Betul Samachar: विकास की पोल खोलता बैतूल; जान जोखिम में डालकर तेज धार के बीच नदी पार करने मजबूर ग्रामीण
Betul Samachar: Betul exposes the secrets of development; Villagers forced to risk their lives to cross the river amid strong currents
▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul Samachar: विकास के कथित दावें तो खूब होते हैं, लेकिन इन दावों की पोल बैतूल में खूब खुल रही है। दूरदराज के ग्रामीण अंचल ही नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के आसपास के क्षेत्रों में ही विकास की असली तस्वीर आसानी से देखी जा सकती है। बैतूल से चंद कदम दूर खेड़ी सांवलीगढ़ क्षेत्र में स्थित सिहार भी ऐसा ही बदनसीब गांव है जहां के लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा है।
बरसात के दिनों में टापू बनकर रह जाने वाले बैतूल विकासखंड की ग्राम पंचायत सावंगा के आदिवासी बाहुल्य ग्राम सिहार के आदिवासी ग्रामीण विगत कई वर्षों से ताप्ती नदी की बाढ़ को पार कर खेड़ी सांवलीगढ़ के बाजार में आवश्यक सामग्री खरीदी करने आते हैं। यहाँ से तेज बहाव वाली ताप्ती नदी पार करने में कोई आधा दर्जन ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। लेकिन, ताप्ती नदी पर पुल नहीं बनाया जा रहा है।
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सिहार गांव के ग्रामीण राशन लेने भी 20 किलोमीटर दूर सावंगा गांव की उचित मूल्य की दुकान से ताप्ती नदी पार कर अनाज लेने जाते हैं। गांव से कोई ऐसा रास्ता नहीं जो आसानी से राशन लेने पहुँचा सकता है। ग्राम के गब्बू धडसे और मंगल सिंह ने बताया कि उन्होंने इस समस्या के लिए कलेक्टर, सांसद, विधायक सभी से गुहार लगाई, लेकिन नदी पर पुल नहीं बनाया जा रहा। कब तक लोग नदी की बाढ़ को पार कर जान देते रहेंगे?
यह बड़ी विडंबना है कि इस गांव में अगर किसी महिला को अस्पताल जाना हो तो ऐसी गंभीर स्थिति में गांव तक 108 वाहन भी नहीं जा सकता। गर्भवती महिलाओं को खाटपर लिटा कर नदी पार करना पड़ता है। उसके बाद उस गर्भवती महिला या मरीज को नदी के दूसरे छोर पर खड़ी 108 वाहन में जगह मिलती है। ग्रामीण रोष में कहते हैं कि लानत है ऐसे शासन-प्रशासन पर जो सालों से गांव को जाने वाले मार्ग पर ताप्ती नदी पर रपटा या पुल नहीं बना सका।