New Expressway MP: मध्यप्रदेश से दिल्ली या मुंबई का सफर करना जल्द ही बहुत आसान होने वाला है। अब मात्र 10 घंटे में ही यहां से दिल्ली या मुंबई का सफर तय किया जा सकेगा। उज्जैन से जावरा तक बनने वाला 102 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे इस सफर को आसान बनाएगा। इस एक्सप्रेसवे के बनने को लेकर आ रही सभी बाधाएं अब दूर हो चुकी हैं।
उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट एक बार फिर रफ्तार पकड़ने जा रहा है। पहले जारी किए गए टेंडर निरस्त होने के बाद अब मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआरडीसी) ने इस महत्वपूर्ण हाईवे के निर्माण के लिए नया टेंडर जारी किया था। यह एक्सप्रेसवे राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
दोबारा टेंडर में इस कंपनी को मिला काम
पहला टेंडर रद्द किए जाने के बाद एमपीआरडीसी ने इस एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए 2418.46 करोड़ रुपये का नया टेंडर जारी किया। टेंडर भरने की अंतिम तारीख 24 जुलाई तय की गई थी, जबकि नए निविदा दस्तावेज 20 जून को जारी किए गए थे।
सितंबर माह में इस टेंडर को खोला गया और इसमें एलएलसी वोल्गाडोरस्ट्रॉय कंपनी ने सबसे कम बोली लगाकर 2080 करोड़ रुपये में यह काम अपने नाम किया। कंपनी को पूरे निर्माण कार्य को दो साल के भीतर पूरा करना होगा।

40 फीसदी राशि राज्य सरकार देगी
सरकार की योजना है कि सिंहस्थ 2028 से पहले यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह तैयार हो जाए। परियोजना की लागत का 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार वहन करेगी, जबकि शेष 60 प्रतिशत राशि ठेकेदार कंपनी द्वारा व्यय की जाएगी। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद उज्जैन की मुंबई और दिल्ली से दूरी काफी कम हो जाएगी। अनुमान है कि उज्जैन से दिल्ली या मुंबई की यात्रा केवल 10 घंटे में पूरी हो सकेगी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से होगा लैस
यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किया जाएगा। इसमें सात बड़े पुल और 26 छोटे पुल बनाए जाएंगे। इसके अलावा कुल 270 पुलिया, पांच फ्लाईओवर और दो रेलवे ओवरब्रिज भी शामिल होंगे। इस मार्ग का एक सिरा जावरा के पास स्थित ग्राम भूतेड़ा से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। इससे उज्जैन और जावरा के बीच सीधा और सुगम संपर्क स्थापित होगा।

पहले आई एक्सप्रेसवे की राह में अड़चनें
इस परियोजना का भूमि अधिग्रहण कार्य सितंबर 2024 में शुरू किया गया था और इसे मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन कई गांवों में किसानों ने भूमि के बदले मुआवजे और सड़क के डिजाइन को लेकर आपत्ति जताई। तकनीकी कारणों के चलते भी निर्माण की प्रक्रिया में रुकावट आई। यही वजह रही कि परियोजना का टेंडर फिर से जारी करना पड़ा। अब नई कंपनी को तय समय सीमा के भीतर यानी दो वर्ष में पूरा काम करना होगा।
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आधा सैकड़ा से ज्यादा गांवों से गुजरेगा
यह एक्सप्रेसवे 51 से अधिक गांवों से होकर गुजरेगा। जावरा तहसील के 12 गांवों को इसमें शामिल किया गया है, जबकि उज्जैन जिले की नागदा, खाचरौद और उन्हेंल तहसीलों के करीब 30 गांव भी इसके दायरे में आएंगे। इस मार्ग में जावरा तहसील के डोडियाना, ललियान सहित कई अन्य गांव सम्मिलित होंगे।
उज्जैन की ओर बढ़ते हुए यह मार्ग निबोदिया खुर्द, पांसलोद, भाटीसुडा, आक्यानजीक, झिरनिया, पिपलिया डाबी, लसुडिया चुवंड, पिपलियाशीष, नवादा, कुंडला, नागझिरी, भाटखेडी, बंजारी, दुमनी, मीण और घिनौदा जैसे गांवों से होकर गुजरेगा। इन गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया फिर से शुरू की जा रही है ताकि निर्माण कार्य में कोई देरी न हो।
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औद्योगिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा
उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे न केवल दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा बल्कि यह मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से इसका सीधा जुड़ाव राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
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