Dhanteras 2025 Puja Muhurat: धनतेरस पर कब करें पूजन, किस मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी और कैसे करें पूजा, जानें सब कुछ

Dhanteras 2025 Puja Muhurat: पंच पर्वों के महापर्व दिवाली की शुरूआत धनतेरस से होती है। इस दिन को धन, स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा शुभ अवसर कहा गया है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन और नई वस्तुएं खरीदने से पूरे वर्ष घर में बरकत और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यह पर्व भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और कुबेर देवता को समर्पित है। धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व को समझना आवश्यक है ताकि इस दिन के प्रत्येक कार्य का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

कब करें सोना और चांदी की खरीददारी

धनतेरस के अवसर पर सोना-चांदी की खरीदारी को अत्यंत शुभ माना गया है। इस वर्ष सोना और चांदी खरीदने का सबसे उत्तम समय सुबह 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 10 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। यह समय अमृत काल कहलाता है और इस दौरान की गई खरीदारी से घर में सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि होती है।

धनतेरस का पूजन मुहूर्त

धनतेरस के दिन पूजन करने का सबसे अनुकूल समय प्रदोष काल माना जाता है। इस वर्ष पूजन का शुभ समय शाम 7 बजकर 16 मिनट से लेकर 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसी अवधि में भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और आयु में वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Dhanteras 2025 Puja Muhurat: धनतेरस पर कब करें पूजन, किस मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी और कैसे करें पूजा, जानें सब कुछ

शहरों के अनुसार खरीददारी का समय

विभिन्न शहरों में धनतेरस पूजन और खरीदारी के लिए समय थोड़ा भिन्न रहेगा। नई दिल्ली और गुड़गांव में शाम सात बजकर सोलह मिनट से आठ बजकर बीस मिनट तक, जयपुर में सात बजकर चौबीस मिनट से आठ बजकर छब्बीस मिनट तक, कोलकाता में शाम छह बजकर इकतालीस मिनट से सात बजकर अड़तीस मिनट तक, पुणे में सात बजकर छियालीस मिनट से आठ बजकर अड़तीस मिनट तक और चेन्नई में सात बजकर अट्ठाईस मिनट से आठ बजकर पंद्रह मिनट तक पूजा का समय रहेगा। नोएडा, अहमदाबाद, बेंगलुरु, मुंबई, चंडीगढ़, हैदराबाद और लखनऊ में भी इसी तरह के समयावधि में पूजा और खरीदारी शुभ मानी जाएगी।

धनतेरस पर दिन में कौन-कौन से मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा लाभ और उन्नति के लिए चौघड़िया मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 51 मिनट से लेकर 3 बजकर 18 मिनट तक शुभ रहेगा। प्रदोष काल शाम 6 बजकर 11 मिनट से रात 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इन सभी मुहूर्त को धनतेरस के दौरान शुभ कार्यों जैसे खरीददारी, पूजा और नए कार्यों की शुरुआत के लिए उपयुक्त माना गया है।

Dhanteras 2025 Puja Muhurat: धनतेरस पर कब करें पूजन, किस मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी और कैसे करें पूजा, जानें सब कुछ

धनतेरस की पूजा विधि

धनतेरस की पूजा विधि सरल है, परंतु श्रद्धा और शुद्धता आवश्यक है। सबसे पहले घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। उसके बाद रंगोली बनाएं और दीपक जलाकर स्थान को पवित्र करें। पूजा स्थल पर भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। जल लेकर संकल्प करें और सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।

इसके बाद देवी लक्ष्मी, कुबेर जी और भगवान धन्वंतरि को फूल, फल, मिठाई, हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। यदि आपने इस दिन कोई नई वस्तु या बर्तन खरीदा है, तो उसे पूजा में शामिल कर उसका भी पूजन करें। अंत में आरती करें और शंख बजाकर पूजा संपन्न करें।

शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके सरसों के तेल का चार मुख वाला दीपक जलाना शुभ माना गया है। इससे यम देवता की कृपा बनी रहती है और घर के सभी सदस्यों की रक्षा होती है। दीप जलाकर घर के प्रत्येक कोने को रोशनी से आलोकित करें।

धनतेरस का यह है धार्मिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसीलिए यह दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की उपासना के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

इसके साथ ही देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की आराधना करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई धातुएं, विशेषकर सोना, चांदी, तांबा या पीतल, घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और सालभर सौभाग्य का संचार करती हैं।

पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्र

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण शुभ माना जाता है। इनमें प्रमुख हैं –

  • धन्वंतराये नम:।
  • नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये।
  • अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप।
  • श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम:।

इन मंत्रों के जप से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से मुक्ति मिलती है।


अस्वीकरण

यह जानकारी विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, पंचांगों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि इन बातों को केवल सामान्य जानकारी के रूप में लें। किसी भी उपाय या परंपरा को अपनाने से पहले अपने विवेक और आस्था के अनुसार निर्णय लें। यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है और इसे किसी भी रूप में अंतिम सत्य न माना जाए।


सोशल मीडिया पर बैतूल अपडेट की खबरें पाने के लिए फॉलो करें-

देश-दुनिया की ताजा खबरें (Hindi News Madhyapradesh) अब हिंदी में पढ़ें| Trending खबरों के लिए जुड़े रहे betulupdate.com से| आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए सर्च करें betulupdate.com

Leave a Comment