Global Soil Conference 2024 : शिवराज सिंह बोले- फसलों का बंपर उत्पादन मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए चिंताएं भी लाया

Global Soil Conference 2024 : शिवराज सिंह बोले- फसलों का बंपर उत्पादन मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए चिंताएं भी लाया

Global Soil Conference 2024 : नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली पूसा में आयोजित वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है कि हम सब में एक ही चेतना है। जब हम माटी की बात करते हैं तो वही चेतना मिट्टी में भी है।

मिट्टी निर्जीव नहीं है, मिट्टी सजीव है। हमारा शरीर मंत्र तत्व से बना है जिसमें माटी भी एक प्रमुख तत्व है। माटी है तो जीवन है। माटी अगर बीमार है तो प्राणी भी स्वस्थ नहीं रह सकता है। इसलिए माटी स्वस्थ रहनी ही चाहिए। आज पूरा विश्व माटी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। ये धरती केवल हमारी ही नहीं है। इस धरती पर जीव जन्तुओं और पेड़-पौधों का भी अधिकार है।

उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य आज गंभीर चिंता का विषय है। भारत ने आजादी के बाद कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। एक समय में देश में खाद्यान्नों की कमी थी और दूसरे देशों से खाद्यान्न मंगवाना पड़ता था। भारत में हरित क्रांति ने चमत्कार किया है। उच्च उपज वाली फसलें व उनकी किस्में, बेहतर सिंचाई आधुनिक कृषि प्रणालियों को अपनाया जिससे करोड़ों भारतीयों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

Global Soil Conference 2024 : शिवराज सिंह बोले- फसलों का बंपर उत्पादन मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए चिंताएं भी लाया

अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तम्भ कृषि

इसके बाद रेनबो क्रांति ने भी बागवानी, डेयरी, जलीय कृषि, मुर्गी पालन आदि से कृषि को विविधता मिली जिससे बाद में कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ बन गई। मुझे प्रसन्नता है कि सलाना 330 मिलियन टन खाद्यान्न हम उत्पादित करते हैं जो कि वैश्विक खाद्य व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इससे निर्यात से 50 मिलियन डॉलर की कमाई भी होती है लेकिन यह सफलता साथ में मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतायें भी लाई है।

कैमिकल फर्टिलाइज़र से बढ़ा दबाव

श्री चौहान ने कहा कि कैमिकल फर्टिलाइज़र का बढ़ता उपयोग व बढ़ती निर्भरता, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर दबाव डाला है। आज भारत की मिट्टी बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है। कई अध्ययनों के अनुसार हमारी 30 प्रतिशत माटी खराब हो चुकी है। मिट्टी का कटाव, उसमें लवणता, प्रदूषण, धरती में आवश्यक नाइट्रो और माइक्रो न्यूट्ररेंट का स्तर कम कर रहा है। मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी ने उसकी उर्वरकता और लचीलेपन को कमजोर किया है।

आने वाले समय में यह पड़ेंगे असर

यह चुनौतियां न केवल उत्पादन को प्रभावित करती हैं बल्कि आने वाले समय में किसानों की आजीविका और खाद्य संकट भी पैदा करेगी, इसलिए यह ज़रूरी है कि इस पर गंभीरता से इस पर विचार करें। हमारी सरकार ने इसके लिए कई पहल की हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की शुरूआत हुई थी। 220 मिलियन से अधिक कार्ड किसानों को बनाकर दिये हैं। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड से अब पता है कि कौन सी खाद कितनी मात्रा में उपयोग करनी है।

कृषि योजनाओं के यह हैं उद्देश्य

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-पर ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत हमने जल के उचित उपयोग, अपव्यय को कम करना और पोषण तत्व के उच्चतम अवशेषों को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है। नॉर्थ-ईस्ट के लिए जैविक मूल विकास संकलन बनाया है। इन 8 राज्यों में किसानों को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र की जैव विविधता की रक्षा करते हुए जैविक कृषि पद्वतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सिंथेटिक उर्वरक पर कम हुई निर्भरता

