Bhopal flyover controversy: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बना एक फ्लाईओवर अपनी 90 डिग्री मोड़ को लेकर इन दिनों देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में अब मोहन सरकार ने सख्त कदम उठाया है। लापरवाही की मिसाल बने इस ऐशबाग आरओबी मामले में 8 इंजीनियर्स पर गाज गिराई गई है। इनमें दो सीई सहित सात इंजीनियर्स निलंबित किए गए हैं वहीं एक रिटायर्ड एसई की विभागीय जांच होगी। निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट को ब्लैकलिस्ट किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐशबाग आरओबी के निर्माण में हुई गंभीर लापरवाही के मामले में संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग के 8 इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें दो मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) जीपी वर्मा और संजय खांडे, दो कार्यपालन यंत्री जावेद शकील और श्रीमती शबाना रज्जाक (डिजाइन), एक सहायक यंत्री शानुल सक्सेना (डिजाइन), अनुभागीय अधिकारी रवि शुक्ला तथा उपयंत्री उमाशंकर मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

सेवानिवृत्त एसई की विभागीय जांच (Bhopal flyover controversy)
वहीं, एक सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री एमपी सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ की जाएगी। इसी के साथ आरओबी का त्रुटिपूर्ण डिजाइन प्रस्तुत करने पर निर्माण एजेंसी एवं डिजाइन कंसल्टेंट- दोनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

सोशल मीडिया पर कही यह बात (Bhopal flyover controversy)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी शेयर करते हुए कहा कि ऐशबाग आरओबी के निर्माण में जो खामियां सामने आईं, वे बेहद गंभीर हैं। आरओबी के त्रुटिपूर्ण डिजाइन के लिए निर्माण एजेंसी और डिजाइन कंसल्टेंट दोनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
सुधार के लिए बनाई गई कमेटी (Bhopal flyover controversy)
मुख्यमंत्री ने बताया कि ऐशबाग आरओबी में जरूरी सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई है। जब तक सभी सुधार कार्य पूरे नहीं हो जाते, तब तक आरओबी का लोकार्पण नहीं किया जाएगा।
रेलवे ने रिजेक्ट कर दी थी डिजाइन (Bhopal flyover controversy)
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि 2018 में पहली बार पेश किए गए डिजाइन को रेलवे ने नकार दिया था। फिर 120 डिग्री की निर्माण संचरना पर सहमति बनी। इसमें सर्कुलर पिलर का प्रावधान था। उनका कहना है कि रेलवे ने अपनी जगह पर दीवारनुमा पिलर बना दिए। स्पान पर कैप जैसा डिजाइन भी नहीं बना। इसके चलते कम जगह में ब्रिज का निर्माण करवाना पड़ा।
पहले ही कर दिया था आगाह (Bhopal flyover controversy)
दूसरी तरफ रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी को ब्रिज की डिजाइन के बारे में पहले ही आगाह कर दिया था। अधिकारियों के अनुसार इंडियन रोड कांग्रेस के 38 कोड में प्रावधान है कि यदि कहीं पर जमीन की समस्या हो तो शहरी इलाकों में न्यूनतम 30 किमी प्रति घंटे रफ्तार से आवागमन लायक ब्रिज का निर्माण कराया जा सकता है।
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