बिना सहमति के अभ्यर्थियों के फोटो या नाम का भी विज्ञापनों में नहीं हो सकेगा इस्तेमाल
Breaking News : नई दिल्ली। उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सीसीपीए की मुख्य आयुक्त और उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव, श्रीमती निधि खरे ने आज नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश, 2024, का उद्देश्य छात्रों और आम जनता को कोचिंग केंद्रों द्वारा आमतौर पर अपनाए जाने वाले भ्रामक विपणन तौर-तरीकों से बचाना है।
कोचिंग में लगे सभी लोगों पर होंगे लागू
ये दिशानिर्देश कोचिंग में लगे प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे, जिसका मतलब सिर्फ कोचिंग सेंटर ही नहीं है, बल्कि विज्ञापनों के माध्यम से अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने वाले किसी भी एंडोर्सर या सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति पर भी लागू होंगे।
कोचिंग सेंटरों को अपना नाम या प्रतिष्ठा देने वाले एंडोर्सर के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि वे जिन दावों का समर्थन करते हैं वे सटीक और सत्य हैं। कोचिंग संस्थानों का समर्थन करने वाले एंडोर्सर को अब अपने बढ़ावा देने वाले दावों को सत्यापित करना होगा। यदि वे झूठी सफलता दर या भ्रामक गारंटी का समर्थन करते हैं, तो कोचिंग सेंटरों के साथ उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।
⊕दिशा-निर्देशों की कुछ मुख्य बातें⊕
विज्ञापनों का विनियमन
यह दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों को प्रस्तावित पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क और धनवापसी नीतियां, चयन दर, सफलता की कहानियां, परीक्षा रैंकिंग और नौकरी की सुरक्षा के वादे, सुनिश्चित प्रवेश, उच्च परीक्षा स्कोर, गारंटीकृत चयन या पदोन्नति आदि बातों से सम्बंधित झूठे दावे करने से स्पष्ट रूप से रोकते हैं।
सत्यवादी निरूपण
उनकी सेवाओं की गुणवत्ता या मानक के बारे में भ्रामक प्रतिनिधित्व सख्त मना है। कोचिंग संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में सटीक रूप से बताना होगा।
छात्रों की सफलता की कहानियां
कथित तौर पर दिशा-निर्देश कोचिंग केंद्रों को छात्रों की लिखित सहमति के बिना विज्ञापनों में उनके नाम, फोटो या प्रशंसापत्र का उपयोग करने पर रोक लगाएंगे। उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सहमति छात्र की सफलता के बाद ही प्राप्त की जानी चाहिए। इस प्रावधान का उद्देश्य नामांकन के समय छात्रों पर पडऩे वाले दबाव को कम करना है, क्योंकि उन्हें अक्सर ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जाता है।
पारदर्शिता और प्रकटीकरण
कोचिंग केंद्रों को विज्ञापन में छात्र की तस्वीर के साथ-साथ नाम, रैंक और पाठ्यक्रम विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करना होगा। छात्र द्वारा पाठ्यक्रम के लिए भुगतान के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, किसी भी अस्वीकरण को अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के समान फ़ॉन्ट आकार के साथ प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता होगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को बारीक प्रिंट से गुमराह न किया जाए।
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झूठी तात्कालिकता पर रोक
कथित तौर पर दिशा-निर्देश कोचिंग में लगे किसी भी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आम रणनीति को लक्षित करेंगे, यानी छात्रों पर तत्काल निर्णय लेने के लिए दबाव डालने के लिए तात्कालिकता या कम सीटें बची रहने की झूठी बात, जैसे सीमित सीटें या बढ़ी हुई मांग आदि नहीं की जा सकेगी।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ भागीदारी
प्रत्येक कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ भागीदारी करनी होगी, जिससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार तौर-तरीकों के बारे में जानकारी देना या शिकायत दर्ज करना आसान हो जाएगा।
निष्पक्ष अनुबंध
दिशा-निर्देशों में अनुचित अनुबंधों के मुद्दे को हल करने की बात भी कही गई है, जो छात्र अक्सर कोचिंग सेंटरों के साथ करते हैं। कोचिंग संस्थानों को अब चयन के बाद की सहमति के बिना सफल उम्मीदवारों की तस्वीरों, नामों या प्रशंसापत्रों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। इस प्रावधान का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेते समय कई छात्रों को होने वाले दबाव को खत्म करना है।
क्रियान्वयन और दंड
इन दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना जाएगा। केंद्रीय प्राधिकरण के पास दंड लगाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और इस तरह के भ्रामक तौर-तरीकों से होने वाली घटनाओं को रोकने सहित अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अधिकार है।
छात्रों के शोषण को रोकेंगे दिशा निर्देश
श्रीमती खरे ने इस बात पर जोर दिया कि ये दिशानिर्देश छात्रों के शोषण को रोकने और यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं कि छात्रों को झूठे वादों द्वारा गुमराह न किया जाए या उपभोक्ताओं और व्यापक शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र दोनों को लाभ पहुंचाने वाले अनुचित अनुबंधों में मजबूर न किया जाए।
55 लाख से ज्यादा का जुर्माना
सीसीपीए ने कोचिंग केंद्रों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। इस सम्बंध में, सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन के लिए विभिन्न कोचिंग केंद्रों को 45 नोटिस जारी किए हैं। सीसीपीए ने 18 कोचिंग संस्थानों पर 54 लाख 60 हजार का जुर्माना लगाया है और उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश दिया है।
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