▪️ पंडित मधुसूदन जोशी, भैसदेही
Touching Feet Tradition: पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि बड़ों के पैर छूना चाहिए, लेकिन जब कोई हमारे पैर छुए तो हमारा भी कुछ कर्तव्य बनता है। आज के इस लेख में इस बारे में विस्तार से जानेंगे।
इस परंपरा का पालन आज भी काफी लोग करते हैं। चरण स्पर्श करने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जब भी कोई व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, हमारे पैर छुए तो उन्हें आशीर्वाद तो देना ही चाहिए, साथ ही भगवान या अपने इष्टदेव को भी याद करना चाहिए।
आमतौर पर हम यही प्रयास करते हैं कि हमारा पैर किसी को न लगे, क्योंकि ये अशुभ कर्म माना गया है। जब कोई हमारे पैर छूता है तो हमें इससे भी दोष लगता है। इस दोष से बचने के लिए मन ही मन भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए।
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शास्त्रों में लिखा है कि-
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम और चरण स्पर्श करता है, उसकी उम्र, विद्या, यश और शक्ति बढ़ती जाती है।
जब भी कोई हमारे पैर छूता है तो उस समय भगवान का नाम लेने से पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक फल मिलते हैं। आशीर्वाद देने से पैर छूने वाले व्यक्ति की समस्याएं खत्म होती हैं, उम्र बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियों से उसकी रक्षा होती है।
हमारे द्वारा किए गए शुभ कर्मों का अच्छा असर पैर छुने वाले व्यक्ति पर भी होता है। जब हम भगवान को याद करते हुए किसी को सच्चे मन से आशीर्वाद देते हैं तो उसे लाभ अवश्य मिलता है। किसी के लिए अच्छा सोचने पर हमारा पुण्य भी बढ़ता है।
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चरण स्पर्श (पैर छूने) के नियम (Touching Feet Tradition)
सनातन धर्म, संस्कृति और परंपरा में संतों के और बड़ों बुजुर्गों के पैर छूने की परंपरा है, परंतु क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों से पैर छुआना वर्जित है या यह कहें कि कुछ लोगों को पैर नहीं छूना चाहिए। सनातन धर्म ग्रंथों में इन लोगों से पांव छुआने की मनाही है।
कुंवारी कन्या (Touching Feet Tradition)
कुंवारी कन्याओं को किसी के पैर नहीं छूना चाहिए या यदि कोई कुंवारी कन्या आपके पैर छूने का प्रयास करें तो उसे रोक दें अन्यथा आपको पाप लगेगा। छोटी बच्चियों और कन्याओं के तो पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
बेटियां
किसी भी पिता को अपनी बेटियों से पैर नहीं छुआना चाहिए। बेटियों को भी चाहिए कि वह पिता के पैर नहीं छुए अन्यथा पिता को पाप लगता है। बेटियों को देवी का रूप माना जाता है इसलिए उनसे चरण नहीं छुआना चाहिए।
बहुएं
कुछ समाज में बहुएं अपनी सास के पैर छू सकती है, परंतु श्वसुर के नहीं क्योंकि बहुएं घर की लक्ष्मी होती हैं।
मंदिर में
यदि आप मंदिर में हैं और आपको वहां पर कोई बड़ा-बुजुर्ग या सम्मानीय व्यक्ति मिल जाता है तो आप पहले भगवान को प्रणाम करें क्योंकि मंदिर में भगवान से बड़ा कोई नहीं होता। भगवान के सामने किसी के पैर छूना मंदिर और भगवान का अपमान माना जाता है।
पूजा कर रहे व्यक्ति के पैर छूना
यदि कोई व्यक्ति मंदिर या घर में पूजा कर रहा है उस दौरान उसके पैर छूना उचित नहीं है। ऐसे में दोनों को ही पाप लगता है। दूसरी बात इससे पूजा में बाधा उत्पन्न होती है।
सोये हुए व्यक्ति के पैर छूना
यदि कोई व्यक्ति सो रहा है या लेटा हुआ है तो उस समय उसके पैर नहीं छूना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे लेटे हुए व्यक्ति की उम्र घटती है। केवल मरे हुए व्यक्ति के ही पैर छुए जाते हैं।
श्मशान से लौटे व्यक्ति के पैर छूना
यदि कोई सम्मानित व्यक्ति या बड़े-बुजुर्ग श्मशान घाट से लौट रहे हैं तो उन्हें देखकर कई लोग उनके पैर छूने लगते हैं जो कि गलत है। अंतिम संस्कार से लौटने पर व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है ऐसे में उसके पैर छूना वर्जित है। स्नान करने के बाद ही उसके पैर छू सकते हैं। इसी प्रकार श्मशान में भी किसी के पैर नहीं छूना चाहिए।
अशुद्ध व्यक्ति
यदि आप किसी कारण से अशुद्ध हो गए हैं या जिसके आप पैर छूना चाहते हैं वह अशुद्ध है तो दोनों ही स्थिति में पैर नहीं छूना चाहिए। इसे दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भांजा और भांजी
यदि आप किसी के भांजे हैं तो आपको मामा-मामी के पैर नही छूना चाहिए क्योंकि भांजा या भांजी पूजनीय होते हैं। मामा-मामी को पाप लगता है।
पत्नी
पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र रिश्ता होता है और यह साझेदारी का रिश्ता होता है। परंतु पति को कभी भी अपनी पत्नी के पैर नहीं छूना चाहिए क्योंकि इससे पत्नी को पाप लगता है।
किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए?
पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा नहीं है, यह एक वैज्ञानिक क्रिया है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ी है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता, बल्कि बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शारीरिक कसरत होती है।
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आमतौर पर तीन तरीकों से पैर छुए जाते हैं- (Touching Feet Tradition)
- पहला तरीका: झुककर पैर छूना
- दूसरा तरीका: घुटने के बल बैठकर पैर छूना
- तीसरा तरीका: साष्टांग प्रणाम करना।
झुककर पैर छूना-झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।
घुटने के बल बैठकर पैर छूना- इस विधि से पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
साष्टांग प्रणाम- इस विधि में शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा, झुकने से सिर का रक्त प्रवाह व्यवस्थित होता है जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभदायक है।
पैर छूने के तीसरे तरीके का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार खत्म होता है। किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार खत्म हो जाता है।
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