अब दिसंबर माह से ही हो जाता है सूर्य उत्तरायण
अभी तक हम सभी मानते थे कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन से सूर्य उत्तरायण (Uttarayan) हो जाता है, लेकिन वास्तव में अब ऐसा नहीं होता है। हजारों वर्ष पहले सूर्य (Sun) मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण हुआ करता था। इसलिए यह बात अब तक प्रचलित है। वैज्ञानिक रूप से सूर्य के चारों ओर परिक्रमा (circumambulation) करती है। पृथ्वी के झुकाव के कारण पृथ्वी से देखने पर 21 दिसंबर के दिन सूर्य मकर रेखा पर था। उस दिन उत्तरी गोलाद्र्ध में रात सबसे लम्बी थी। इसके बाद 22 दिसंबर से ही दिन की अवधि बढऩे लगी है और तब से ही सूर्य उत्तरायण हो चुका है।
यह वैज्ञानिक खुलासा नेशनल अवॉर्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने किया है। सूर्य से संसार नामक कार्यक्रम में सूर्य का वैज्ञानिक महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी से दिन में दिखने वाले तारे सूर्य को पूरे देश में 14 जनवरी और 15 जनवरी को अलग-अलग नामों के पर्व में पूजा जा रहा है। देश के पश्चिम एवं मध्य भाग में मकर संक्रांति तो दक्षिण में पोंगल और पूर्व में बीहू नाम के पर्व में पृथ्वी पर जीवन देने वाले सूरज की आराधना की जा रही है।
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सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं
सारिका ने बताया कि सूर्य एक तारा है। जिसका प्रभाव केवल सौर मंडल के आठवें ग्रह नेप्च्यून तक ही नहीं है। बल्कि इसके बहुत आगे तक फैला हुआ है। सूर्य की तीव्र ऊर्जा और गर्मी के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होता। सारिका ने बताया कि सूर्य हाइडोजन एवं हीलियम गैस का बना है। इसकी आयु लगभग साढ़े चार अरब वर्ष है।
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भरने के लिए लगेगी 13 लाख पृथ्वी
अगर सूर्य कोई खोखली गेंद होता तो उसे भरने में लगभग 13 लाख पृथ्वी की अवश्यकता होती। हमारी पृथ्वी इससे लगभग 15 करोड़ किमी दूर स्थित है। सूर्य का सबसे गर्म हिस्सा इसका कोर है। वहां तापमान 150 करोड़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर है। नासा द्वारा 24 घंटे सूर्य के वातावरण से इसकी सतह एवं अंदर के हिस्से का अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए अंतरिक्ष यान, सोलर प्रोब, पार्कर, सोलर आर्बिटर एवं अन्य यान शामिल हैं।
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