Protected Cultivation : पारंपरिक खेती छोड़ फलों और सब्जी की खेती अपनाई तो अब खेल रहे लाखों में

Protected Cultivation : पारंपरिक खेती छोड़ फलों और सब्जी की खेती अपनाई तो अब खेल रहे लाखों में

Protected Cultivation : भोपाल। पारम्परिक खेती कृषि उपज तो देती है, लेकिन इतना पैसा नहीं दे पाती जितना बढ़ती जरूरतों के लिए चाहिए। यही कारण कि अब किसान पारम्परिक खेती के साथ उद्यानिकी खेती भी अपना रहे हैं। इसका उन्हें लाभ भी मिल रहा है। इससे स्थिति यह है कि पहले जहाँ उन्हें थोड़ी सी राशि खर्च करने से भी पहले पचास बार सोचना पड़ता था, वहीं अब वे लाखों में खेल रहे हैं।

झाबुआ जिले के मांडन गांव के किसान निलेश पाटीदार भी ऐसा करके अब हर उस किसान के लिए एक प्रेरणा बन गये हैं, जो पारंपरिक खेती में सीमित होकर संघर्ष कर रहे हैं। निलेश के पास 18.750 एकड़ कृषि योग्य भूमि है, जहां वे सालों से पारम्परिक खेती कर रहे थे। लेकिन एक दिन उद्यानिकी विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी से मिले सुझाव ने उनकी जिंदगी बदल दी।

अधिकारी ने दी निलेश को यह सलाह

क्षेत्रीय अधिकारी ने उन्हें पारम्परिक खेती छोड़कर एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत संरक्षित खेती योजना का लाभ लेने और उद्यानिकी खेती अपनाने की सलाह दी। निलेश ने इस दिशा में हौले-हौले कदम बढ़ाये। सफलता भी मिलने लगी। अब बागवानी मिशन से निलेश के जीवन की बगिया में मिशन मोड पर मिठास आ गई है।

नेटहाउस का किया निर्माण

उद्यानिकी खेती के लाभों को समझते हुए निलेश ने शुरु में एक एकड़ भूमि पर नेटहाउस का निर्माण कराया। पहली ही फसल में उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपनी खेती का दायरा बढ़ाया और धीरे-धीरे 3 और नेट हाउस बनवाये। इस वर्ष उन्होंने 3 एकड़ के नेट हाउस में देशी खीरा और ककड़ी की खेती की। इससे उन्हें 1050 क्विंटल उत्पादन मिला।

इस उपज को उन्होंने जयपुर और दिल्ली में 2700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा, जिससे उन्हें कुल 28 लाख 35 हजार रुपये आय हुई। खेती-बाड़ी का खर्चा निकालने के बाद उन्होंने इस नेट हाउस से करीब 21 लाख 35 हजार रुपये शुद्ध मुनाफा कमाया।

अमरूद की खेती में भी सफलता

इसके बाद निलेश ने अपने खेत में 4 एकड़ भूमि पर अमरूद के 4000 पौधे लगाए। इससे उन्हें 700 क्विंटल अमरूद का उत्पादन प्राप्त हुआ। उन्होंने उपज को बक्सों में पैकिंग कर दिल्ली में 4000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा। इससे निलेश को 28 लाख रुपये आय हुई। इस वर्ष पौधों को सहारा देने के लिए लोहे के एंगल और तार के स्ट्रक्चर बनाने में ही उन्होंने 12 लाख रुपये से अधिक पूंजी खर्च की। अमरूद की फसल से निलेश को 16 लाख रुपये शुद्ध मुनाफा हुआ।

नई शुरुआत, नई संभावनाएं

इन दोनों उद्यानिकी फसलों से निलेश ने कुल 37 लाख रुपये मुनाफा कमाया। इस मुनाफे से उन्होंने एक जेसीबी गाड़ी खरीद ली है और अब खेती के साथ-साथ जेसीबी व्यवसाय से भी अतिरिक्त आय ले रहे हैं।

प्रेरणा की मिसाल बन गए निलेश

निलेश की प्रगतिशीलता से न केवल उनके परिवार की जिंदगी बदली, बल्कि उन्होंने अन्य किसानों के सामने भी एक नजीर पेश की है। निलेश कहते हैं कि अगर सभी किसान भाई नये-नये तरीकों और उन्नत खेती तकनीकों को अपनाएं, तो वे भी उनकी तरह अपनी माली हालत मजबूत कर सकते हैं। संरक्षित (उद्यानिकी) खेती पद्धति से समृद्धि कैसे पाई जा सकती है, ये उन्होंने सीख लिया है।

देश-दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | Trending खबरों के लिए जुड़े रहे betulupdate.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए सर्च करें betulupdate.com

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Leave a Comment