Success Story: खेड़ली की निकिता बनीं पुलिस आरक्षक, भाई है अग्निवीर– परिवार की संघर्ष से सफलता की कहानी

लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल) (Success Story)। कहते हैं कि संघर्ष करने वालों की कभी हार नहीं होती। ऐसे ही लगातार संघर्ष कर बैतूल जिले के खेड़ली गांव के नितिन कोकाटे ने अग्रिवीर बनने में सफलता हासिल की थी। अब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नितिन की बहन निकिता ने भी भाई से प्रेरणा लेकर वर्दी पहनने का गौरव हासिल किया है। निकिता का चयन मध्यप्रदेश पुलिस में आरक्षक के लिए हुआ है।

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले इंद्रपाल कोकाटे परिवार के परिवार की हालत ठीक नहीं थी। परिवार की जरूरत को पूरा करने के लिए वे वर्ष 1998 से दूध का व्यवसाय कर रहे हंै। विगत 27 वर्षों से वे प्रतिदिन खेड़ली से बैतूल दूध लाकर घरों घर बेचने का कार्य करते हैं। उनके बेटे नितिन ने 2023 में अग्निवीर बनने में सफलता हासिल की थी।

भाई को देखकर बहन ने लिया निश्चय (Success Story)

नितिन के दादा रामदास कोकाटे के मुताबिक सिकंदराबाद से आठ माह की ट्रेनिंग के बाद नाती जब पहली बार घर आया था तो सेना की टोपी पहनकर उसने माता-पिता को सैल्यूट किया था। जिसे देखकर पूरा परिवार भावुक हो गया था और नितिन की बहन निकिता कोकाटे ने जब से ही ठान लिया था कि मुझे भी अब पुलिस विभाग में ही जाना है। नितिन की वर्तमान में अंबाला में पोस्टिंग है।

पांच घंटे पढ़ाई और बनी पुलिस आरक्षक (Success Story)

भाई की वर्दी से प्रेरणा मिली तो बहन निकिता में भी आया जुनून और घर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई की। निकिता की मां बबीता कोकाटे बताती है कि बेटी घर के काम में हाथ बटाने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई करती थी। उनके पति शुरुआती दिनों में साइकिल से बैतूल दूध बेचने आया-जाया करते थे उस समय दूध 8 प्रति लीटर हुआ करता था।

दोनों बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाया (Success Story)

इसके बावजूद मेहनत करके दोनों बच्चों को खंडारा के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया और आगे की पढ़ाई जेएच कॉलेज में करवाई। मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक की भर्ती आने पर निकिता ने घर में रहकर रोजाना 6 से 7 घंटे की मेहनत की और पहली ही बार में सफलता पाई। निकिता के पिता नौवीं तक पढ़े हैं, माता पढ़ी-लिखी नहीं है। फिर भी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाई।

मां का चेहरा देता था प्रोत्साहन (Success Story)

निकिता बताती हैं कि जब वह पढ़ती थी तो रात में मां आती थी और कहती थी अब सो जाओ। मैं मां से कहती था कि आप सो जाइए। उस वक्त मां का चेहरा देखने से काफी प्रोत्साहन मिलता था। मां का चेहरा देखा तो ऐसा लगा जैसे लक्ष्य नजदीक है। उन्हें देखकर काफी हिम्मत हौसला मिला और लिखित परीक्षा पास कर शारीरिक दक्षता में भी सफल हो गई। निकिता गांव की पहली बेटी है, जिसका पुलिस में चयन हुआ है।

हर कदम पर मिला पिता का साथ (Success Story)

निकिता कोकाटे अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने पिता इंद्रपाल कोकाटे को देती हैं। निकिता बताती हैं कि पढ़ाई से लेकर फिजिकल टेस्ट की तैयारी तक, उनके पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे। दौड़ लगाने जाते समय उनके पिता हौसला बढ़ाते थे। मां भी हर दिन आशीर्वाद और दुआओं के साथ उन्हें विदा करती थीं। यह साथ और समर्थन ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी। फिजिकल टेस्ट की तैयारी के लिए निकिता अपने गुरु रिटायर्ड फौजी अशोक रघुवंशी से बैतूल के पुलिस ग्राउंड में घर से सुबह 4 बजे निकलकर ट्रेनिंग लेती थी।

ट्रेनिंग लेने इंदौर रवाना हुई निकिता (Success Story)

फिजिकल में कामयाबी से पूरे गांव में जश्न का माहौल था। निकिता ट्रेनिंग लेने इंदौर रवाना हो चुकी है। निकिता की दादी जानकी बाई कोकाटे कहती है कि नाती देश की सेवा कर रहा है। अब नातिन पुलिस की वर्दी पहनकर पीड़ितों की मदद कर न्याय दिलाएगी। ग्राम पंचायत खेड़ली के सरपंच रामकिशन टिकमे कहते हैं कि दोनों भाई- बहन नितिन और निकिता का कठिन परिश्रम और अनुशासन ग्राम के अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

कैसे आया गांव के युवाओं में जुनून (Success Story)

ग्राम खेड़ली निवासी शहीद दीपक उइके की शहादत के बाद से ग्रामीण युवाओं में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी है। वें 16वीं राजपूताना बटालियन में राइफलमैन के बतौर 14 अप्रैल 2014 को जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर शहीद हो गए थे। जब से गांव के युवाओं में जुनून ऐसा है कि सुबह दौड़ लगाना, व्यायाम करना और फिर पढ़ाई में जुट जाना, यह उनकी दिनचर्या बन गई है।

सेना में जाने के लिए बनाया था लक्ष्य (Success Story)

नितिन के पिता इंद्रपाल ने बताया कि उनका बेटा नितिन भी सेना में जाने का लक्ष्य बना चुका था। उसमें इतना जुनून था कि वह घर में सबसे पहले 4 बजे उठ जाता था और दौड़ने निकल जाता था। सेना की भर्ती की तारीख और करीब आई तो वह बैतूल के पुलिस ग्राउंड दौड़ने जाने लगा और रिटर्न एग्जाम की तैयारी घर में रहकर की।

खेती में भी बंटाता था नितिन हाथ (Success Story)

पढ़ाई के साथ-साथ वह किसानी के काम में भी हाथ बंटाता था। अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उसने भूसा भरने की मशीन भी खरीदी थी। जिसे वह किराए से चला कर किसानों के खेतों में जाकर मशीन से ट्राली में भूसा भरा करता था। नितिन ने बताया कि सेना में जाने के लिए कठिन परिश्रम से यह उपलब्धि हासिल की।

शुरूआती दो भर्ती में मिली विफलता (Success Story)

शुरुआती दो भर्ती में विफलता के बाद भी हार नहीं मानी और लगातार तैयारी जारी रखी और तीसरी बार की भर्ती में रनिंग के दौरान गिर पड़ा, घुटने फूट गए थे। फिर भी हिम्मत लगाकर खड़ा हुआ और दौड़ा सफलता हासिल। उसने बताया कि 16 सौ मीटर की दौड़ के वो 6 मिनट 15 सेकंड मेरे जीवन के सबसे कीमती मिनट थे।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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