Mahalakshmi Temple Ratlam: यूं तो भारत में शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांव तक बड़ी संख्या में मंदिर है। इसके बावजूद कुछ मंदिर अपनी सिद्धी तो कुछ मंदिर अपनी विशिष्ट परंपराओं के चलते दूर-दूर तक पहचान बना लेते हैं। मध्यप्रदेश के मध्यप्रदेश के रतलाम शहर में भी एक ऐसा ही मंदिर है। इस मंदिर में ऐसा कुछ होता है जो पूरी दुनिया में और कहीं भी नहीं होता।
हम बात कर रहे हैं रतलाम के श्री महालक्ष्मी मंदिर की। इस मंदिर की अपनी अनोखी परंपरा के कारण यह देश भर में प्रसिद्ध है। दीपावली के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में रुपए और सोना-चांदी दिए जाते हैं। सुनने में यह बात भले ही अविश्वसनीय लगे, लेकिन यह सच्चाई है।
दोगुना फल देता है यहां का चढ़ावा
यहां आने वाले भक्तों को अपने चढ़ाए हुए आभूषण और रुपए वापस प्रसाद के रूप में लौटाए जाते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में चढ़ाया गया धन साल के अंत तक दोगुना फल देता है। यही वजह है कि दीपावली के समय मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

धन-दौलत लेकर पहुंचते हैं श्रद्धालु
दीपावली से पहले ही भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ नोटों की गड्डियां, सोने-चांदी के आभूषण और नकदी लेकर मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा इन भेंटों की बाकायदा एंट्री की जाती है और हर दानदाता को एक टोकन दिया जाता है। यह व्यवस्था इसलिए होती है ताकि दीपावली के बाद भक्त अपनी भेंट वापस प्राप्त कर सकें। भाई दूज के बाद जब टोकन लौटाया जाता है, तब उन्हें उनकी दी हुई वस्तुएं वापस कर दी जाती हैं।
धनतेरस से पहले खुलते हैं मंदिर के कपाट
धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। हर कोई मां महालक्ष्मी के दर्शन कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करता है।

रुपए और आभूषणों से होती है सजावट
रतलाम के माणकचौक में स्थित इस मंदिर को दीपावली पर विशेष रूप से सजाया जाता है। इस बार मंदिर की सजावट करीब 2 करोड़ रुपए के आभूषणों और नोटों से की गई। देखने में लगता है जैसे ये सभी धनराशि मंदिर को दान में मिली हो, लेकिन सच्चाई यह है कि यह सभी सामान भक्त अस्थायी रूप से सजावट के लिए देते हैं। पूजा के बाद इन्हें सुरक्षित तरीके से भक्तों को लौटा दिया जाता है।
दीपावली के बाद विशेष प्रसाद का वितरण
दीपावली के बाद मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में रुपए, आभूषण और कुबेर की पोटली दी जाती है। भक्त इस प्रसाद को बहुत शुभ मानते हैं और इसे खर्च नहीं करते, बल्कि घर में संभालकर रखते हैं। माना जाता है कि इस पोटली में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में धन-समृद्धि बढ़ती है।
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महिलाओं को दिया जाता है विशेष प्रसाद
यहां महिलाओं को विशेष रूप से श्रीयंत्र, कौड़ियां, अक्षत, सिंदूर और कंकूयुक्त कुबेर पोटली दी जाती है। मान्यता है कि इन वस्तुओं को घर में रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में कभी धन की कमी नहीं होती।
देश भर में और कहीं भी नहीं होता ऐसा
महालक्ष्मी मंदिर रतलाम की सबसे बड़ी पहचान बन चुका है। पूरे देश में ऐसा कोई दूसरा मंदिर नहीं है, जहां भक्तों द्वारा चढ़ाए गए करोड़ों रुपए के आभूषण, हीरे-जवाहरात और नकदी से देवी का श्रृंगार किया जाता हो और बाद में वही वस्तुएं भक्तों को लौटा दी जाती हों। यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि विश्वास और ईमानदारी की भी मिसाल पेश करती है।
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