प्रसिद्ध कैरियर काउंसलर एवं माइंड ट्रेनर ने आरडी पब्लिक स्कूल में हुई वर्कशॉप में अभिभावकों को दिया मार्गदर्शन

Parenting Tips: मध्यप्रदेश के बैतूल शहर में स्थित प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान आरडी पब्लिक स्कूल में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, कॉम्पेटिटिव एग्जाम की तैयारी कराने के साथ ही साहित्य, कला, खेलकूद सहित अन्य विधाओं में भागीदारी करवाकर उनके चहुंमुखी विकास और भविष्य निर्माण के लिए ठोस पहल की जा रही है। बच्चों के भविष्य निर्माण में अभिभावकों की केन्द्रीय भूमिका के मद्देनजर आरडी स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल में अध्यनरत् बच्चों की फ्रेंडली पेरेटिंग के लिए पेरेटिंग वर्कशॉप (Parenting Tips) की श्रृंखला आयोजित की जा रही है।
इसमें पेरेटिंग के विशेषज्ञों, कैरियर काउंसलरों, माइंड ट्रेनर्स द्वारा पालकों को फ्रेंडली पेरेटिंग के गुर सिखाए जा रहे हैं। साथ ही पेरेटिंग में अभिभावकों को आने वाली समस्याओं का निराकरण भी किया जा रहा है। इस पेरेटिंग वर्कशॉप में कक्षा 6वीं से 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लगभग 1200 अभिभावकों को प्रसिद्ध कैरियर काउंसलर एवं माइंड ट्रेनर डॉ. चेतन रैकवार ने पेरेटिंग के गुर सिखाए।
डॉ. रैकवार ने कहा कि पेरेंट्स बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं। बच्चे अपने माता-पिता को जो कुछ करते देखते हैं, उसका अनुसरण करते हैं। साथ ही पेरेंट्स के आचार-विचार एवं व्यवहार को उनके बच्चें फॉलो करते हैं। इसलिए पालकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में बच्चों के लिए रोल मॉडल की भूमिका में रहे। पालकों की सकारात्मक सोच और सफलता बच्चों पर गहरा प्रभाव डालती है।

स्ट्रिक्ट पेरेटिंग को अवाईड करें अभिभावक (Parenting Tips)
प्रसिद्ध कैरियर काउंसलर एवं माइंड ट्रेनर डॉ. चेतन रैकवार ने अभिभावकों को स्ट्रिक्ट पेरेटिंग (Parenting Tips) से बचने की सलाह देते हुए कहा कि स्ट्रिक्ट पेरेटिंग से बच्चों के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है । जिससे आत्मविश्वास भी कम होता है। इसलिए स्ट्रिक्ट पेरेटिंग को अवाईड करें। लेकिन, बच्चों को जरूरत से ज्यादा फ्रीडम न दें।
उन्होंने कहा कि बच्चों की कमियों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा न करें , बल्कि एकांत में बच्चों की कमियों का उल्लेख कमियों से होने वाले नुकसान से अवगत कराते हुए करें। कमियों में सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव दें। बच्चों की हौसला अफजाई के लिए उनकी अच्छाइयों पर हमेशा फोकस रखें।
उन्होंने कहा कि अक्सर देखा गया है कि बच्चों की कमियों को लेकर पेरेंटस कमेंट करते हैं। जिससे जाने अनजाने में उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है। इसलिए उनसे भावनात्मक जुड़ाव के लिए अनावश्यक कमेंट करने से बचना चाहिए। डॉ. रैकवार ने पेरेंटस को मेडिटेशन (Parenting Tips) के माध्यम से बच्चों के साथ भावनात्मक लगाव को बरकरार रखने के गुर भी सिखाएं।
ना बोलने की जगह सकारात्मक निराकरण करें (Parenting Tips)
प्रसिद्ध कैरियर काउंसलर एवं माइंड ट्रेनर डॉ. चेतन रैकवार ने कहा कि 21वीं सदी के बच्चों की पेरेटिंग आज के दौर में बड़ी चुनौती से कम नहीं है। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे बच्चें को ना बोलने से बचे। आमतौर पर एक माह में लगभग 1700 बार हम ना बोलते हैं, जिससे नकारात्मकता का माहौल उत्पन्न होता है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को ना बोलने की बजाय उनकी विभिन्न डिमांड एवं जिद का समझाईश के माध्यम से सकारात्मक निराकरण करें। पॉजीटिव माहौल (Parenting Tips) से सफलता की राह आसान हो जाती है। डॉ. रैकवार ने अभिभावकों को लेफ्ट ब्रेन एवं राईट ब्रेन की कार्यप्रणाली से भी अवगत कराया।
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एक्टिव पेरेंट्स के बच्चों का परफॉरमेंस रहता है अच्छा: ऋतु खण्डेलवाल (Parenting Tips)
आरडी पब्लिक स्कूल बैतूल की डायरेक्टर श्रीमती ऋतु खण्डेलवाल ने बच्चों के भविष्य निर्माण में पेरेंटस की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि स्कूल में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ ही उनके चौमुखी विकास के लिए भरपूर प्रयास किए जाते हैं। इसके साथ ही बच्चों के भविष्य निर्माण में पेरेंटस की भागीदारी भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अक्सर ये देखने में आता है कि जो पेरेंटस अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर बहुत एक्टिव रहते हैं एवं उन्हें पर्याप्त समय देते हैं वे बच्चें अध्ययन सहित अन्य गतिविधियों में अव्वल रहते हैं। इसलिए पेरेंटस बच्चों के साथ एक्टिव मूड में रहें।
उन्होंने कहा कि अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए उनकी पेरेटिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डायरेक्टर श्रीमती खण्डेलवाल ने पालकों से कहा कि आज के दौर में पेरेटिंग अत्यंत संवदेनशील एवं गंभीर मुद्दा से जिसे किसी भी स्थिति में नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए सभी पालक उन्हें पर्याप्त समय देकर बच्चों में सकारात्मकता एवं आत्मविश्वास (Parenting Tips) बढ़ाने के लिए लगातार प्रेरित करें।
साथ ही बच्चों को संस्कार और संस्कृति (Parenting Tips) से हमेशा रूबरू करवाते रहे और उन्हें नैतिक शिक्षा भी दें। उन्होंने अभिभावकों से वन टू वन बातचीत कर पेरेटिंग में आने वाली समस्याएं सुनी और उनका ऑन द स्पॉट निराकरण भी किया। (Parenting Tips)
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