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि परंपरागत कृषि विकास योजना के अर्न्तगत 2 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की पद्वतियों को अपनाया गया है जिससे सिंथेटिक उर्वरक पर निर्भरता कम हुई है और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार आया है। कैमिकल फर्टिलाइजर का अत्यधिक उपयोग न हो और प्रतिकूल प्रभाव न हो इसके लिए नीम कोटेडिड उर्वरक को बढ़ावा दिया है। जैव उर्वरकों के उपयोग को भी बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ने का प्रयास

हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती को मिशन बनाने का काम भी भारत में चल रहा है। उन्होंने कहा कि कैमिकल फर्टिलाइजर से मृदा का स्वास्थ्य ही खराब नहीं हो रहा बल्कि मनुष्यों, जीव जन्तुओं का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। मिट्टी की उवर्रकता को बनाये रखने के लिए एकीकृत पोषक तत्व व जल प्रबंधन विधियों को अपनाना पड़ेगा। माइक्रो इरिगेशन, फसल विविधिकरण, कृषि वानिकी आदि अलग-अलग तरीकों से मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक करना, मिट्टी का कटाव और जल भंडारण की क्षमता में सुधार के लिए सभी उपाय हमें करने चाहिए।

किसानों को दे रहे ज्ञान और कौशल

श्री चौहान ने कहा कि युद्ध स्तर पर वैज्ञानिक नवाचारों का समाधान और विस्तार प्रणालियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत के कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियां के सहयोग से भी किसानों को ज्ञान और कौशल प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। विज्ञान और किसान के बीच की दूरी कम करनी होगी। लैब टू लैंड- वैज्ञानिक से किसान तक समय पर सही जानकारी किसानों को मिले, इसका प्रयास हम लगातार कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र भी इस दिशा में कई प्रयास कर रहा है।

जल्द शुरू होगी आधुनिक कृषि चौपाल

श्री चौहान ने बताया कि हम आधुनिक कृषि चौपाल का कार्यक्रम भी जल्दी ही शुरू करने वाले हैं जिसमें वैज्ञानिक लगातार किसानों से चर्चा करके जानकारियां भी देंगे और समस्याओं का समाधान भी करेंगे। इसके अतिरिक्त निजी और ग़ैर सरकारी संगठनों के नेतृत्व वाली विस्तार सेवाओं ने उन्नत तकनीक को किसानों तक पहुंचाया हैं और उसका लाभ अब किसान ले रहे हैं।

किसान मिट्टी के सबसे बड़े संरक्षक

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान मिट्टी के सबसे बड़े संरक्षक हैं उन्हें शिक्षा, प्रोत्साहन और आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी के माध्यम से हमें सशक्त बनाना है। युवाओं को भी इसमें शामिल करना चाहिए। कृषि एक लाभदायक व सम्मानजनक पेशा है इसके लिए भी युवाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। छात्राओं और शोधकर्ताओं को स्थानीय और वैश्विक मृदा की चुनौतियों का समाधान करने वाले नवाचारों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

मिट्टी का क्षरण वैश्विक चिंता का विषय

उन्होंने कहा कि मिट्टी का क्षरण राष्ट्रीय मुद्दा ही नहीं बल्कि वैश्विक चिंता का विषय है जो कि संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। यह सम्मेलन राष्ट्रों को सहयोग करने, प्रौद्योगिकीयों को साझा करने और टिकाऊ भूमि प्रबंधन की दिशा में काम करने का एक अवसर है। मैं सभी प्रतिभागियों से उन समाधानों पर विचार करने का आग्रह करता हूं जिन्हें बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है जिससे न केवल किसान, पूरी मानवता और पूरे जीवों व पेड़ों को लाभ मिलेगा।

देश-दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | Trending खबरों के लिए जुड़े रहे betulupdate.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए सर्च करें betulupdate.com

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Leave a Comment