PhD to blind student : बैतूल। हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई थी श्रीकांत। इस फिल्म के जरिए सफल नेत्रहीन उद्योगपति श्रीकांत बोल्ला के बारे में हम जान ही चुके हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि अपनी प्रतिभा के बूते कई संघर्षों से जूझते हुए सफलता के शिखर तक पहुंचने वाले श्रीकांत इकलौती प्रतिभा है।
श्रीकांत बोल्ला की तरह ऐसे कई प्रतिभावान लोग हैं जो अपने भीतर की कमियों के बावजूद अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। यह बात अलग है कि इनमें से अधिकांश की संघर्ष गाथा फिल्म या मीडिया के जरिए जगजाहिर नहीं हो पाती है। आज हम मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की ऐसी ही एक प्रतिभा से मिलेंगे।
यह प्रतिभा है बैतूल शहर के समीप स्थित गांव बडोरा के मेधावी युवा दिलीप कुमार बारपेटे। पूर्णत: दृष्टि बाधित होने के बावजूद उन्होंने अंग्रेजी जैसे जटिल विषय में पीएचडी की उपाधि हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। उन्हें ‘क्रिटिकल एप्रेसल ऑफ मिलटंस पोएट्री’ पर शोध उपरांत बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है।
इसलिए खास है उपलब्धि
दिलीप की यह उपलब्धि कई मायनों में बेहद खास है। विशेष बात यह है कि पीएचडी के लिए दिलीप ने खुद ही स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर की सहायता से पूरी थिसिस टाईप की। सॉफ्टवेयर की मदद से उन्होंने ही पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन भी बनाया। एक सामान्य छात्र के भी यह सब करते समय पसीने छूट जाते हैं।
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राज्य पात्रता परीक्षा भी पास
दिलीप ने कक्षा 12वीं तक पाढर ब्लाइंड स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद जेएच कॉलेज बैतूल में एमए अंग्रेजी साहित्य से किया। पीएससी द्वारा आयोजित होने वाली राज्य पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। एक रोचक वाक्या यह भी है कि दिलीप ने जिस अंग्रेज कवि मिल्टन पर शोध कार्य किया है, वे भी दृष्टिबाधित थे।
यह है पारिवारिक पृष्ठभूमि (PhD to blind student)
शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल सेहरा में अंग्रेजी विषय के उच्च माध्यमिक शिक्षक और स्वर्गीय सुखनंदन बारपेटे तथा श्रीमती गुलजा बारपेट के पुत्र दिलीप ने यह शोध कार्य डॉ. एसबी हसन के मार्गदर्शन में पूर्ण किया है। संभवत: दिलीप बारपेटे जिले के अंग्रेजी साहित्य के पहले पूर्णत: दृष्टि बाधित शोधकर्ता हैं, जिन्हें यह उपाधि मिली है।
डॉ. हसन का भी यह रिकॉर्ड (PhD to blind student)
उल्लेखनीय है कि डॉ. एसबी हसन के मार्गदर्शन में अंग्रेजी विषय में 17 शोधकर्ताओं को पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई है। इनमें से 6 शोधकर्ताओं को 10 से 20 लाख रुपए की राशि यूजीसी से फैलोशिप के रूप में प्राप्त हुई। यह जेएच कॉलेज एवं नर्मदा संभाग में एक कीर्तिमान है। इनकी उपलब्धि शाला परिवार, ईष्ट मित्रों और परिजनों ने बधाई प्रेषित की है।
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