Hanuman Ji Ki Gada : हनुमान जी को किसने दी थी गदा? जानें क्‍या है इसकी ख़ास शक्तियाँ…

Hanuman Ji Ki Gada : श्री राम भक्त हनुमान को मंगलवार का दिन समर्पित किया गया है। हनुमान जी का मुख्‍य अस्‍त्र गदा है। इसके बिना उनकी कल्‍पना भी नहीं की जा सकती है। बता दें कि हनुमान जी की गदा का नाम कौमोदकी है। हनुमान जी को सभी देवताओं में सबसे अधिक शक्तिशाली माना जाता है। उन्हें ‘चिरंजीवी’ होने का वरदान प्राप्त है अर्ताथ वह हर युग में अमर है। तो आइए जानते है उन्‍हें यह नाम कैसे प्राप्‍त हुआ और ये गदा किस धातु से बनी हुई है।

यहां जानिए ‘हनुमान जी’ की गदा से जुड़ी बातें….

कैसे प्राप्‍त हुआ ‘हनुमान’ नाम (Hanuman Ji Ki Gada)

हनुमान जी की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, हर युग में हनुमान के बिना भगवान ने खुद को अधूरा बताया है। बताया जाता है कि, हनुमान जी कलयुग में गंधमाधन पर्वत पर निवास करते हैं। सतयुग में सूर्य देव को फल समझकर निगल लेने की वजह से उनका इंद्र देव से युद्ध हुआ था। इस युद्ध में इंद्र के वज्र से बजरंग बली के हनु पर चोट लगी और हमेशा के लिए निशान रह गया। इसी के बाद से उन्हें ‘हनुमान’ नाम प्राप्त हुआ।

किसने दी हनुमान जी को गदा (Hanuman Ji Ki Gada)

पवनपुत्र हनुमान जी न सिर्फ शारीरिक तौर पर बलशाली और मानसिक तौर पर बुद्धिशाली है बल्कि उनकी गदा भी काफी ताकतवर है। हनुमान जी की गदा की कहानी भी अद्भुत है। उन्हें यह गदा भगवान कुबेर ने प्रदान की थी। आपने तस्वीरों में मंदिरों में, जरूर देखा होगा कि हनुमान जी अपनी गदा को बाएं हाथ में धारण करते है। यही वजह है कि हनुमान जी की गदा को ‘वामहस्तगदायुक्तम्’ भी कहा जाता है। उनकी यह गदा विशालकाय और अत्यधिक भारी है।

क्‍या है गदा की ख़ास शक्तियाँ (Hanuman Ji Ki Gada)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुबेर द्वारा हनुमान जी भेंट स्वरुप दी गई गदा स्वर्ण से निर्मित थी। गदा देते वक्त कुबेर जी ने बजरंग बली को वरदान दिया था कि, वे कभी किसी युद्ध में परास्त नहीं हो सकते। हालांकि, वाल्मीकि रामायण में गदा की किसी तरह की शक्ति का उल्लेख नहीं मिलता है। रामायण के मुताबिक बजरंगबली के मुष्टि, रात और पुंछ में अपार शक्ति थी, जिसकी वजह से हनुमान जी ने साधारण गदा को भी असाधारण तरीके से इस्तेमाल किया है।

खुदाई में मिली हनुमान जी की असली गदा? (Hanuman Ji Ki Gada)

भारत के एक इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर के मुताबिक उसे श्रीलंका में खुदाई के दौरान एक गदा प्राप्त हुई थी, जोकि पूरी तरह सोने से निर्मित थी। यह गदा आकार में विशाल और करीब 1000 किलोग्राम वजन की थी। इसके अलावा खुदाई में रामायण से जुड़े अन्य अवशेष भी प्राप्त हुए, जिसमें नर कंकाल भी शामिल थे। खुदाई में अशोक वाटिका और रावण महल का भी चिन्ह प्राप हुआ, जिसे श्रीलंका की सरकार ने राष्ट्रीयता भी प्रदान की है।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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