MP Health Insurance Scheme: मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए। आखिर उनकी मांग पूरी हो गई है। रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रवींद्र भवन भोपाल में आयोजित मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के अभिनंदन समारोह में कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने का ऐलान कर दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी इस बारे में खुलासा नहीं हुआ है कि इस योजना का लाभ किसे मिलेगा, कितना लाभ मिलेगा और योजना का लाभ लेने के लिए क्या-क्या करना होगा। यही कारण है कि कर्मचारियों को यह सब जानने की उत्सुकता है। कर्मचारी वर्ग की इसी उत्सुकता को शांत करने इस आर्टिकल में हम इस योजना से जुड़ी जानकारियां दे रहे हैं।
सीएम केयर होगा योजना का नाम (MP Health Insurance Scheme)
सबसे पहले हम बता दे कि मोहन सरकार कर्मचारियों के लिए जो स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने जा रही है, उसका नाम ‘सीएम केयर’ होगा। इसका लाभ केवल कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों को ही नहीं मिलेगा बल्कि पेंशनर्स को भी मिलेगा। राज्य के 10 लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी और पेंशनर्स इस योजना से लाभान्वित होंगे।

इलाज की कितनी होगी इसमें सीमा (MP Health Insurance Scheme)
शुरूआती तौर पर योजना को लेकर जो जानकारियां बाहर आई है, उनके मुताबिक इस योजना में शासकीय सेवक 20 लाख रुपये तक अपना कैशलेश इलाज करवा सकेंगे। वहीं पेंशनर्स के लिए यह सीमा अधिकतम 5 लाख रुपये तक हो सकती है। वित्त और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मिलकर योजना लगभग फाइनल कर ली है। वहीं सीएम डॉ. यादव ने भी इसे मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसे कैबिनेट मीटिंग में रखा जाएगा।
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अभी इलाज की यह है व्यवस्था (MP Health Insurance Scheme)
वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों का इलाज मध्यप्रदेश सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 2022 के तहत इलाज की सुविधा मिलती है। इसका लाभ पेंशनर्स को नहीं मिलता है। अभी जो व्यवस्था है उसमें कर्मचारियों को पहले इलाज कराना होता है। उसके बाद खर्च हुई राशि का भुगतान पाने के लिए अपने विभाग में आवेदन करना होता है।

इनका लेना होता है अप्रूवल (MP Health Insurance Scheme)
इलाज की यह राशि भी सीधे-सीधे नहीं मिलती है। इसके लिए पहले अप्रूवल कराना होता है। सबसे पहले डॉक्टर, मेडिकल बोर्ड या डायरेक्ट हेल्थ व मेडिकल एजुकेशन का अप्रूवल लगता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने या भर्ती नहीं होने पर भी भुगतान राशि (रिम्र्ब्समेंट) प्राप्त करने के लिए अलग-अलग प्रक्रिया का पालन करना होता है।
भर्ती होने पर ऐसे होता है भुगतान (MP Health Insurance Scheme)
यदि कर्मचारी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवाते हैं तो 5 लाख रुपये तक के इलाज के खर्च की मंजूरी संभागीय स्तर के सरकारी अस्पताल के डीन की अध्यक्षता में बनी कमेटी निर्णय करती है। यदि क्लेम 5 लाख से अधिक औ 20 लाख तक है तो संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की अध्यक्षता में बनी कमेटी राशि भुगतान को मंजूरी प्रदान करती है। (MP Health Insurance Scheme)

यदि भर्ती नहीं हुए तो यह प्रक्रिया (MP Health Insurance Scheme)
यदि सरकारी कर्मचारी या उसके परिजन का अस्पताल में भर्ती हुए बगैर बाह्य रोगी के रूप में इलाज कराया जाता है तो इसमें एक साल में अधिकतम मात्र 20 हजार रुपये तक का भुगतान सरकार से प्राप्त किया जा सकता है। यदि लगातार इलाज हो तो 3 माह में 8000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं किया जाता। इसके लिए भी जिला मेडिकल बोर्ड की अनुमति जरुरी होती है। (MP Health Insurance Scheme)
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पहले ही खत्म हो जाता बजट (MP Health Insurance Scheme)
मौजूदा व्यवस्था में रिम्बर्समेंट प्रक्रिया में काफी वक्त लगता है। कई बार कर्मचारियों को इलाज के लिए कर्ज तक लेना होता है। वहीं दूसरी ओर कई बार शहरों में रहने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों पर ही बजट खत्म हो जाता है और फील्ड तक पहुंच ही नहीं पाता। ऐसे में उन्हें अगले बजट का इंतजार करना होता है। नई व्यवस्था में यह परेशानियां नहीं होंगी। (MP Health Insurance Scheme)
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