Natural Farming in MP Mandis: मध्यप्रदेश की मंडियों में जल्द ही नई व्यवस्था देखने को मिल सकती है। इनमें एक ओर तो सामान्य रासायनिक खेती से उत्पादित फसलों की खरीदी होगी वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों की खरीदी (Procurement of Natural Produce) के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी। इस तरह की व्यवस्था किए जाने के निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav Agriculture) कृषि मंत्री को दे चुके हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह निर्देश हाल ही में जबलपुर में आयोजित चौपाल प्राकृतिक खेती के नाम कार्यक्रम में संबोधित करते हुए दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती की बड़ी संभावना है। उन्होंने कृषि मंत्री से कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए योजनाएं (MP Farmer Policy) बनायें, वे निश्चित रूप से इसे लागू करेंगे।
कब आया प्राकृतिक खेती का विचार (Natural Farming in MP Mandis)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जिस प्रकार नमस्कार का असली महत्व कोविड के बाद समक्ष आया, ठीक इसी प्रकार प्राकृतिक खेती का विचार रासायनिक खेती के दुष्परिणामों के बाद आ रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं खेती की है, जिसमें रासायनिक खादों के उपयोग की आदत नहीं थी पश्चिम आधारित सोच के कारण कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग बढ़ा।

गौशाला से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा (Natural Farming in MP Mandis)
भारतीय ज्ञान के प्रति बढ़ते रूझान को देखते हुए गौ-पालन के लिए गौशाला बनाये जा रहे हैं, जिसके उत्पाद से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा (Gaushala Products in Farming) मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन अभी 9 प्रतिशत है, इसे 25 प्रतिशत तक ले जायेंगे।
गाय के दूध को बताया गया महत्वहीन (Natural Farming in MP Mandis)
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि फैट के आधार पर दूध खरीदने की व्यवस्था है। भैंस के दूध को अधिक लाभदायक बताकर देशी गाय के दूध को महत्वहीन बताने का षडयंत्र रचा गया। उन्होंने गाय के दूध के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया। प्राकृतिक खेती के लिए गाय के गोबर से बने जीवामृत का उपयोग कर कृषि उत्पाद को बढ़ाकर धरती के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित किया जा सकता है।

राज्यपाल ने भी बताए फायदे (Natural Farming in MP Mandis)
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खेती के दुष्परिणामों को देखते हुए उन्होंने सबसे पहले 5 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू की थी। जिसमें प्रथम वर्ष की तुलना में गुणात्मक रूप से ज्यादा फसल (Chemical Free Crops MP) की पैदावार प्राप्त हुई वे लगातार प्राकृतिक खेती कर रहे हैं बल्कि बेहतर उत्पादन भी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती में अंतर (Organic vs Natural Farming) भी बताया।
प्राकृतिक खेती का यह इको सिस्टम (Natural Farming in MP Mandis)
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि जिस प्रकार जंगल में बिना खाद पानी दिये जंगली पेड़ भरपूर फसल देते हैं, उसी प्रकार का नियम प्राकृतिक खेती में भी लागू होता है। प्रकृति अपने इकोसिस्टम से हर चीज को नियंत्रित कर अपने मूल स्वरूप में ला देती है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते। प्राकृतिक खेती जीवन के लिए वरदान है।
बंद करें रासायनिक खादों का उपायोग (Natural Farming in MP Mandis)
फसल के नाम पर रासायनिक खादों का उपयोग बंद करें, क्योंकि इससे कृषि मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। जिससे धरती की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। उन्होंने रासायनिक खादों के दुष्परिणाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सभी किसानों से कहा कि रासायनिक खेती हानिकारक है और किसान प्राकृतिक खेती अपनायें और प्रकृति से जुड़े।
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