
▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
Betul Bazar Mahakal Lok : श्मशान घाट का नाम लेते ही हमारे मन में एक अजीब तरह का भय उत्पन्न होने लगता है। इस जगह के बारे में बड़े बुजुर्गों से यह कहते हुए सुना होगा कि श्मशान घाट को रात में नहीं जाना चाहिए, यह खतरनाक हो सकता है। अक्सर देखा और सुना होगा की मोक्षधाम का नाम सुनकर वहां अक्सर लोग जाने से कतराते हैं। अगर महिलाओं और बच्चों की बात करे तो वो तो मोक्षधाम का नाम सुनकर ही डर जाते हैं।
इन सबके विपरीत आज हम आपको ऐसे मोक्षधाम के बारे में दिखाने और बताने जा रहे हैं जहां शवों का अंतिम संस्कार तो होता ही है पर इन सबके बावजूद वहां आधी रात को बच्चे, महिलाएं और युवक बड़ी संख्या में घूमने और दर्शन करने आते हैं।
यह अनोखा मोक्षधाम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की धार्मिक नगरी बैतूल बाजार में स्थित है। जहां लोग मोक्षधाम में बने नवनिर्मित “महाकाल लोक” को देखने जाते हैं। नगर के शिवाजी वार्ड में सांपना नदी के किनारे स्थित मोक्षधाम जो महाकाल लोक के नाम से जाना जाने लगा है। आज से 10-12 वर्ष पूर्व यह मोक्षधाम पूरी तरह से बदहाल अवस्था में था।
नगर के युवाओं ने अनमोल वेलफेयर सोसाइटी के नाम से एक संस्था का गठन कर यहां पौधारोपण किया और बहुत ही सुंदर गार्डन बनाया। नगरवासियों के साथ मिलकर संस्था ने इस मोक्षधाम की तस्वीर ही बदल कर रख दी। नियमित देखभाल से पौधे आज बड़े-बड़े छायादार वृक्ष बन गए। नगर के प्रतिष्ठित गुड़ व्यापारी रवि वर्मा ने अपने पूर्वजों की स्मृति में सर्वप्रथम यहां शव विश्राम ग्रह का निर्माण कराया।
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अनमोल वेलफेयर सोसाइटी समय समय पर रक्तदान शिविर लगाकर रक्तदान के क्षेत्र में भी बहुत शानदार कार्य करती आ रही है। जहां कभी उबड खाबड मार्ग, गंदगी से भरा प्रांगण नजर आता था कुछ ही समय में नगरवासी और नगर पालिका के सहयोग से पौधे से सुसज्जित प्रांगण नजर आने लगा।
यहां से शुरुआत हुई महाकाल लोक की
उज्जैन के महाकाल लोक का तो नाम सभी ने सुना होगा मगर बैतूल बाजार नगर में भी महाकाल लोक बन रहा है। धार्मिक और मंदिरों की नगरी के नाम से विख्यात बैतूल बाजार में सनातन धर्म के प्रति अनोखी आस्था देखी जा सकती है। ऐसा ही आस्था का प्रतीक है यहां का नवनिर्मित महाकाल लोक।
सर्वप्रथम यहां जून माह में बैतूल बाजार निवासी बंटी शैलेंद्र वर्मा द्वारा अपने स्वर्गीय पुत्र रुद्र अभिषेक वर्मा की स्मृति में शिवाजी वार्ड स्थित मोक्षधाम में बाबा महाकाल की स्वयं शंभू 13 फिर ऊंची बहुत ही सुंदर प्रतिमा का निर्माण कराया गया। जिसका बड़े ही धूमधाम के साथ स्थापना कार्यक्रम संपन्न किया गया था।
हुई श्मशान काली माता की स्थापना
भोलेनाथ की स्थापना के बाद मोक्षधाम का रूप बदल सा गया। यहां घूमने आने वाले, दर्शन करने वालों के मन में विचार आया यहां कि मां काली की भी भव्य प्रतिमा का निर्माण कराया जाए। बंटी वर्मा, पंकज चौधरी एवं महाकाल लोक समिति के सभी सदस्यों ने मिलकर नगर वासियों के सहयोग से नवरात्रि के पहले मां काली की भव्य प्रतिमा का निर्माण करवा कर स्थापना कार्यक्रम बड़े धूमधाम से संपन्न कराया। यहां बैठने के लिए बेंच, मुख्य सुंदर द्वार सहित पेविंग ब्लॉक, भोलेनाथ एवं माता काली के मंदिरों की सुंदर लाइटिंग, भगवा झंडे का ध्वज स्तंभ आदि आकर्षक कार्य कराए जा रहे हैं।
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श्मशान घाट की देवी काली
भयानक अंधकार और श्मशान की देवी को श्मशान काली कहा जाता है। सनातन धर्म में कई पुराणों व ग्रंथों में भी श्मशान काली माता का वर्णन हैं। पंडित श्रीकांत धामने ने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भेदों से युक्त मातंगी, सिद्ध काली, धूमावती, आर्द्रपटी चामुण्डा, नीला, नील सरस्वती, घर्मटी, भर्कटी, उन्मुखी तथा हंसी ये सभी श्मशान-कालिका के भेद रुप हैं। श्मशान में जाते ही संसासार की नश्वरता का अहसास होता है और वैराग्य प्राप्त हो जाता है। श्मशान काली तारापीठ के श्मशान, कामाख्या पीठ के श्मशान, त्र्यम्बकेश्वर, उज्जैन और चक्रतीर्थ के श्मशान में और अब बैतूल बाजार के श्मशान घाट में देखी जा सकती है।
रात्रि 12 बजे होती है महाआरती
जहां अंतिम संस्कार होता है वहां रात्रि 12 बजे जाना अपने आप में एक अजीब सा है। मगर इन सबसे परे बैतूल बाजार के नगरवासी अब इसे श्मशान नहीं मानते। यहां की तस्वीर बदलने के बाद यह एक सिद्ध स्थल बन चुका है। नगर वासियों की माने तो यहाँ अपार शांति का अनुभव होता है। इस नवरात्र में यहां विशेष आयोजन किए जा रहे हैं।
लगातार दो दिन रात्रि में यहां विशाल देवी जागरण का आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे। नवरात्रि में प्रतिदिन यहां रात्रि में 12 बजे होने वाली महाआरती देखने नगर सहित आसपास के ग्रामों से भी सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। आरती में प्रतिदिन किसी न किसी भक्त को मां काली की सवारी आ जाती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु होने पर भी यहां स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता है।
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अमूमन सार्वजनिक स्थलों पर आपको कूड़ा, कचरा, पन्नी, तंबाकू का पिक दिख ही जाएगा। मगर यहां की साफ सफाई व्यवस्था इतनी सुंदर है कि श्रद्धालु मोक्षधाम में चप्पल जूते उतार कर ही प्रवेश करते है। इतनी भीड़ होने के बावजूद भी नगर का यह सबसे सुंदर और स्वच्छ स्थल बन गया है।
महाकाल लोक में आने वाले श्रद्धालु सत्यम शिवम सुंदरम का अनुभव करते हैं। दुख की घड़ी में भी अब मोक्षधाम आने वाले लोगों को विशाल सुन्दर व आकर्षक प्रतिमा शांति प्रदान करेगी।
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