IASST के शोधकर्ताओं ने इसमें पाए एंडोक्राइन, मेटाबॉलिक, प्रतिरक्षा और हृदय संबंधी बीमारियों के लिए चिकित्सीय गुण
Stevia Medicinal Properties : मीठी तुलसी का पौधा अब देश के लगभग सभी क्षेत्रों में नजर आ जाता है। इसे आम भाषा में मीठी पत्ता या शुगर लीफ भी कहा जाता है। लोग इस पौधे को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में इस पौधे में महत्वपूर्ण चिकित्सीय गुण पाए गए हैं। इसे एंडोक्राइन, मेटाबॉलिक, प्रतिरक्षा (Immunity) और हृदय संबंधी बीमारियों के लिए बड़ा कारगर पाया गया है।
मीठी तुलसी को कैंडी लीफ, स्टीविया (स्टीविया रेबाउडियाना बर्टोनी) आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक पौधा है जो अपनी प्राकृतिक लेकिन बहुत कम कैलोरी युक्त मिठास संबंधी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, एक नए अध्ययन के अनुसार इसमें एंडोक्राइन, मेटाबॉलिक, प्रतिरक्षा और हृदय संबंधी बीमारियों के लिए चिकित्सीय गुण भी हैं, क्योंकि यह सेलुलर सिग्नलिंग सिस्टम पर प्रभाव डालता है।
असम से होता दुनिया भर में निर्यात
असम दुनिया भर में स्टीविया का निर्यात करता है। पूर्वोत्तर परिषद (भारत सरकार) ने भी बढ़ती उच्च मांग और उपयोग के कारण पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए स्टीविया की खेती की क्षमता पर ध्यान दिया है।
यहां के वैज्ञानिकों ने किया यह शोध
गुवाहाटी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (IASST) के शोधकर्ताओं की एक टीम डॉ. असिस बाला, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर आशीष के मुखर्जी, निदेशक, और सुश्री पियाली देवरॉय, शोध छात्रा ने असम के स्टीविया के चिकित्सीय गुणों को साबित करने के लिए इसके औषधीय गुणों, सेलुलर सिग्नलिंग तंत्र पर प्रभावों पर अग्रणी शोध किया।
इस शोध में हुए यह प्रमुख खुलासे
शोधकर्ताओं ने इन विट्रो और इन विवो तकनीकों के साथ नेटवर्क फार्माकोलॉजी को एकीकृत कर दिखाया कि पौधे ने एक महत्वपूर्ण सेलुलर सिग्नलिंग मार्ग को बाधित करने के लिए प्रोटीन किनेज सी (PKC) के फॉस्फोराइलेशन का उपयोग किया।
पीकेसी सूजन, ऑटोइम्यून, एंडोक्राइन और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से जुड़ा हुआ है। स्टीविया पीकेसी फॉस्फोराइलेशन को कम करता है, जो सूजन पैदा करने वाली प्रक्रिया को बदल देता है। यह अंत:स्रावी चयापचय (endocrine metabolism) और कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का एक महत्वपूर्ण कारण है।
पहली बार दिखी औषधियुक्त संभावना
अध्ययन में पहली बार इस क्षेत्र में स्टेविया की औषधि युक्त संभावनाओं को दर्शाया गया है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सक्रिय स्टेविया अणु एमपीके के साथ तीव्र परस्पर क्रिया करते हैं। ‘फूड बायोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित इस शोध कार्य ने स्टेविया की क्षमता को उजागर किया और प्रतिरक्षात्मक अंत:स्रावी और हृदय संबंधी समस्याओं के लिए नए लक्ष्यों की पहचान की।
इन बीमारियों पर डाल सकता प्रभाव
इसका मधुमेह, टाइप 1, टाइप 2, ऑटोइम्यून मधुमेह, प्री-डायबिटीज़, दीर्घकालिक सूजन से संबंधित ऑटोइम्यून बीमारी- रुमेटॉइड गठिया; क्रोनिक किडनी रोग और उच्च रक्तचाप जैसे हृदय संबंधी रोग; वास्कुलोपैथी और इसी तरह के अन्य रोगों पर चिकित्सीय प्रभाव हो सकता है। यह शोध अध्ययन स्टेविया के उस पहलू को उजागर करता है, जिसके बारे में कभी जानकारी नहीं थी।
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