Pea Farming : यदि आपको साल भर रुपये चाहिए तो परंपरागत खेती के अलावा अन्य फसलों की खेती पर ध्यान देना ही होगा। इनमें सब्जी और फलों का विकल्प सबसे बेहतर होता है। इसकी वजह यह है कि इनकी मांग पूरे साल भर रहती है। ऐसे में रुपयों की भी कमी किल्लत नहीं पड़ती है।
यदि आप भी इन अन्य विकल्पों को आजमाना चाहते हैं तो इसके लिए मटर की खेती फिलहाल सबसे बेस्ट उपाय है। दरअसल, बुआई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना ही सबसे उपयुक्त माना जाता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय बारिश थम चुकी होती है। जिससे जल भराव की समस्या नहीं रहती।
ज्यादा पानी की नहीं जरुरत
यह फसल ऐसी होती है जिसे कि अधिक पानी की जरुरत नहीं होती है। इसलिए यदि आपके खेत में पानी जमा है तो पहले उसे बाहर निकालना जरुरी है। इसके साथ ही जल निकासी की उचित व्यवस्था भी जरुरी है ताकि यह पानी बाद में भी मटर की फसल को दिक्कत न दें।
इस तरह करें पहले व्यवस्था
मटर की खेती के लिए सबसे पहले खेत की 2 बार जुताई कर लें। इसके बाद पाटा लगाएं और फिर क्यारी बनाएं। पौधे से पौधे की दूरी 15 से 25 सेंटीमीटर होना चाहिए ताकि पौधों को फैलाव के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।
पहले करें बीजों का उपचार
बीज लगाने से पहले उनका उपचार जरुरी है। इसके लिए 1 किलोग्राम बीज के लिए 3 ग्राम बेबस्टीयन पाउडर का छिड़काव करने की सलाह कृषि वैज्ञानिक देते हैं। बीजोपचार से फसल खराब होने का खतरा नहीं रहता है। अच्छे बीज का चुनाव भी जरुरी है।
एक हेक्टेयर के लिए इतने बीज
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 70 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुआई के समय कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर होना चाहिए। जानकारों के अनुसार मटर के लिए एसयूजीपी और पीई 42 अच्छी किस्में हैं। मटर की फसल 105 से 125 दिन में तैयार हो जाती है।
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