Kharif Crop Production in India 2025: गेहूं और धान का बढ़ा रकबा, बंपर उत्पादन से काबू में रहेंगी कीमतें

Kharif Crop Production in India 2025: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र की स्थिति और प्रगति को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में खरीफ और रबी फसलों की स्थिति, बाढ़ प्रभावित इलाकों में नुकसान का आकलन, फसल उत्पादन, उर्वरक उपलब्धता, मूल्य स्थिति और जलाशयों की स्थिति जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

खरीफ फसलों के क्षेत्र में बढ़ोतरी

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। वर्ष 2025-26 में अब तक 1121.46 लाख हेक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है, जबकि वर्ष 2024-25 में यह क्षेत्रफल 1114.95 लाख हेक्टेयर था। यानी इस बार लगभग 6.51 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है।

इन फसलों का भी बढ़ा रकबा

अधिकारियों ने बताया कि गेहूं, धान, मक्का, गन्ना और दलहन जैसी प्रमुख फसलों के क्षेत्र में भी वृद्धि दर्ज की गई है। उड़द की बुवाई में खासतौर पर सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2024-25 में उड़द की बुवाई 22.87 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो इस साल बढ़कर 24.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

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बाढ़ से प्रभावित राज्यों का हाल

बैठक में केंद्रीय मंत्री ने बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित राज्यों की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने हाल ही में ऐसे कई जिलों का दौरा किया था जहां बाढ़ से फसलें प्रभावित हुई हैं। अधिकारियों ने जानकारी दी कि कुछ राज्यों में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में इस बार मानसून सामान्य से बेहतर रहा है। इससे रबी फसलों की बुवाई और उत्पादन में सुधार की उम्मीद है।

सब्जी उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति

बैठक में टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियों की बुवाई की स्थिति पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष इन सब्जियों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है। पिछले वर्ष की तुलना में प्याज का बुवाई क्षेत्रफल 3.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.91 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इसी तरह आलू का बुवाई क्षेत्र 0.35 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 0.43 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। टमाटर की बुवाई में भी वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में यह क्षेत्रफल 1.86 लाख हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 2.37 लाख हेक्टेयर हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि इन तीनों फसलों में निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप प्रगति हो रही है और उत्पादन का अनुमान भी अच्छा है।

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अन्न भंडारण की स्थिति बेहतर

केंद्रीय मंत्री को अधिकारियों ने चावल और गेहूं के वास्तविक स्टॉक की स्थिति से अवगत कराया। बताया गया कि देश में इन दोनों प्रमुख अनाजों का भंडारण बफर मानक से अधिक है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि खाद्यान्न की कमी की कोई स्थिति नहीं है। पर्याप्त भंडारण से बाजार में मूल्य स्थिरता बनी रहेगी और आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

लबालब हो चुके अधिकांश डैम

बैठक के दौरान देश के प्रमुख जलाशयों में संग्रहित पानी की स्थिति पर भी चर्चा की गई। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष जलाशयों का कुल जलस्तर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बेहतर है। देशभर के 161 जलाशयों में वर्तमान में उपलब्ध पानी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 103.51 प्रतिशत और पिछले दस वर्षों के औसत संग्रहण की तुलना में 115 प्रतिशत है। यह स्थिति आने वाले महीनों में सिंचाई और पेयजल की दृष्टि से काफी संतोषजनक मानी जा रही है।

खाद की नहीं आनी चाहिए परेशानी

केंद्रीय मंत्री ने उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से कहा कि आगामी रबी सीजन में किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि उर्वरक मंत्रालय के साथ सतत समन्वय बनाए रखें ताकि किसी भी क्षेत्र में आपूर्ति में रुकावट न आए। अधिकारियों ने जानकारी दी कि सभी राज्यों के साथ मिलकर आगामी सीजन की आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है और फिलहाल किसी प्रकार की कमी की स्थिति नहीं है।

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