Moong purchased at MSP: मध्यप्रदेश में नहीं होगी एमएसपी पर मूंग की खरीदी, यह है वजह

Moong purchased at MSP: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बुरी खबर है। प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी नहीं की जाएगी। इस निर्णय की वजह मूंग की फसल जल्द से जल्द लेने के लिए उस खरपतवार का उपयोग करना बताया जा रहा है, जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। अब सभी किसान भले ही उस खरपतवार का उपयोग नहीं करते हो, लेकिन खामियाजा सभी को भुगतना होगा।

प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान समर्थन मूल्य पर मूंग की बिक्री करने के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि जल्द ही सरकारी खरीदी शुरू होगी। इसी बीच बुधवार को इंदौर में रबी एवं खरीफ 2025 की फसल के कार्यक्रम निर्धारण के लिए आयोजित संभागीय बैठक में राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने यह जानकारी दी। इस बात की खबर लगते ही किसान मायूस हो गए। सरकारी खरीदी नहीं होने से किसानों को अपनी मूंग की उपज कम दामों पर बेचने को मजबूर होना होगा।

मुख्यमंत्री भी जता चुके हैं चिंता (Moong purchased at MSP)

कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल के मुताबिक किसान मूंग में बीड़ी साइड पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इसे लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। श्री वर्णवाल ने कहा कि मूंग की फसल को लेकर सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, क्योंकि किसान फसल में बड़े पैमाने पर बीड़ी साइट (खरपतवार नाशक) डाल रहे हैं।

Moong purchased at MSP

गर्मी में कितना होता मूंग उत्पादन (Moong purchased at MSP)

प्रदेश में गेहूं की कटाई के बाद गर्मी के सीजन में किसान लगभग 12 लाख हेक्टेयर रकबे में 120 मीट्रिक टन मूंग का उत्पादन करते हैं। सरकार ने बीते साल 8682 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदी थी। इस बार बारिश का सीजन जल्दी शुरू होने से किसानों ने मूंग की फसल को 65 दिनों से भी कम में तैयार कर समर्थन मूल्य पर बेचने की तैयारी कर रखी थी।

रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराए गए (Moong purchased at MSP)

दूसरी ओर मूंग की खरीदी को लेकर भारतीय किसान संघ और कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ने मूंग की खरीद के लिए नीति घोषित करने की मांग की है। रजिस्ट्रेशन शुरू करने की मांग को लेकर नर्मदापुरम, हरदा, देवास, रायसेन और बैतूल जैसे मूंग उत्पादक जिलों में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं। पिछले साल 20 मई से ही मूंग खरीदी के रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे, लेकिन इस बार सरकार ने अब तक मूंग की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू नहीं की थी।

कम दामों पर बेचने को मजबूर किसान (Moong purchased at MSP)

कृषि उपज मंडी बैतूल में कई दिनों से मूंग की आवक शुरू हो चुकी है। मंडी में प्रतिदिन मूंग के 15 से 20 बोरे आवक हो रही है। इस बार सरकारी खरीदी की प्रक्रिया नहीं होने से मंडी में किसानों को मूंग के 6500 से 7 हजार रूपए तक के दाम मिल रहे हैं। उन्हें एक से डेढ़ हजार रूपए प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य में खरीदी शुरू हो जाती तो उन्हें लाभ मिलता।

जिले में इतने क्षेत्र में हुई थी बोवनी (Moong purchased at MSP)

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस बार बड़ी संख्या में किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग की बोवनी की थी। किसानों को अच्छा उत्पादन भी हुआ। ग्रीष्मकालीन मूंग के लिए कृषि विभाग ने लगभग 20 हजार हेक्टेयर रकबा लक्षित किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बड़े स्तर पर मूंग की बोवनी हुई थी। अब सभी किसान मायूस इसलिए है कि उन्हें समर्थन मूलय के बराबर मंडी में दाम नहीं मिल रहे हैं।

बाजार के जरिए पहुंचेगी लोगों के पास (Moong purchased at MSP)

सरकार भले ही इस मूंग की खरीदी नहीं कर रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसकी बिक्री और उपयोग नहीं होगा। बाजार में यह मूंग बिक रही है और यही मूंग बाजार से लोगों तक पहुंचेगी। जिसका खामियाजा इसे खाने वाले लोगों पेस्टिसाइड के दुष्प्रभाव के रूप में भुगतना पड़ सकता है। जो लोग इस बात को जानते हैं, वे इसे लेकर चिंता भी जता रहे हैं। (Moong purchased at MSP)

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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