Success Story: पार्ट टाइम जॉब की, 400 रूपये कमाने के चक्कर में पुलिस से भी मार खाई, अब बन गए डीएसपी
Success Story: जीवन में संघर्ष करना बहुत ही कठिन है। हर कोई नहीं कर पाता है बहुत से लोग हार मानकर पीछे हट जाते है। कहा जाता है कि ‘कोई संघर्ष में बिखर जाता है, तो कोई निखर जाता है’… यह बात डीएसपी पद पर चयनित हुए लोकेश ने साबित की है। आपको बता दे कि लोकेश के पिता राम सिंह नाव चलाने का काम करते हैं। इस काम में लोकेश के दो बड़े भाई भी उनकी मदद किया करते थेे। डीएसपी पद पर चयनित हुए लोकेश की कहानी बहुत ही संघर्ष भरी थी।
मध्य प्रदेश राज्य सेवा सर्विस (MPPSC) 2019 के घोषित हुए रिजल्ट में हरदा जिले के छोटे से गांव खरदना के रहने वाले आदिवासी युवक लोकेश छापरे का चयन डीएसपी पद पर हुआ है। लोकेश ने चर्चा में बताया कि उन्हें आगे बढ़ने में दोस्त शुभम और मेरे परिवार ने मदद की है। DSP लोकेश छापरे की कहानी समाज के लिए प्रेरणादायी है।
हरदा जिले के खरदना गांव में नर्मदा पर बने इंदिरा सागर बांध के बेक वाटर के किनारे रहने वाले लोकेश के पिता गांव में नाव चलाने का काम करते हैं। इससे ही उनकी आजीविका चलती है। बच्चों के लिए मां ने खेतों से लेकर फल-सब्जी बेचने तक का काम किया। गांव में प्राइमरी शिक्षा के बाद आगे पढ़ाई के लिए लोकेश को नदी के दूसरे किनारे पर बसे बिछोला गांव के स्कूल में नाव से जाना पड़ता था। गांव की अजनाल नदी में नर्मदा बांध का बेक वॉटर मिल जाने से पानी बहुत ज्यादा होता था। ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। 8वीं पास कर हरदा के उत्कृष्ट विद्यालय में उन्होंने एडमिशन लिया। शासकीय हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की।
लोकेश बताते हैं कि उनकी ‘कक्षा 10 वीं में दोस्ती शुभम गौर से हुई। विज्ञानं विषय से 12 वीं पास की। आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर जाकर आर्ट्स कॉमर्स कॉलेज में दाखिला लिया। आर्थिक परेशानियां बहुत थी। भंवरकुआ क्षेत्र में किराए से रहता था। 2017 -18 में इंदौर में भारत-ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच था। एक दोस्त ने कहा कि अगर वो उन्हें मैच के टिकिट लाकर देंगे तो प्रति टिकिट वो 400 रूपये देंगे। उन्होंने बताया कि भंवरकुआ से पैदल वे होल्कर स्टेडियम गए। रात 1 बजे से अगले दिन 4 बजे तक लाइन में लगे रहे पर टिकिट नहीं मिले। पुलिस की लाठी मिली सो अलग। एक बार तो लगा की सब छोड़ दूं, पर कुछ विचारों ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और ग्रेजुएशन किया।
कॉम्पिटिशन मैगजीन में पार्ट की टाइम जॉब (Success Story)
लोकेश बताया कि इंदौर में रहकर कॉम्पिटिशन मैगजीन में पार्ट टाइम जॉब किया और दोस्त शुभम से बात की। दोस्त ने कहा कि भोपाल आ जाओ। भोपाल आकर शुभम के किराए के मकान में रहकर पीएससी की पढ़ाई की और 2019 में एग्जाम दी। अब उसका परिणाम सबके सामने है। लोकेश का लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनना है। लोकेश अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद और दोस्त शुभम के सहयोग को भी देते हैं। (Success Story)
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