
Diwali 2023 : दिवाली का त्योहार हमारा सबसे बड़ा त्योहार है और पूरे भारत में इसे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की तैयारी वैसे तो काफी पहले से शुरू हो जाती है, लेकिन देश के असम राज्य की दिवाली इस साल कुछ हटकर होगी। वहां दिवाली तो लोग मनाएंगे, लेकिन दावत उड़ाने का मौका हाथियों को मिलेगा। उन्हें उनका पसंदीदा भोजन थोक में मिल सकेगा।
दरअसल, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत देश भर के शहरों में ‘स्वच्छ दिवाली शुभ दिवाली’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत असम ने दिवाली के बाद होने वाले कचरे का प्रबंधन करने के लिए एक अनूठी पहल की है।

असम में पारंपरिक रूप से दिवाली पर लोग आवासीय और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के प्रवेश द्वारों पर केले के पेड़ों और पत्तियों पर मिट्टी के दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं। इसके लिए दिवाली की रात जिन पेड़ों के तनों का इस्तेमाल होता है, वो अगले दिन किसी काम के नहीं रहते और उनके निस्तारण की जिम्मेदारी शहरी स्थानीय निकाय पर आ जाती है।
ऐसे में इस बार दिवाली के बाद स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए ‘वेस्ट टु वेल्थ’ सिद्धांतों के आधार पर कचरा प्रबंधन करने की दिशा में काम हो रहा है। असम में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी टीम ने दिवाली के बाद कचरे को खत्म करने के लिए विशेष योजना बनाई है। इस योजना के तहत जो पारंपरिक दिवाली मनाए जाने के बाद जो केले के पेड़, तने और पत्तियां अगले दिन बचेंगे, उनको शहरी स्थानीय निकायों के आसपास मौजूद राष्ट्रीय उद्यानों में हाथियों के चारे के रूप में उपयोग करने के लिए सौंप दिया जाएगा।

- यह भी पढ़ें: Product Warranty : अब निर्माण की तारीख से मिलेगी फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसे उपकरणों की वारंटी और गारंटी
इसके अलावा जहां आसपास में कोई राष्ट्रीय उद्यान नहीं हैं, वहां के नागरिक केले के पेड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर निस्तारण के लिए शहरी स्थानीय निकायों को सौंप देंगे। वहां से नगर निगम के कर्मचारी इन कटे हुए पेड़ों के तनों को गौशालाओं या केंद्र में स्थित ‘वेस्ट टु कम्पोस्ट’ पिट्स में सौंप देंगे। इस तरह के कचरे को खत्म करने के लिए यहां पहले से ही विभिन्न जगहों पर 104 सेंट्रल कंपोस्ट पिट्स और 6245 घरेलू स्तर पर खाद बनाने के लिए किए गए गड्ढे मौजूद हैं।