा जरुरत नाइट्रोजन की होती है। नाइट्रोजन की कुल मात्रा का आधा भाग बुआई के समय और बाकी समय-समय पर दें। इसके साथ ही फास्फोरस और पोटाश की भी आवश्यकता होती है। इनका प्रयोग बुआई के समय करना होता है।
4. मक्का को इन रोगों से होता खतरा (Best variety of maize)
मक्का की फसल पर विभिन्न रोगों और कीट खतरा पहुंचा सकते हैं, लिहाजा इनसे बचाव भी जरुरी है। मक्का को रस्ट, ब्लाइट, डाउनी मिल्ड्यू रोग मुख्यत: प्रभावित करते हैं। इसके लिए रोग प्रतिरोधक वैरायटी का चयन और जैविक तथा रासायनिक नियंत्रण जरुरी है। इसके अलावा स्टेम बोरर, कटवर्म, एफिड आदि कीट भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का उपयोग जरुरी है।
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