
Business Idea : किसानों के लिए खेती अब आय का जरिया बन गई है। कुछ सब्जियां ऐसी होती हैं, जिनकी मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड रहती है और इसी वजह से किसानों को भी लाखों का मुनाफा होता है। ऐसे में महंगी सब्जियों की खेती करके बंपर कमाई की जा सकती है। वैज्ञानिक भी किसानों को ऐसी फसलों की खेती करने की सलाह देते हैं, जो बाजार में हमेशा अच्छे कीमत पर बिकती है। (Business Idea)
दरअसल, हम बात कर रहे है जुकिनी की खेती की। ये एक ऐसी सब्जी है जो फाइबर और न्यूट्रिशन के गुणों से भरपूर होती है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। बता दें कि जुकिनी एक तरह की तोरी होती है लेकिन यह आमतौर पर हरे और पीले रंग की होती है। साथ ही इसका आकार और बाहरी हिस्सा कद्दू के जैसा होता है। इसकी खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं। Jucchini को तोरी, तुरई और नेनुआ भी कहते हैं। इसका उपयोग सब्जी और सलाद में किया जाता है। किसान इसकी खेती कर बंपर कमाई कर सकते हैं।
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जुकिनी की क्या है खासियत
जुकिनी विदेशों में उगाई जाने वाली एक कद्दू वर्गीय फसल है। ब्रोकली की तरह ही जुकिनी भी कैंसर के लिए फायदेमंद सब्जी है। यहां तक कि इसमें पोटेशियम के साथ-साथ विटामिन-A और विटामिन-C जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं ये सब्जी डायबिटीज और पेट के रोगों के लिए दवा के रूप में कारगर होता है।
खेती वर्ष में तीन बार की जा सकती है (Business Idea)
Zucchini फसल की खेती वर्ष में तीन बार की जा सकती है। अक्टूबर से फरवरी तक पहली फसल, फरवरी से अप्रैल दूसरी फसल, और अप्रैल से अगस्त तक तीसरी फसल उगायी जा सकती है।
जुकिनी के लिए बुवाई और मिट्टी (Business Idea)
जुकिनी की बेहतर उत्पादन के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर माना जाता है। फसल की बुवाई से पहले जुकिनी की बीज को कार्बोडाइजम, ट्राइकोडर्मा और थिरम केमिकल दवा से बीज का उपचार किया जाना चाहिए। इसके पौधे लहरनुमा होते हैं। जुकिनी की रोपनी बीज के माध्यम से की जाती है। एक बीघा जमीन से 1600 से 1800 तक बीज लगाया जा सकता है।
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जुकिनी में खाद और दवाई (Business Idea)
इसके खेती में खाद और दवाई की कोई खास खर्च नहीं आती है। इसकी खेती में आप प्रति बीघा एक किलो यूरिया और एक किलो डीएपी के साथ जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं। अधिक ठंड और कुहासा पड़ने पर उपज प्रभावित होती है।
जुकिनी की खेती से इतनी होगी लागत (Business Idea)
इस सब्जी की खासियत है कि इकना रेट बहुत अधिक रहता है। दवा और खाद का कोई विशिष्ट खर्च नहीं है। प्रति बीघा एक किलो यूरिया और एक किलो डीएपी के साथ जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए। अधिक ठंड और कुहासा उपज को प्रभावित करते हैं। नीलगाय, हालांकि, वनवासियों को नुकसान नहीं पहुंचाती। बिहार सरकार के उद्यान विभाग किसानों को फल-फूल और सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। इसमें अनुदान भी शामिल है। 20,000 रुपये की लागत से एक बिगहा जमीन से 1.50 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
जुकीनी शरीर के लिए है बेहद फायदेमंद (Business Idea)
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