Free food in train: ट्रेन का सफर भला किसे आकर्षित नहीं करता। कुछ स्थानों का सफर तो ऐसा होता है कि दिल करता है कि यह सफर कभी खत्म ही न हो। भारतीय रेल भी यात्रियों के सफर को रोमांचक, आनंददायक और रोमांचक बनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ता है।
यही वजह है कि यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाएं भी रेलवे द्वारा मुहैया कराई जाती है। इनमें से जहां कुछ सुविधाओं के लिए चार्ज लगता है तो कुछ बिल्कुल नि:शुल्क होती है। इनमें ट्रेन में ही नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन जैसी सुविधा भी शामिल है। यह बात अलग है कि इनके लिए रेलवे द्वारा शुल्क वसूला जाता है।
वैसे रेल के लंबे सफर की बात की जाए तो अधिकांश यात्रियों की समस्या घर जैसे भोजन का न मिल पाना होती है। आईआरसीटीसी का भोजन या नाश्ता उन्हें जरा भी पसंद नहीं आता। ऐसे में यदि हम आपको बताए कि भारत में एक ट्रेन ऐसी भी है जिसमें भोजन बिल्कुल नि:शुल्क और भरपेट मिलता है तो शायद ही कोई यकीन करें।

कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है यह (Free food in train)
इस बात को शायद ही कोई सच माने, लेकिन यह कोई कपोल कल्पना नहीं बल्कि सौ फीसदी सच बात है। भारत में एक ट्रेन ऐसी भी चलती है जिसमें भोजन बिल्कुल फ्री मिलता है। इसके लिए न खुलकर कोई चार्ज लिया जाता है और न ही किसी और चार्ज के साथ इसका कोई पैसा जोड़ा जाता है।
घर के स्वाद से भी बेहतर रहता टेस्ट (Free food in train)
खास बात यह है कि इस ट्रेन में जो भोजन मिलता है उसे खाने के बाद आप घर का स्वाद भी भूल जाएंगे और बार-बार इसी ट्रेन से सफर करने की हसरत आपके मन में उमंगे मारने लगेंगी। बड़ी बात यह है कि इस ट्रेन में यह नि:शुल्क सेवा कोई महीने-दो महीने से नहीं दी जा रही है बल्कि पूरे 29 सालों से फ्री भोजन की यह सुविधा चालू है।

इस ट्रेन में मिलती है फ्री भोजन सुविधा (Free food in train)
अब आप सीधे जानना चाहेंगे कि आखिर वह कौनसी ट्रेन है जिसमें यह बेमिसाल सुविधा मिलती है? तो हम आपको बता दें कि यह ट्रेन है अमृतसर से नांदेड़ तक चलने वाली सचखंड एक्सप्रेस। इन दोनों स्टेशनों के बीच का 2081 किलोमीटर लंबाई का यह सफर यह ट्रेन 33 घंटे में पूरा करती है। इस बीच 39 स्टेशनों पर ट्रेन का स्टॉपेज है। लेकिन, इस पूरे सफर में आपको भोजन पर एक पैसा भी खर्च करने की जरुरत नहीं पड़ती है।
कौन करता है भोजन की व्यवस्था (Free food in train)
दरअसल, सिक्ख धर्म के 2 प्रमुख आस्था स्थलों के बीच चलने वाली इस ट्रेन से सफर कर रहे यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था सिक्ख धर्म के अनुयायियों द्वारा की जाती है। उनके द्वारा ही इस लंगर की व्यवस्था की जाती है। इसका खर्च गुरूद्वारों को मिलने वाले दान से पूरा किया जाता है। भोजन में कढ़ी-चावल, दाल, छोले, खिचड़ी और आलू-गोभी या दूसरी सब्जी परोसी जाती है।

इन स्टेशनों पर वितरित होता है लंगर (Free food in train)
इस ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को इस रूट के छह स्टेशनों दिल्ली, भोपाल, परभनी, जालना, औरंगाबाद और मराठवाड़ा स्टेशनों पर लंगर का वितरण किया जाता है। इसी हिसाब से ट्रेन का स्टॉपेज भी दिया गया है ताकि यात्री आराम से लंगर लेकर खा सके। जनरल से लेकर एसी कोच तक सभी यात्री इसका लाभ ले सकते हैं। इसके लिए बस यात्रियों को थाली वगैरह साथ लाना होता है। नई दिल्ली और डबरा स्टेशन पर लंगर की व्यवस्था दोनों ओर से रहती है।
किस दिन चलती है सचखंड एक्सप्रेस (Free food in train)
अमृतसर-नांदेड सचखंड एक्सप्रेस की शुरूआत वर्ष 1995 में हुई थी। शुरूआत में इस ट्रेन को सप्ताह में एक दिन चलाया जाता था। उसके बाद इसे सप्ताह में दो दिन चलाया जाने लगा। वर्ष 1997-98 से यह सप्ताह में 5 दिन चलाई जाने लगी और वर्ष 2007 से यह ट्रेन सप्ताह के सभी दिन चलती है। इससे हर दिन यात्री लंगर का लाभ ले सकते हैं। इसी विशेषता के कारण ही इस ट्रेन को भारत की लंगर ट्रेन भी कहते हैं।
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